अमरावती/दि.14- वार्षिक धान्य खरीदी का सीझन अंतिम चरण में रहते समय रूस व युक्रेन के बीच चल रहे युध्द का परिणाम गेहूं पर भी हुआ है और इस समय पूरी दुनिया के खरीददारों द्वारा भारतीय गेहूं को प्राथमिकता दी जा रही है. जिसकी वजह से भारत में गेहूं के दामों में अच्छी-खासी तेजी देखी जा रही है. गत रोज अमरावती कृषि उत्पन्न बाजार समिती में गेहूं को 2100 से 2300 रूपये प्रति क्विंटल के दाम मिले.
* युध्द की वजह से महंगाई बढी
इन दिनों अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं का महत्व काफी अधिक बढ गया है तथा रूस व युक्रेन में गेहूं का उत्पादन काफी घट जाने की वजह से मांग की पूर्ति करने हेतु भारत को काफी अच्छा अवसर प्राप्त हुआ है, क्योेंकि अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए कई देश अब भारतीय बाजारों की ओर मुड रहे है.
* कहां होता है गेहूं का निर्यात
भारत के खानदेश, मध्यप्रदेश व गुजरात क्षेत्र में गेहूं का सर्वाधिक उत्पादन होता है और स्थानीय बाजारों से बांग्लादेश, श्रीलंका, युक्रेन, मलेशिया, चीन, इंडोनेशिया सहित पश्चिम एशियाई देशों में गेहूं का निर्यात किया जाता है. किंतु इस वर्ष भारत में भी गेहूं की उपज अपेक्षाकृत तौर पर थोडी कम रही. ऐसे में स्थानीय खरीददारों सहित अंतरराष्ट्रीय बाजारों में गेहूं के दाम बढ जाने की वजह से गेहूं की दरों में तेजी देखी जा रही है.
* दो वर्षों के दौरान गेहूं के थोक दाम
गेहूं मई 2021 मई 2022
शरबती 2200 2800
मिनी शरबती 2800 3500
लोकवन 2300 2500
मिनी लोकवन 2300 2700
* आटा, रवा व मैदा भी महंगे
गेहूं के दामों में वृध्दि होने का असर आटा, रवा व मैदा की दरों पर भी पडा है. इस समय थोक व फुटकर बाजार में गेहूं का आटा 27 से 30 रूपये प्रति किलो, रवा 32 से 36 रूपये प्रति किलो तथा मैदा 28 से 32 रूपये प्रति किलो के दाम पर बिक रहा है.
युध्द के परिणाम
युध्द की वजह से सभी तरह के किराणा साहित्य व अनाज के दाम बढे है. गेहूं का बडे पैमाने पर निर्यात होने की वजह से देशांतर्गत बाजारों में सभी प्रजाति के गेहूं के दामोें में तेजी दिखाई दे रही है और अगले कुछ दिनों के दौरान गेहूं के दाम और भी अधिक बढ सकते है.
– गोविंद सोमाणी
अध्यक्ष, होलसेल ग्रेन एन्ड शुगर मर्चंट एसो.