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बालकों को उत्कृष्ट शिक्षा देने का प्रयास
अमरावती/12 मार्च – पांच से छः वर्ष आयु समूह के बालकों को उत्कृष्ट रुप से प्राथमिक शिक्षा दी जा सके, इसके लिये अब राज्य की अंगणवाड़ियां व शालाओं को सलंग्न किये जाने के आदेश राज्य के शिक्षा विभाग ने दिये हैं.
केंद्र सरकार व्दारा घोषित किये गये राष्ट्रीय शैक्षणिक नियोजन की विविध बातों को अमल में लाने की जिम्मेदारी शासन व स्थानीय प्राधिकरण की है. राज्य की अंगणवाड़ी केंद्र मार्फत 3 से 6 वर्ष आयु समूह के बालकों को पूर्व प्राथमिक शिक्षा दिया जाता है. मात्र, 6 वर्ष पूरे होने के बाद पहली कक्षा में प्रवेश लेने के लिये अंगणवाड़ी केंद्र के बालक शैक्षणिक दृष्टि से परिपूर्ण न होने के कारण वे प्राथमिक शिक्षा में पीछे रहने की बात दिखाई देती है. प्राथमिक शिक्षा विभाग व अंगणवाड़ी विभाग ने शिक्षा के मुद्दे पर एकसाथ आकर काम करे पर अंगणवा़ड़ी केंद्र के 3 से 6 विशेषतः 5 से 6 वर्ष आयु समूह के बालकों को उत्कृष्ट दर्जे की पूर्व प्राथमिक शिक्षा दी जा सकेगी. इसके लिये अंगणवाड़ी केंद्र का सक्षमीकरण करने के लिये प्राथमिक शाला व अंगणवाड़ी को संलग्न करना आवश्यक है, ऐसा आदेश शालेय शिक्षा व क्रीड़ा विभाग के अपर मुख्य सचिव वंदना कृष्णा ने सभी जिला परिषदों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को दिये है.
राज्य में अधिकांश स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं की प्राथमिक शालाओं के प्रांगण में या शाला के के पास अंगणवाड़ी कार्यरत है. इन अंगणवाड़ियों से 6 वर्ष पूरे करने के बाद बालक प्राथमिक शाला में दाखल होते हैं. प्राथमिक शाला में आने वाले विद्यार्थियों का शैक्षणिक पाया मजबूत होने की दृष्टि से पूर्व प्राथमिक शिक्षा जरुरी है. इसके लिये अंगणवाड़ी सेविका को सेवांतर्गत प्रशिक्षण, पूरक अध्ययन साहित्य आदि की आपूर्ति करने के दृष्टि से अंगणवाड़ी व शालाओं को जोड़ना आवश्यक है. ऐसे विचार शिक्षा सचिव ने व्यक्त किये.
संलग्नित हुई शालाओं की सहायता से अंगणवाड़ी में उच्च दर्जे की पूर्व प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध करवायी जा सकेगी. संभवतः जिला परिषद की प्राथमिक शाला से 500 मीटर की दूरी पर रहने वाली अंगणवाड़ियों को शाला से संलग्न किया जाये. संलग्न हुई अंगणवाड़ी व शालाओं की सूची शासन को सात दिन में भेजने के आदेश दिये गये हैं.