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अब आयएमए की चुप्पी क्यों?

कोविड क्लेम के फर्जीवाडे में शामिल डॉक्टर व अस्पताल पर क्या होगी कार्रवाई

अमरावती/दि.11- अमूमन डॉक्टरों पर होनेवाले किसी भी तरह के छोटे अथवा बडे अन्याय को लेकर डॉक्टरों के राष्ट्रीय संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आयएमए) द्वारा गली से लेकर दिल्ली तक एक साथ आवाज उठाई जाती है. किंतु अमरावती शहर में एक डॉक्टर तथा उसके द्वारा संचालित निजी अस्पताल द्वारा फर्जी तरीके से लोगों को कोविड संक्रमित दिखाते हुए कोविड इन्शुरन्स क्लेम का फर्जीवाडा सामने आने के बावजूद आयएमए की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. जबकि महामारी के दौरान मौके का फायदा उठाते हुए शहर के कुछ डॉक्टरों व अस्पतालों द्वारा किये गये फर्जीवाडे में आयएमए की स्थानीय शाखा को आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए.
उल्लेखनीय है कि, जिस तरह कोई भी संगठन अपने सदस्यों के अधिकारों के लिए लडता है, उसी तरह उसकी यह जिम्मेदारी भी बनती है कि, यदि उससे संबंधित किसी सदस्य द्वारा कोई गलत काम किया जाता है, तो उस सदस्य के खिलाफ वह संगठन कार्रवाई करे. ऐसे में अब आयएमए की अमरावती शाखा की यह जिम्मेदारी बनती है कि, वह इस मामले की जांच करने हेतु अपने स्तर पर एक समिती का गठन करे और चूंकि आर्थिक अपराध शाखा द्वारा इस मामले में पांच दिन की जांच पडताल के बाद एफआईआर दर्ज करने के साथ ही यह साबित हो गया है कि, एक व्यक्ति को फर्जी तरीके से कोविड संक्रमित दर्शाते हुए उसके नाम पर कोविड क्लेम पास किया गया है. जिसमें श्रीकृष्ण पेठ स्थित अस्पताल एवं उसके संचालक डॉक्टर का भी समावेश था. ऐसे में आयएमए को चाहिए कि, संबंधित डॉक्टर के लाईसेन्स को सस्पेंड करने की कार्रवाई मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के समक्ष प्रस्तावित की जाये. वरना भगवान का दर्जा प्राप्त डॉक्टरों और उन डॉक्टरों का संगठन रहनेवाले आयएमए से आम जनता का विश्वास उठ जायेगा.

* पालकमंत्री ठाकुर भी लें संज्ञान

अपने आप में बेहद सनसनीखेज रहनेवाले इस मामले का संज्ञान राज्य की कैबिनेट मंत्री तथा जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने भी लेना चाहिए और यह मामला सरकार के सामने भी रखा जाना चाहिए. उल्लेखनीय है कि, जिस समय कोविड संक्रमण की पहली व दूसरी लहर का कहर जारी था, तब सरकार एवं स्थानीय प्रशासन सहित स्वास्थ्य महकमे पर काम का बोझ काफी अधिक बढ गया था और कोविड संक्रमण की चपेट में आनेवाले एक-एक मरीज की जान बचाने और उनका इलाज करने के लिए सरकार द्वारा पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा था. साथ ही कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान संक्रमण की चपेट में आनेवाले लोग कोविड अस्पतालों में भरती होने हेतु एक-एक बेड के लिए तरस रहे थे. किंतु उस समय कई लोगों की गिद्घ दृष्टि भ्रष्टाचार से होनेवाली काली कमाई पर गडी हुई थी और ऐसे लोगों ने आपदा में अवसर ढूंढते हुए फर्जी कोविड संक्रमित मरीज सामने लाने शुरू किये. जिसकी वजह से अमरावती शहर में कोविड संक्रमितों की संख्या बढी हुई दिखाई दी. साथ ही पूरे देश में इसके चलते अमरावती शहर सहित जिले की बदनामी भी हुई. अत: पालकमंत्री यशोमति ठाकुर सहित राज्य सरकार ने भी इस मामले में स्वसंज्ञान लेकर ध्यान देना चाहिए.

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