-
नये स्वरूप का वाईरस लंबे समय तक रहता है शरीर में
-
अधिकांश मरीजों का बढ रहा एचआरटीसी स्कोर
अमरावती/दि.1 – इन दिनों कुछ कोविड संक्रमित मरीजों में कोरोना के पुराने लक्षणों के साथ-साथ निद्रानाश का भी लक्षण दिखाई देने लगा है. इसके अलावा मरीजों के मुंह में अधिकांश समय तेज नमकिन या खारा स्वाद रहता है. जिसकी वजह से मरीज त्रस्त हो चले है. इसके साथ ही कई मरीजों के शरीर में विषाणु लंबे समय तक अस्तित्व बनाये रहता है. ऐसी भी जानकारी सामने आयी है. ‘डबल म्युटेशन’ होने की वजह से कोरोना वायरस के लक्षणों का ढंग बदल रहा है, ऐसा विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है.
जानकारी के मुताबिक जिले में फरवरी माह के दौरान शुरू हुई कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कई मरीजों के फुफ्फुस में संक्रमण हुआ और कई लोगों का एचआरटीसी स्कोर 20 के आसपास रहा. यह तकलीफ नये वायरस की वजह से तो नहीं हो रही, इस बात को लेकर फिलहाल डॉक्टरों में सहमति नहीं है. कुछ डॉक्टरोें के मुताबिक लक्षण दिखाई देने के बावजूद इलाज नहीं करवाने की वजह से फुफ्फुस में संक्रमण बढा. किंतु इस दौरान एचआरटीसी टेस्ट की दरों में अच्छीखासी वृध्दी कर कई लोगों ने जमकर चांदी काटी. वहीं डॉक्टरों ने कई मरीजों को कोरोना की आरटीपीसीआर टेस्ट करवाने की बजाय एचआरटीसी जैसी महंगी टेस्ट करने लगायी.
वहीं जिले में चार अलग-अलग तरह के 25-25 सैम्पल पुणे स्थित नैशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ वायरालॉजी में जनुकिय क्रम यानी जिनोम सिक्वेंसिंग की जांच हेतु भेजा गया था. जिसकी रिपोर्ट आयसीएमआर को भेजी गयी है. वहीं स्थानीय स्तर पर जिलाधीश सहित स्वास्थ्य महकमे का एक भी अधिकारी इस बारे में बात करने के लिए तैयार नहीं है.
केंद्रीय आरोग्य मंत्रालय द्वारा नये स्वरूपवाले वायरस में डबल म्युटेशन यानी दोहरा उत्परिवर्तन पाये जाने की बात स्पष्ट की गई है और बताया गया है कि, वायरस में ई 484 क्यू तथा एल 452 आर प्रकार के म्युटेशन पाये जाने की बात कही गयी है. बताया गया है कि वायरस के ‘एस स्पाईक’ प्रोटीन में बदलाव होता है और यह वायरस शरीर की पेशियों में पूरी ताकत के साथ चिपकता है. जिसकी वजह से वायरस ज्यादा समय तक शरीर में बना रहता है और इस वजह से संक्रमण की रफ्तार भी बढ जाती है. ऐसी जानकारी आयएमए पदाधिकारियों द्वारा दी गई है.
संक्रमण के नये लक्षण
इन दिनों कई मरीज निद्रानाश व स्वादहीनता के साथ-साथ केवल नमकीन व खारे स्वाद के एहसास की समस्या से ग्रस्त है. इसके अलावा आंखे लाल होने, शरीर में खुजली व फुन्सी होने, हाथ-पैर के नाखूनों का रंग बदलने, गले में दर्द रहने, बदन में दर्द रहने, अतिसार होने जैसे कोरोना के नये लक्षण पाये गये है. इसके अलावा सर्दी-खांसी व बुखार सहित स्वादहीनता, गंदहीनता तथा जुलाब जैसे पुराने लक्षण भी संक्रमित मरीज में पाये जाते है.
‘सायटोकाईन स्टॉर्म’ का प्रकार
कई मरीज लक्षण समझ में आने के बाद भी इलाज शुरू करवाने में देरी करते है. ऐसे में उनका एचआरटीसी स्कोर बढा हुआ दिखाई देता है. कई मरीजों का स्कोर 6 से 8 दिनों तक 12 तक रहने की भी जानकारी सामने आयी है. हर एक व्यक्ति का स्वाद एक जैसा नहीं होता. अत: रिकवरी में भी फर्क दिखाई पडता है. यह एक तरह से ‘सायटोकाईन स्टॉर्म’ का प्रकार है, ऐसा श्वसन विकार तज्ञ एवं आयएमए अमरावती के अध्यक्ष डॉ. अनिल रोहणकर द्वारा बताया गया है. साथ ही उन्होंने कहा कि, इसमें मृत्युदर 30 से 40 प्रतिशत तक रहती है.
- कई मरीज फिजीकली एक्टिव रहते है. वहीं कई मरीजों द्वारा किसी तरह की कोई एक्टिविटी नहीं की जाती. ऐसे मरीजों को अनिद्रा यानी निद्रानाश का सामना करना पडता है. इसके साथ ही कोई भी स्वाद महसूस न होना अथवा किसी एक तरह का स्वाद ही महसूस होना ऐसी समस्या भी कई मरीजों में पायी जाती है. सायटोकॉईन स्टॉर्म की वजह से कई मरीजोें का स्कोर बढा हुआ दिखाई दिया है. ऐसे मामलोें में मृत्यु दर अधिक होती है.
– डॉ. अनिल रोहणकर
श्वसन विकार तज्ञ व आयएमए जिलाध्यक्ष - कुछ मरीजों में निद्रानाश की समस्या पाये जाने की कई वजहें है. आयसीयू में रहनेवाले कई मरीजों को यह तकलीफ होती है. इसके अलावा मुंह में स्वाद ही नहीं आना अथवा किसी एक खास तरह के ही स्वाद का एहसास होने के भी लक्षण दिखाई देते है. इसके साथ ही इन दिनों कोविड संक्रमित मरीजों में कुछ नये तरह के लक्षण भी देखे जा रहे है. जिनका फिलहाल अध्ययन किया जा रहा है.
– डॉ. श्यामसुंदर निकम
जिला शल्य चिकित्सक, अमरावती.