अमरावती/दि.18– 11 अक्तूबर को जम्मू-कश्मीर में अमृतपाल सिंग नाम का जवान शहीद हो गया. यह बात किसी भी समाचार पत्र में न देकर छिपाई गई. इसका कारण पता नहीं है. परंतु इतनी छोटी उम्र में देश की सेवा करने के लिए गए एक जवान की इस तरह मृत्यु हो जाना और मरने के बाद उसका अंतिम संस्कार सरकार न करे, यह बात शर्मिंदगी महसूस करनेवाली है.
सवाल उठता है कि अब सीमा के युवा जब भी इन्होंने निजीकरण करके रखा फिर तो यदि निजीकरण में नोकरी करता हो तो और अपने प्राणों की आहुति दे तो वह देश की सेवा करेगा क्या? और उसे देश की सेवा क्यों करनी चाहिए.? जो देश रोज चोरी करके खा रहा है. उसे जीवनभर ेपेंशन है और जो देश की सेवा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देते है. उन्हें अब निजीकरण में नौकरी करनी पडेगी. फिर इस सरकार का समर्थन करेनवाले इस बात का उत्तर दे की यह अग्नीवीर योजना योग्य हे कि अयोग्य है? इस अंधी भक्ति का विचार करना चाहिए ? कारण यह युवा पीढी इन सभी बातों का विचार कर रही है. इसका परिणाम यह होगा कि कोई भी युवा देश सेवा करने के लिए तैयार नहीं होगा. समयानुसार यह बदलना चाहिए और सरकार ने यह हो अग्नीवीर योजना लायी है. यह योजना एकजुट होकर बंद करनी चाहिए. तभी फिर से दूसरा अमृताल होकर देश की सेवा करेगा ..
सभी गरीब विद्यार्थी सामूहिक रूप से एकजुट होकर इस अग्नीवीर भरती का निषेध करना चाहिए. तभी गरीब के बच्चों के प्राण बचेंगे. मुझे ऐसा लगता है कि यह अग्नीवीर योजना यानी गरीबी कों पीढी को नष्ट करने के लिए एक सरकार ने निकाली उपाय योजना है. यदि इस योजना का समय पर विरोध नहीं किया गया तो गरीबों की पीढी नष्ट हुए बिना नहीं रहेगी. नहीं तो इस अग्नीवीर भरती में सरकार एक नियम निकालकर सभी संत्री और मंत्री का एक लडका अथवा एक लडकी सेना में भर्ती होगी, ऐसा नियम निकालना चाहिए. तब समझ में आयेगा की उम्र के 19 वें वर्ष में लडका मरेगा तब होगा दु:ख