अमरावती

अब मनपा आमसभा के लिए जारी होगी पास

सुरक्षा के लिहाज से लिया गया निर्णय

  • सदस्य सुझायेंगे नाम

अमरावती/दि.18 – गत रोज मनपा की आमसभा के दौरान जो हंगामा हुआ, उससे सदन का हिस्सा रहनेवाले सभी पार्षदों, पदाधिकारियों, अधिकारियों व कर्मचारियों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लग गया है. ऐसे में अब मनपा प्रशासन द्वारा सुरक्षा के मामले को ध्यान में रखते हुए एक बेहद महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है. जिसके तहत आगे चलकर आमसभा में बेहद चुनिंदा लोगों को ही प्रवेश दिया जायेगा. जिसके लिए प्रशासन द्वारा बाकायदा पास जारी की जायेगी और इस हेतु मनपा सदस्यों द्वारा नाम सुझाये जायेंगे.
बता दें कि, गत रोज आमसभा शुरू रहते समय युवा स्वाभिमान पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा सदन में घुसकर हंगामा मचाये जाने के चलते आमसभा का कामकाज नहीं हो पाया. साथ ही सुरक्षा रक्षकों के साथ धक्कामुक्की करते हुए सदन में घुसकर आंदोलनकारी वेल में बैठ गये और जोर-जोर से नारेबाजी करने लगे. जिसके चलते यहां पर काफी हंगामाखेज स्थिति बनी. चूंकि मनपा सभागृह में महिला पार्षद व महिला अधिकारियों का भी उपस्थिति होती है. ऐसे में उनकी सुरक्षा भी खतरे में पड गई थी. ऐसे में अब यह प्रस्ताव रखा गया है कि, मनपा सदस्यों के अलावा प्रेक्षक गैलरी में आने के इच्छूक लोगों द्वारा पहले इसके लिए अनुमति मांगी जाये. पश्चात महापौर की अनुमति से प्रवेश पास जारी की जाये. इस प्रस्ताव को सभी सदस्यों द्वारा चर्चा के बाद सर्वसम्मति से मंजुरी दी गई और तय किया गया कि, जिस तरह से विधान मंडल में आम नागरिकों के प्रवेश की प्रक्रिया है, उसी तरह की प्रवेश प्रक्रिया महानगर पालिका में भी चलायी जाये. ऐसे में अब सदस्यों द्वारा सुझाये जानेवाले लोगोें को ही महापौर की अनुमति से प्रेक्षक गैलरी में प्रवेश दिया जायेगा.

फायबर टॉयलेट खरीदी का मुद्दा गूंजा

– नगर विकास मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट
वहीं गत रोज हुई आमसभा में हुडदंग व हंगामा होने से पहले फाईबर टॉयलेट, हाईड्रोलिक ऑटो तथा स्वच्छता घोटाले का मुद्दा प्रश्नोत्तर काल के दौरान जमकर गूंजा. आमसभा में प्रश्नोत्तर काल के दौरान पार्षद प्रशांत वानखडे ने जानना चाहा कि, फाईबर टॉयलेट खरीदी व हाईड्रोलिक ऑटो खरीदी घोटाले की रिपोर्ट खुद नगर विकास मंत्रालय द्वारा मांगी गई है. इसके बावजूद यह रिपोर्ट अब तक नगर विकास मंत्रालय को क्यों नहीं भेजी गई. साथ ही घोटाले के बाद की गई जांच पश्चात बनी रिपोर्ट के आधार पर क्या कार्रवाई की गई, यह भी अब तक आमसभा में स्पष्ट क्यो नहीं किया गया, जिस पर मनपा आयुक्त प्रशांत रोडे ने कहा कि, इस रिपोर्ट की फाईल उनके ही पास है. जिसे अगले दो-तीन दिनों में नगर विकास मंत्रालय को भेजा जायेगा. वर्ष 2012-13 में घटित इस घोटाले के समय मनपा में किसकी सत्ता थी और स्थायी सभापति पद पर कौन था, इस विषय को लेकर सदन के भीतर जबर्दस्त गहमागहमी हुई. इस समय नेता प्रतिपक्ष बबलू शेखावत तथा पूर्व महापौर विलास इंगोले ने संबंधितों का नाम लेने की मांग करते हुए कहा कि, यदि इस मामले में उनका कोई सहभाग साबित होता है, तो वे राजनीति छोड देंगे. शेखावत और इंगोले द्वारा किया गया संकेत सभी की समझ में आ गया, लेकिन किसी भी सदस्य ने उस समय स्थायी समिती रहनेवाले मनपा सदस्य का नाम नहीं लिया.

क्या है फाईबर घोटाला

वर्ष 2012-13 में मनपा ने फाईबर टॉयलेट खरीदने का निर्णय लिया था. जिसके लिए प्रशासन ने प्रति टॉयलेट 1 लाख 34 हजार रूपये की कीमत तय की थी. लेकिन तत्कालीन स्थायी समिती ने इस कीमत को बढाकर 2 लाख 85 हजार रूपये कर दिया था और इन्हीं उंची दरों पर मनपा क्षेत्र के लिए दर्जनों फाईबर टॉयलेट खरीदे गये थे. जिसे लेकर बाद में काफी हंगामा हुआ.

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