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अब अधिकतम सजा 2 वर्ष, दाखल करते समय जांच जरुरी

353 कलम में भारी राहत

* राज्य सरकार ने अध्यादेश किया जारी
* नेताओं और पत्रकारों को दिलासा
* सरकारी कार्यालयों के हथियार की धार कम
अमरावती/दि.11– अंतत: वह जीआर जारी हो गया. जिसका जनप्रतिनिधि और पत्रकार तथा आरटीआई कार्यकर्ता इंतजार कर रहे थे. बडे दिनों से भादवी की धारा 353 को लेकर पत्रकारों के साथ-साथ नुमाइंदों की भी इस बारे में मांग थी. राज्य सरकार ने धारा 353 के तहत 5 वर्ष की सजा को अधिकमत 2 वर्ष कर अन्य राहत भी दी है. जिससे माना जा रहा है कि सरकारी दफ्तरों के हथियार की धार भोथरी हो गई है.
सरकार व्दारा आज जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि फौजदारी प्रक्रिया संहिता 1973 में संशोधन कर जनसेवक को उनके कर्तव्य को पूर्ण करने, धमकाने, परावृत्त करने, हमला अथवा फौजदारी पात्र बलप्रयोग की स्थिति में आरोपी को अब अधिकतम 2 वर्ष की सजा या द्रव्यदंड अथवा दोनों दिया जा सकेगा. उसी प्रकार मामला दखल पात्र और ग्रामीण पात्र होगा. दंडाधिकारी न्यायालय अब इसका निर्णय कर सकेंगे. उल्लेखनीय है कि पब्लिक के काम को लेकर नगरसेवक, विधायक, सांसद सभी को सरकारी दफ्तरों में जाने पर कई बार अधिकारी योग्य जवाब नहीं देते, कार्रवाई नहीं करते. ऐसे में विवाद बढ रहे थे. जिसके कारण 353 धारा अंतर्गत मामलों की संख्या बढ रही थी. जनप्रतिनिधियों ने इसके विरुद्ध आवाज उठाई थी. विधानसभा में मामला उपस्थित कर अन्य राज्यों के समान धारा 353 के तहत सजा का प्रावधान 2 वर्ष अधिकतम करने कहा गया था. वह मान्य कर अध्यादेश जारी हुआ है. बता दें कि पिछले वर्ष जनवरी में विधेयक रखा गया था. हाल ही जुलाई माह में कानून में परिवर्तन किया गया है.

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