अब शिंदे गुट की नजर शहर व जिले के शिवसैनिकों पर
तीन दिनों तक अमरावती में डटी रही ‘टीम शिंदे’

* पांच सदस्यीय टीम ने 300 से अधिक पदाधिकारियों से किया संपर्क
* केवल दर्यापुर व अंजनगांव में मिली सफलता
* 25 को ‘टीम शिंदे’ दुबारा करेगी अमरावती का दौरा
अमरावती/दि.20– शिवसेना में बगावत करते हुए पार्टी के 40 विधायकों सहित 10 निर्दलीय विधायकों का साथ और भाजपा का समर्थन प्राप्त कर राज्य की सत्ता हथियानेवाले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा अब शिवसेना पर अपना कब्जा करने की कोशिशें तेज कर दी गई है. जिसके तहत शिवसेना के पार्टी पदाधिकारियों और शिवसैनिकों को अपने पाले में करने के पूरजोर प्रयास किये जा रहे है, ताकि पार्टी के चुनावी चिन्ह सहित पूरी पार्टी को अपने कब्जे में लिया जा सके. इसके लिए शिंदे गुट द्वारा विदर्भ क्षेत्र के सभी 11 जिलों में पांच-पांच लोगों की टीमें भेजी गई है. जिसके तहत तीन दिन पहले शिंदे गुट की पांच सदस्यीय टीम अमरावती भी पहुंची थी. जिसने यहां पर शहर प्रमुखों, जिला प्रमुखों व उपजिला प्रमुखों सहित शिवसेना के करीब 300 से अधिक पदाधिकारियों व प्रमुख शिवसैनिकों के साथ चर्चा करते हुए उन्हें उध्दव ठाकरे गुट छोडकर शिंदे गुट में शामिल होने का प्रस्ताव दिया. लेकिन दर्यापुर व अंजनगांव इन दो तहसीलों के अलावा ‘टीम शिंदे’ को पूरे जिले में अन्य कहीं पर कोई सफलता नहीं मिली.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के कट्टर समर्थक रहनेवाले ठाणे के उपमहापौर रमाकांत मडावी, राजेंद्र पाटील, जगदीश भंडारी व शैलेश पाटील सहित एक अन्य व्यक्ति का समावेश रहनेवाली ‘टीम शिंदे’ का विगत 16 जुलाई को अमरावती आगमन हुआ था और इन पांच लोगों की टीम करीब तीन दिनों तक बडनेरा रोड पर नवाथे चौक स्थित होटल रंगोली पर्ल में ठहरी हुई थी. जहां से शिंदे समर्थकों की इस टीम ने अमरावती शहर सहित जिले के सभी प्रमुख सेना पदाधिकारियों व नेताओं से संपर्क करते हुए उन्हें शिंदे गुट में शामिल होने का ‘ऑफर’ भी दिया. जिसमें इस टीम को दर्यापुर व अंजनगांव तहसील क्षेत्र में सफलता भी मिली. जहां पर क्षेत्र के तहसील प्रमुखों, विभाग प्रमुखों व शाखा प्रमुखों सहित करीब 150 से अधिक शिवसैनिकों ने उध्दव ठाकरेवाली शिवसेना को ‘जय महाराष्ट्र’ कहते हुए शिंदे गुट में शामिल होने का फैसला किया और शिंदे गुट द्वारा इन सभी शिवसैनिकों के फॉर्म भरते हुए स्वीकार किये गये.
वहीं दूसरी ओर यह भी पता चला है कि, अमरावती के दौरे पर आयी ‘टीम शिंदे’ ने यहां के जिला प्रमुख राजेश वानखडे व सुनील खराटे सहित सहसंपर्क प्रमुख दिनेश बूब से भी संपर्क करते हुए उन्हें अपने पाले में करने का प्रयास किया, लेकिन इन तीनों ने खुद को शिवसेना के पार्टी प्रमुख उध्दव ठाकरे का कट्टर समर्थक बताते हुए पाला बदलने से इन्कार कर दिया. साथ ही साफ शब्दों में यह भी कहा कि, उनके साथ रहनेवाले किसी भी पदाधिकारी या शिवसैनिक द्वारा ठाकरे गुट के साथ दगाबाजी या गद्दारी नहीं की जायेगी. साथ ही साथ अमरावती में ऐसे किसी प्रयास को सफल भी नहीं होने दिया जायेगा. जानकारी यह भी मिली है कि, तीन दिन तक अमरावती में डेरा जमाये रहने के बाद पांच सदस्यीय ‘टीम शिंदे’ यहां से अब वापिस ठाणे व मुंबई जा चुकी है और आगामी 25 जुलाई को शिंदे समर्थक नेताओं का दल एक बार फिर अमरावती के दौरे पर आयेगा और उस समय नये सिरे से सेना पदाधिकारियों व शिवसैनिकों को अपनी ओर करने का प्रयास किया जायेगा.
* मैंने नहीं दिया कोई रिस्पॉन्स
– सेना के सहसंपर्क प्रमुख दिनेश बूब का कथन
इस संदर्भ में जानकारी की पुष्टि करने हेतु जब दैनिक अमरावती मंडल ने शिवसेना के सहसंपर्क प्रमुख दिनेश बूब से संपर्क किया, तो उन्होंने बताया कि, शिंदे गुट से अमरावती आये लोगों ने उनके कार्यालय पहुंचकर उनसे बातचीत करने का प्रयास किया था, लेकिन उन्होंने इन लोगों को अपनी ओर से कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया, बल्कि दोटूक शब्दों में बता दिया कि, वे उध्दव ठाकरे गुट के कट्टर समर्थक है और उनकी पूरी निष्ठा ‘मातोश्री’ के प्रति है. ऐसे में वे किसी भी अन्य गुट को शिवसेना मानने या किसी अन्य गुट में जाने का विचार भी करने का सवाल नहीं उठता.
* हम ‘मातोश्री’ छोडकर कहीं नहीं जानेवाले
वहीं इस बारे में जानकारी हेतु संपर्क किये जाने पर शिवसेना के जिला प्रमुख राजेश वानखडे ने भी इस बात की पुष्टि की कि, अमरावती दौरे पर आये शिंदे समर्थक नेताओं ने उनसे संपर्क किया था और उनके ही कार्यालय में आकर मुलाकात की थी. इस समय उन्होंने ‘अतिथी देवो भव’ की परंपरा का पालन करते हुए उन लोगों का यथोचित आदर आतिथ्य किया. लेकिन उन्हें साफ शब्दों में यह भी बताया कि, वे स्व. बालासाहब ठाकरे के कट्टर शिवसैनिक है और उनकी पूरी निष्ठा ‘मातोश्री’ के प्रति है. ऐसे में वे किसी भी अन्य गुट में शामिल होने के लिए तैयार नहीं है, यह कहते हुए राजेश वानखडे ने भी शिंदे गुट के अमरावती दौरे पर आये सदस्यों को वापिस लौटा दिया.