* भाजपा के समक्ष सफलता दोहराने की चुनौती
* विपक्षी दल कमबैक करने की तैयारी में
* ढाई वर्षों से स्थानीय निकायों में चल रहा प्रशासक राज
अमरावती /दि.30– विगत ढाई वर्षों से अमरावती की महानगरपालिका व जिला परिषद सहित पंचायत समितियों व नगरपालिकाओं में प्रशासक राज चल रहा है और स्थानीय निकायों के चुनाव अधर में लटके पडे है. जिसके चलते अब विधानसभा का चुनाव निपटते हुए उम्मीद जगी है कि, संभवत: आगामी 2-3 माह के भीतर स्थानीय निकायों के अधर में लटके चुनाव कराये जाने का रास्ता खुलेगा. जिसके चलते मनपा व जिप सहित स्थानीय निकायों के चुनाव लडने के इच्छुक रहने वाले प्रत्याशियों द्वारा एक बार फिर बडे उत्साह के साथ चुनाव लडने की तैयारियां शुरु करते हुए अपने प्रचार व जनसंपर्क अभियान को तेज कर दिया गया है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, लोकसभा चुनाव में महाविकास आघाडी तथा विधानसभा चुनाव में महायुति को शानदार सफलता मिली है. ऐसे में अब दोनों ही गठबंधनों द्वारा स्थानीय निकायों में अपना दबदबा बनाये रखने का पूरा प्रयास किया जाएगा. जिसके तहत भाजपा के समक्ष विधानसभा चुनाव में मिली सफलता को दोहराने की चुनौती है. वहीं विपक्षी गठबंधन में शामिल दलों द्वारा स्थानीय निकायों की सत्ता को हासिल कर शानदार कमबैक करने का प्रयास किया जाएगा.
बता दें कि, 23 मार्च 2022 को अमरावती महानगर पालिका तथा 20 मार्च 2022 को अमरावती जिला परिषद का कार्यकाल खत्म हो गया था. जहां पर चुनाव नहीं होने की स्थिति में प्रशासक की नियुक्ति की गई. इसी तरह जिले की 10 नगरपालिकाओं, 11 पंचायत समितियों व 2 नगरपंचायतों में भी विगत ढाई-तीन वर्षों से लगातार प्रशासक राज ही चल रहा है. इसका सीधा असर आम नागरिकों के हितों से जुडे कामकाज पर होता दिखाई दे रहा है. पहले यह माना जा रहा था कि, स्थानीय निकायों में प्रशासक राज रहने के चलते कोई राजनीतिक दबाव व हस्तक्षेप नहीं होने की वजह से शानदार काम किया जाएगा. परंतु धीरे-धीरे स्थानीय निकायों में जनप्रतिनिधियों का अभाव रहने के चलते अधिकारियों की मनमानी वाली स्थिति हो गई. ऐसे में अब सभी लोगों द्वारा उम्मीद जतायी जा रही है कि, स्थानीय निकायों में जल्द से जल्द चुनाव कराये जाये और जनप्रतिनिधियों को चुनते हुए सभागृह का गठन किया जाए.
ज्ञात रहे कि, वर्ष 2017 में हुए अमरावती मनपा के चुनाव में भाजपा ने 87 में से 45 सीटें जीतकर 21 वर्षों तक मनपा की सत्ता में रहने वाली कांग्रेस व राकांपा को सत्ता से हटाया था. उस चुनाव में कांग्रेस को केवल 20 सीटें ही मिली थी. वहीं राकांपा का खाता तक नहीं खुला था. इसके अलावा एमआईएम के 10, शिवसेना के 7, बसपा के 5 व युवा स्वाभिमान के 3 पार्षद निर्वाचित हुए थे. उस समय भाजपा के तत्कालीन विधायक डॉ. सुनील देशमुख व प्रवीण पोटे के पास भाजपा के प्रचार की कमान थी. वहीं उस वक्त कांग्रेस के प्रदेश सचिव रहने वाले संजय खोडके के स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में पराजीत होने का परिणाम भी दिखाई दिया था. उस वक्त संजय खोडके राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से बाहर थे और स्थानीय स्तर पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी दो हिस्सों में बंटी हुई थी. इसके बाद वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सुलभा खोडके ने भाजपा प्रत्याशी डॉ. सुनील देशमुख को पराजीत किया था. जिसके उपरान्त डॉ. सुनील देशमुख भाजपा छोडकर कांग्रेस में लौट आये थे. इसी बीच संजय खोडके कांग्रेस छोडकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में दोबारा सक्रिय हो गये थे. जिसके चलते कांग्रेस से विधायक रहने के बावजूद सुलभा खोडके को कांग्रेस पार्टी की बैठकों से दूर रखा जाने लगा. जिसके चलते सुलभा खोडके भी कांग्रेस से दूर होकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की ओर चली गई और उन्होंने इस बार के विधानसभा चुनाव में अजीत पवार गुट वाली राकांपा की ओर से प्रत्याशी रहते हुए कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ. सुनील देशमुख को पराजीत किया. यानि कुल मिलाकर विगत 5 वर्षों के दौरान अमरावती शहर सहित जिले में राजनीतिक स्थितियां पूरी तरह से उलट-पुलट गई है.
जिले में विधानसभा चुनाव दौरान मिली जबर्दस्त सफलता के चलते जहां एक ओर भाजपा का उत्साह अपने चरम पर है. वहीं दूसरी ओर करारी हार मिलने के चलते कांग्रेस कार्यकर्ताओं में अच्छी खासी अस्वस्थता है. साथ ही चर्चा इस बात को लेकर भी चल रही है कि, क्या लोकसभा व विधानसभा चुनाव की तरह महाविकास आघाडी व महायुति में शामिल घटक दलों द्वारा मनपा के चुनाव भी गठबंधन के तौर पर ही लडे जाएंगे, या फिर सभी दलों द्वारा स्वतंत्र तौर पर अपने प्रत्याशी चुनावी अखाडे में उतारे जाएंगे. यदि भाजपा द्वारा महायुति के तहत मनपा का चुनाव लडने का निर्णय लिया जाता है, तो अमरावती शहर में भाजपा व महायुति की दिशा कौन तय करेगा और महायुति की विधायक सुलभा खोडके व भाजपा नेत्री नवनीत राणा के बीच आपस में पटरी कैसे बैठेगी. साथ ही भाजपा शहराध्यक्ष व पूर्व विधायक प्रवीण पोटे पाटिल तथा युवा स्वाभिमान पार्टी के नेता व विधायक रवि राणा द्वारा किस तरह की भूमिका अपनाई जाएगी. इसी तरह नजरे इस बात की ओर भी लगी हुई है कि, चूंकि विधानसभा चुनाव में कई स्थानों पर मविआ के घटक दलों का प्रदर्शन विशेष उल्लेखनीय नहीं रहा. ऐसे में मनपा व जिप सहित स्थानीय निकायों के चुनाव में मविआ के घटक दलों की क्या भूमिका रहेगी.
* किन स्थानीय निकायों में कब से है प्रशासक राज
– मनपा – 23 मार्च 2022
– जिला परिषद – 20 मार्च 2022
– नगरपालिका
अचलपुर दिसंबर-जनवरी 2021
शेंदुरजनाघाट दिसंबर-जनवरी 2021
अंजनगांव सुर्जी दिसंबर-जनवरी 2021
चांदूर बाजार दिसंबर-जनवरी 2021
चांदूर रेल्वे दिसंबर-जनवरी 2021
मोर्शी दिसंबर-जनवरी 2021
चिखलदरा दिसंबर-जनवरी 2021
दर्यापुर दिसंबर-जनवरी 2021
वरुड दिसंबर-जनवरी 2021
धामणगांव रेल्वे दिसंबर-जनवरी 2021
– नगरपंचायत
धारणी 20 जनवरी 2022
नांदगांव खंडे . 20 जनवरी 2022
भातकुली जनप्रतिनिधि सत्ता में
तिवसा जनप्रतिनिधि सत्ता में
– पंचायत समिति
अमरावती 13/03/22
अचलपुर 13/03/22
अंजनगांव सुर्जी 13/03/22
भातकुली 13/03/22
धामणगांव रेल्वे 14/12/24
तिवसा 14/12/24
चांदूर रेल्वे 14/12/24
चांदूर बाजार 13/03/22
चिखलदरा 13/03/22
दर्यापुर 13/03/22
धारणी 24/06/22
नांदगांव खंडे. 13/03/22
वरुड 13/03/22
मोर्शी 13/03/22