-
कहीं कोई बैरिकेटिंग या कार्रवाई नहीं
अमरावती/दि.९ – स्थानीय मनपा क्षेत्र में कोरोना का सबसे पहला संक्रमित मरीज हाथीपूरा परिसर में ३ अप्रैल को पाया गया था. जिसके बाद हाथीपूरा परिसर के चारों ओर करीब २ किलोमीटर के दायरे को कंटेनमेंट झोन घोषित करते हुए उसे चारों ओर से सील कर दिया गया था. इसके बाद शहर के जीन-जीन इलाकों में कोरोना संक्रमित मरीज पाये जाने लगे, उन सभी इलाकों में २८ दिनों के लिए कफ्र्यू सदृश्य स्थिति लगा दी जाती थी. लेकिन अब हालात यह है कि, शहर के लगभग सभी इलाकों में कोरोना संक्रमित मरीज पाये जा रहे है और कहां कंटेनमेंट झोन व कहां नहीं, इसे लेकर किसी के पास लगभग कोई जानकारी नहीं है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, अब कंटेनमेंट झोन कागजों पर ही है और सभी प्रतिबंध हवा-हवाई हो गये है.
उल्लेखनीय है कि, अप्रैल व मई माह के दौरान जीन इलाकों में कोरोना संक्रमित मरीज पाये जाने के चलते कंटेनमेंट झोन बनाया जाता था, वहां कडा पुलिस बंदोबस्त लगाते हुए उस इलाके में लोगों की आवाजाही को २८ दिनों के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाता था. साथ ही कोरोना संक्रमित मरीज के घर से निश्चित दूरी पर चारों ओर बैरिकेटिंग लगायी जाती थी. अमरावती शहर में जैसे-जैसे कोरोना संक्रमण की रफ्तार और कोरोना संक्रमितों की संख्या बढने लगी, वैसे-वैसे कंटेनमेंट झोन का दायरा सिकुडने लगा. शुरूआती दौर में कंटेनमेंट झोन का दायरा एक से डेढ किलोमीटर हुआ करता था, जो बाद में सिकुडकर मात्र २०० मीटर रह गया. वहीं इन दिनों केवल कोरोना संक्रमित मरीज के आवास क्षेत्र यानी निवास या अपार्टमेंट को ही कंटेनमेंट झोन घोषित किया जाता है. ऐसे में लोगबाग कोरोना संक्रमित मरीज के घर के सामने से बे-रोकटोक आना-जाना करते है और उन्हें पता भी नहीं चलता कि वे कंटेनमेंट झोन से होकर गुजर रहे है.
जानकारी के मुताबिक अमरावती मनपा क्षेत्र में अब तक ७२८ कंटेनमेंट झोन तैयार किये जा चुके है. जिसमें से १९४ कंटेनमेंट झोन निरस्त किये जा चुके है. लेकिन अस्तित्व में रहनेवाले ५३४ कंटेनमेंट झोन में अब पहले की तरह कडे प्रतिबंध बिल्कूल दिखाई नहीं देते और न ही वहां पर पहले की तरह पुलिस बंदोबस्त या आवाजाही को लेकर कोई रोकटोक ही दिखाई देती है. उल्लेखनीय है कि, अमरावती मनपा क्षेत्र के हाथीपूरा परिसर में कोरोना का सबसे पहला संक्रमित मरीज पाये जाने के बाद इसी परिसर से सटे हुए अन्य कई इलाकों में कोरोना संक्रमित मरीज पाये गये. जिसके चलते आस-पडौस के कई इलाकों को कंटेनमेंट झोन घोषित करते हुए इस परिसर को पहले बफर झोन व बाद में मरीजोें व मृतकों की लगातार बढती संख्या को देखते हुए हॉटस्पॉट घोषित किया गया. साथ ही यहां पर बेहद कडा पुलिस बंदोबस्त भी तैनात किया गया. जिसके चलते इस परिसर में हालात बहुत जल्द काबू में भी आ गये, लेकिन इसके बाद जैसे ही अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई, वैसे ही शहर में भीडभाड का आलम बढने लगा और सोशल डिस्टंसिंग के नियमों का उल्लंघन शुरू होते ही कोरोना संक्रमण ने अपनी रफ्तार बढानी शुरू कर दी. जिसके चलते आज आलम यह है कि, शहर के लगभग सभी रिहायशी क्षेत्रों से कोई न कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाया जा चुका है. किंतु अब कही पर भी कंटेनमेंट झोन को लेकर पहले की तरह कडे प्रतिबंध दिखाई नहीं देते. ऐसे में यह सवाल उठाया जाना बेहद लाजमी है कि, इस समय जिला व मनपा प्रशासन सहित पुलिस विभाग की क्या भूमिका है और उनके द्वारा कौनसे प्रतिबंधात्मक कदम उठाये जा रहे है.
बता दें कि, जिले में अब तक ७ हजार ५१३ कोरोना संक्रमित मरीज पाये जा चुके है. जिनमें ग्रामीण क्षेत्र के २ हजार ४३८ मरीजों का समावेश है और शेष ५ हजार ७५ मरीज अमरावती मनपा क्षेत्र के है. यह अमरावती शहर के लिए बेहद चिंताजनक स्थिति है. लेकिन इसके बावजूद लोगबाग काफी बेफिक्र होकर अपने घरों से बाहर निकल रहे है और शहर में हर ओर भीडभाड का आलम रहने के साथ ही सोशल डिस्टंसिंग के नियमों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है.
सैनिटाईजेशन के काम की भी अनदेखी
उल्लेखनीय है कि, पहले जिस परिसर में कोरोना संक्रमित मरीज पाया जाता था, उस परिसर को कंटेनमेंट झोन घोषित करने के साथ ही वहां पर दो-तीन घंटे के भीतर स्थानीय प्रशासन द्वारा कीटनाशक दवाईयों का छिडकाव किया जाता था. लेकिन इन दिनों यह काम भी लगभग बंद हो चुका है अथवा प्रशासन द्वारा इस काम की अनदेखी की जा रही है. वहीं दूसरी ओर पहले किसी इलाके को कंटेनमेंट झोन घोषित करते ही उस परिसर की ओर जानेवाले सभी रास्तों को बैरिकेटिंग करते हुए सील कर दिया जाता था, लेकिन अब शहर के किसी भी इलाके में ऐसी बैरिकेटिंग नहीं दिखाई देती. जिसके चलते कहा जा सकता है कि, अब शहर में कंटेनमेंट झोन केवल कागजों पर ही है तथा सभी प्रतिबंध हवा-हवाई हो गये है. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, शुरूआती दौर में स्थानीय मनपा प्रशासन द्वारा कंटेनमेंट झोन घोषित किये गये इलाकों का सैटेलाईट मैप जारी किया जाता था. जिसमें कंटेनमेंट झोन की चतु:सिमा दर्शायी जाती थी. साथ ही एक समय ऐसा भी था, जब हॉटस्पॉट व बफर झोन बन चुके इलाकों की ड्रोन कैमरों से निगरानी भी की गई, लेकिन समय बीतने के साथ ही ये सारे काम बंद हो गये और अब केवल कोरोना संक्रमण व कोरोना संक्रमितों की लगातार बढती संख्या ही चर्चा का विषय बने हुए है और प्रतिबंधात्मक उपायों को लेकर अब कोई चर्चा नहीं हो रही. जिसके चलते अब आम लोगोें के पास इस बात को लेकर कोई जानकारी नहीं है कि, शहर के किन-किन इलाकों में इस समय कंटेनमेंट झोन अस्तित्व में है.