अब सरकारी शालाओं पर रहेगी हाईकोर्ट की नजर
जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति हुई गठित
* सभी सरकारी शालाओं का किया जा रहा मुआयना
* 60 दिन के भीतर हाईकोर्ट को भेजी जाएगी रिपोर्ट
अमरावती/दि.28 – राज्य की सरकारी शालाओं की स्थिति को लेकर हमेशा ही बडे पैमाने पर शिकायतें सामने आती है. परंतु अब सरकारी शालाओं की दुरावस्था को लेकर उच्च न्यायालय ने स्वसज्ञान लेते हुए ध्यान देना शुुरु किया है. जिसके तहत प्रत्येक जिले में शालाओं की जांच जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति द्बारा की जा रही है.
बता दें कि, महानगरपालिका, जिला परिषद व नगर परिषद द्बारा चलाई जाने वाली शालाओं की जमीनी हकीकत को जानने हेतु हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रत्येक जिले में जांच अभियान चलाया जा रहा है. इस हेतु गठित की गई समिति में अध्यक्ष के तौर पर संबंधित जिले के प्रमुख जिला व सत्र न्यायाधीश की नियुक्ति की गई है. वहीं माध्यमिक शिक्षाधिकारी को सदस्य सचिव तथा उपजिलाधीश, लोकनिर्माण के कार्यकारी अभियंता तथा जिला पुलिस उपाधिक्षक को सदस्यों के तौर पर शामिल किया गया है. स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं की शालाओं में पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध है अथवा नहीं, शाला की इमारत सुयोग्य स्थिति में है अथवा नहीं, शाला में पीने के पानी व स्वच्छता गृह की स्थिति, सुरक्षा उपायों व सुरक्षा दीवारों की स्थिति आदि बातों को लेकर इस समिति द्बारा जांच की जा रही है. जिसके चलते प्रमुख जिला व सत्र न्यायाधीश सहित कई बडे अधिकारियों का काफीला अचानक ही सरकारी शालाओं में पहुंचने की वजह से संबंधित शालाओं के शिक्षक भी आश्चर्य चकीत हो रहे है.
बता दें कि, छत्रपति संभाजी नगर में शाला की स्थिति को देखते हुए मुंबई हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ ने सुमोटो याचिका दायर करवाई थी और केवल छत्रपति संभाजी नगर ही नहीं, बल्कि समुचे राज्य में सरकारी शालाओं की स्थिति को लेकर प्रस्ताव पेश करने का आदेश विगत 21 जुलाई को जारी किया था. जिसके चलते राज्य के प्रत्येक जिले में प्रमुख जिला व सत्र न्यायाधीश के नेतृत्व में समिति गठित की गई है. इस समिति द्बारा 60 दिन के भीतर अपनी सिफारिशों के साथ अपनी रिपोर्ट उच्च न्यायालय को पेश की जाएगी. जिसके बाद हाईकोर्ट द्बारा शालाओं को लेकर क्या निर्देश जारी किया जाता है, इसकी ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है.