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अब तो हर हाल में पुतला वहीं लगेगा

सांसद नवनीत राणा ने दी चुनौती

* प्रशासन पर लगाया राजनीतिक दबाव में काम करने का आरोप
* पुलिस की कार्रवाई को बताया कानून से खिलवाड
* पालकमंत्री व सरकार द्वारा दबावतंत्र अपनाने की बात कही
अमरावती/दि.12– स्थानीय राजापेठ रेलवे उडानपुल पर शहर के शिवप्रेमी नागरिकों द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित की गई थी. यदि यह नियमों का उल्लंघन था, तो प्रशासन ने पुतले को उसी स्थान पर ढांक कर रखना चाहिए था. लेकिन वहां से पुतला हटाने के साथ ही चबुतरे को भी तोड दिया गया. जिससे शिवप्रेमियों की भावनाएं आहत हुई और स्याही फेंकनेवाली घटना घटित हुई, जो अपने आप में कोई बहुत बडी घटना नहीं थी. लेकिन इसे जिस तरह से राजनीतिक रंग दिया गया और जिनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है, उनके खिलाफ सीधे धारा 307 के तहत मामला दर्ज किया गया. उससे हम डरे नहीं है, बल्कि हमारा हौसला और भी अधिक मजबूत हुआ है. अब तो चाहे जो हो जाये, लेकिन छत्रपति शिवाजी महाराज का पुतला राजापेठ रेलवे ओवरब्रिज पर ही स्थापित किया जायेगा. इस आशय का चुनौतीनुमा प्रतिपादन सांसद नवनीत राणा द्वारा किया गया.
स्थानीय शंकर नगर परिसर स्थित अपने आवास पर आज दोपहर बुलाई गई पत्रवार्ता में सांसद नवनीत राणा ने उपरोक्त प्रतिपादन करने के साथ ही कहा कि, बीते बुधवार को राजापेठ रेलवे अंडरपास में आयुक्त आष्टीकर पर स्याही फेंके जाने की घटना का वे कतई समर्थन नहीं करती है. लेकिन इस मामले में शिवप्रेमियों की भावनाओं को भी समझा जाना बेहद जरूरी है. किंतु स्थानीय पालकमंत्री व सरकार ने इस मामले में खुद के लिए माकुल मौका खोजा और युवा स्वाभिमान पार्टी को घेरने का प्रयास शुरू किया गया. जिसमें मनपा आयुक्त को अब मोहरा बनाया जा रहा है और पुलिस के कंधे पर रखकर युवा स्वाभिमान पार्टी तथा हम (राणा दम्पत्ति) पर निशाना साधा जा रहा है.
* एफआईआर दर्ज करने में क्यों लगे दस घंटे
सांसद नवनीत राणा के मुताबिक जिस राजापेठ रेलवे अंडरपास में आयुक्त आष्टीकर पर बुधवार की दोपहर स्याही फेंकी थी, वहां से राजापेठ पुलिस थाना महज पांच मिनट की दूरी पर स्थित है. किंतु मनपा आयुक्त आष्टीकर थाने में दोपहर की बजाय देर रात करीब 10 से 12 घंटे बाद पहुंचे. आखिर इतनी देर तक आयुक्त आष्टीकर किस बात का इंतजार कर रहे थे और उन्होंने तुरंत ही राजापेठ पुलिस थाने पहुंचकर अपनी शिकायत दर्ज क्यों नहीं करायी. इसका साफ मतलब है कि, अगले आठ-दस घंटे तक क्या शिकायत दर्ज कराना है और शिकायत में किन-किन बातों का उल्लेख करना है, यह सब तय किया जा रहा था.
* पालकमंत्री ने खुद लगाये 50 से अधिक फोन
इस समय सांसद नवनीत राणा ने आरोप लगाया कि, बुधवार की दोपहर स्याही फेंकने की घटना घटित होते ही जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने पुलिस आयुक्त, मुख्यमंत्री, गृहमंत्री आदि को 50 से अधिक फोन लगाये और फटाफट अपने सारे सुत्र घुमाने शुरू किये, ताकि राणा पति-पत्नी को इस मामले में फंसाया जा सके. इसी के तहत स्याही फेंकने जैसी छोटी सी घटना के साथ हत्या के प्रयास को लेकर दर्ज की जानेवाली धारा 307 को जोडा गया और जिन लोगों का स्याही फेंकने से भी कोई संबंध नहीं था, उनके नाम इस मामले में जोडे गये. साथ ही साथ विधायक रवि राणा को भी इस मामले में शामिल किया गया, जबकि विधायक रवि राणा तो उस जगह पर मौजूद ही नहीं थे, बल्कि वे उस वक्त तक दिल्ली पहुंच चुके थे. इसके अलावा तैयारी तो खुद उन्हें (नवनीत राणा) को भी इस मामले में लपेटने की थी, किंतु यह अच्छा रहा कि, उस समय लोकसभा की कार्रवाई चल रही थी और वे (नवनीत) सदन की कार्रवाई में उपस्थित थी. अन्यथा इस मामले में उनके भी नाम को निश्चित रूप से लपेटा जाता.
* पुलिस की अति सक्रियता पर भी सवाल
इस पत्रवार्ता में सांसद नवनीत राणा ने कहा कि, अगर कोई आम व्यक्ति अपने खिलाफ हुए जुर्म या अपराध को लेकर शिकायत दर्ज कराने पुलिस थाने पहुंचता है, तो पुलिस उसकी एफआईआर दर्ज करने से पहले खुद उससे ही दर्जनों सवाल पूछती है, घाव कहां लगा, कमर के नीचे लगा या उपर लगा, खून कितना निकला, घाव कितना गहरा है आदि बातों के आधार पर धाराएं लगायी जाती है. किंतु इस मामले में किसी न किसी पर कोई जानलेवा हमला किया ही नहीं, लेकिन सीधे हत्या के प्रयास की धारा जोड दी गई. जिससे साफ है कि, पुलिस की इस अति सक्रियता के पीछे भी कोई न कोई दबाव जरूर काम कर रहा था. ऐसे में इसकी भी जांच करवाना बेहद जरूरी हो गया है.
* मनपा आयुक्त व पुलिस आयुक्त की केंद्रीय स्तर पर शिकायत व जांच
सांसद नवनीत राणा ने कहा कि, इससे पहले राकांपा सुप्रीमो शरद पवार, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं के साथ ही कई सांसदों व विधायकों तथा लेखकों व पत्रकारों पर विभिन्न कारणों के चलते स्याही फेंकने जैसी घटनाएं घटित हो चुकी है. किंतु किसी भी मामले में आज तक धारा 307 नहीं लगायी गई. अत: अमरावती में ही ऐसा क्या खास हुआ कि, स्याही फेंकनेवाली घटना को लेकर सीधे एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है. यह अब जांच का विषय हो गया है. अत: वे इस मामले को केंद्र के स्तर पर उठायेंगी और इस मामले में केंद्रीय स्तर से जांच भी करवायेंगी. जिसके तहत मनपा आयुक्त प्रवीण आष्टीकर व शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह की केेंद्रीय जांच एजेंसी से जांच करवायी जायेगी.
* आंदोलन कार्यकर्ताओं का और अपराध नेता पर, ऐसा पहले तो नहीं हुआ
इस समय प्रशासन सहित सरकार द्वारा अपनायी गई भूमिका का मखौल उडाते हुए सांसद नवनीत राणा ने कहा कि, कई मामलों को लेकर कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता आंदोलन करते है, तब सोनिया गांधी के खिलाफ अपराध दर्ज नहीं होता. इसी तरह राकांपा कार्यकर्ताओं द्वारा किये जानेवाले आंदोलनों के लिए शरद पवार साहब को नामजद नहीं किया जाता. साथ ही शिवसैनिकों द्वारा किये जानेवाले आंदोलन के लिए उध्दव ठाकरे पर धाराएं नहीं लगती, तो युवा स्वाभिमान पार्टी के प्रति आस्था रखनेवाले शिवप्रेमी नागरिकों द्वारा किये गये आंदोलन के लिए सीधे पार्टी के नेता व विधायक रवि राणा पर अपराध कैसे और क्योें दर्ज किया गया है. इसका जवाब प्रशासन व राज्य सरकार ने देना चाहिए. साथ ही उन्होंने यह पूरी कारस्थानी जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर की रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि, राज्य की महाविकास आघाडी सरकार में शामिल दलों द्वारा सत्ता का पूरा दुरूपयोग किया जा रहा है. किंतु उन्हें यह नहीं भुलना चाहिए कि, सत्ता आज नहीं तो कल जा भी सकती है तथा कल कोई और भी सत्ता में आ सकता है.
* हम हर स्थिति का सामना करने तैयार
धारा 307 के तहत नामजद होने के बाद क्या अब विधायक रवि राणा जमानत प्राप्त करने के प्रयास में है और वे कब तक अमरावती लौटेंगे, यह सवाल पूछे जाने पर सांसद नवनीत राणा ने कहा कि, फिलहाल जमानत लेने को लेकर कोई निर्णय या विचार नहीं किया गया और विधायक रवि राणा को अमरावती वापिस आने में किसी तरह का कोई डर भी नहीं है. साथ ही हम लोग जरूरत पडने पर जेल जाने तथा हर तरह की स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है.

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