मोर्शी-/दि. 17 देश में 70 वर्ष पूर्व चीता प्रजाति लुप्त हुई. जिसमें अब अफ्रीका से चीतों को लाया जा रहा है. अफ्रीका से 8 चीतों को मध्यप्रदेश के कुनो- पालपुर अभ्यारण्य में लाया जायेगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों चीतों को जंगल में छोडा जायेगा. इस पार्श्वभूमि पर सामाजिक वनीकराण विभाग द्बारा स्थानीय शिवाजी उच्च माध्यमिक शाला में जनजागृति अभियान का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता शाला के मुख्याध्यापक एस.एम. बोंडे ने की तथा प्रमुख अतिथि के तौर पर वनाधिकारी शीतल घुटे, वनपाल सुरेश काले, वनरक्षक नंद किशोर कलस्कर, सुनील फरकाडे, एनसीसी अधिकारी श्रीकांत देशमुख, आशीष साबले उपस्थित थे.
मुख्याध्यापक एस.एन. बोंडे ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि प्रकृति का संतुलन बनाए रखने प्राणियों की अत्यंत आवश्यकता है. शालेय स्तर पर विद्यार्थी जनजागृति करें. वहीं वनाधिकारी शीतल घुटे ने चीता व तेंदुआ के प्राणियों के बीच का फर्क बताया और चीतों की सविस्तार जानकारी दी. राजा महाराजाओं को शिकार का शौक था. जिसमें वे चीतों का शिकार करते थे. वहीं चीतों के चमडे की तस्करी किए जाने की वजह से 1948 से भारत में चीता प्रजाति लुप्त हुई.
अब भारत सरकार के प्रयासों द्बारा इन्हें वापस लाने का प्रयास किया जा रहा है. जिससे भारत के जंगलों का सौंदर्य बढेगा, ऐसी जानकारी एन.सी. सी. अधिकारी एस. आर. देशमुख ने दी. कार्यक्रम का संचालन सागर डोंगरे ने किया व आभार चेतन देशमुख ने माना. कार्यक्रम को सफल बनाने सामाजिक वनीकरण विभाग के कर्मचारियों ने अथक प्रयास किए. इस समय शिवाजी शाला के एन.सी.सी. छात्र, शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारी उपस्थित थे.