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अब मनपा चुनाव की जागी आस

इच्छुकों को लग रहा फरवरी-मार्च का अंदाज

* भावी नगरसेवक लगेंगे काम से
अमरावती /दि.26- महापालिका चुनाव की दो वर्ष से तैयारी कर प्रतीक्षा करते-करते थक चुके भावी नगरसेवकों को विधानसभा पश्चात अब चुनाव की आस जागी है. उन्हें भरोसा है कि, महायुति की नई सरकार कोर्ट कचेहरी में लटके स्थानीय निकाय के चुनाव की घोषणा शीघ्र कर सकते हैं. 10 वीं-12 वीं की परीक्षा पश्चात मार्च में यह चुनाव होने की संभावना के साथ सूत्रों ने मिनी मंत्रालय अर्थात जिला परिषद के भी चुनाव साथ-साथ होने की बात का दावा किया. प्रदेश 100 से अधिक पालिका को भी चुनाव का इंतजार है.
* दो वर्षों से प्रशासक राज
विदर्भ की सभी महापालिका अमरावती, अकोला, चंद्रपुर, नागपुर में 2 वर्षों से प्रशासक राज चल रहा है. चुनाव का इंतजार प्रलंबित होता गया. कभी ओबीसी आरक्षण का मुद्दा, तो कभी प्रभाग अथवा वार्ड पद्धति को लेकर निकाय चुनाव में रोडे अटकाये गये. मामला कोर्ट तक पहुंचा. कई सुनवाई के बाद भी कोर्ट इस बारे में निर्णय नहीं दे सका है. इधर इच्छुकों का इंतजार लंबा खिंचता चला गया.
* अनेक ने किया पार्टी को प्रसन्न
विधानसभा चुनाव में प्रभाग पद्धति रहने की संभावना अधिक है. जिसके कारण पार्टी के उम्मीदवारों का प्रभाव रहने वाला है. इसे देखते हुए निकाय चुनाव को ध्यान में रखकर अपने-अपने दल के विधानसभा चुनाव उम्मीदवारों का अनेक ने जमकर कार्य किया. कुछ लोगों ने अपने पार्टी के गॉड फादर को प्रसन्न करने उनकी बगावत में भी साथ दिया. जिससे उन्हें मनपा चुनाव की उम्मीदवारी एवं उसमें सफलता की उम्मीद बंधी है.
* अलग-अलग लडेगी पार्टियां
संसद और विधानसभा चुनाव भले ही प्रदेश की प्रमुख पार्टियों ने गठजोड बनाकर लडा हो, अब स्थानीय निकाय में वे गठजोड जारी रखेंगे, इसकी संभावना राजनीतिक दल कम ही देख रहे हैं. उन्हें संकेत मिले है कि, मनपा चुनाव में भाजपा और उसके मित्रदल राकांपा अजीत पवार एवं शिवसेना शिंदे गुट अलग-अलग लडेंगे. हालांकि अधिकांश कार्यकर्ता इस तरह के प्रस्ताव के विरोधी है. उनका कहना है कि, नेतागण अपना उल्लू साध लेने के बाद कार्यकर्ताओं को उनके भरोसे छोड देते लग रहे हैं.
* पिछली बार बीजेपी का बोलबाला
पिछले 2017 के मनपा चुनाव में अमरावती और बडनेरा दोनों ही भागों में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन कर ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की थी. उसके 45 नगरसेवक चुने गये थे. कई प्रभागों में बीजेपी का पूरा पैनल चुनाव गया था. इस बार परिस्थितियां भले ही थोडी बदली हुई हो, किंतु भाजपा अपने बलबूते चुनाव लडने की तैयारी करने की भनक कार्यकर्ताओं को लगी है.
* क्या होगी प्रभाग, वार्ड व्यवस्था?
मनपा चुनाव के बारे में सबसे पहला प्रश्न प्रभाग या वार्ड पद्धति को लेकर चल रहा है. भाजपा प्रभाग पद्धति पर जोर देती आयी है. इससे हार्स ट्रेडिंग पर अंकुश लगने का दावा बीजेपी का रहा है. वहीं अन्य दलों का मानना है कि, प्रभाग पद्धति की बजाय गली-मोहल्ले के मूलभूत सुविधाओं व विकास कार्यों के लिए वार्ड रचना ही बेहतर है. प्रभाग या वार्ड रचना और ओबीसी आरक्षण के मुद्दे हल होने पर ही चुनाव होने की संभावना जानकार बता रहे हैं. जो भी हो अधिकांश पदाधिकारियों का यह जरुर मानना है कि, राज्य में नई सरकार अपना कार्यकर्ताओं का टेम्पो बनाए रखने के लिए मार्च में जिला परिषद और महापालिका दोनों के चुनाव घोषित कर सकती है. उससे पहले के 3 माह में ओबीसी आरक्षण, प्रभाग पद्धति जैसे कोर्ट में पेंडिंग मसले हल कर लिये जाएंगे. कार्यकर्ता भी मान रहे है कि, अब चुनाव में आ रहे रोडे हट जाएंगे ओर महापालिका से प्रशासक राज हटकर जनता का राज स्थापित होगा.

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