अमरावती

अब प्रमाणपत्रों के लिए नहीं देनी पडती है घूस

सेतू सुविधा केंद्रोें पर होता है नियमों का पालन

  • नागरिकों के समय पर होते है काम

  • हजार-पांच सौ की रिश्वत की बजाय 10-20 रूपये का शुल्क भरना ही काफी

अमरावती/दि.13 – किसी समय किसी भी तरह के दाखिले या प्रमाणपत्र हेतु नागरिकों को संबंधित सरकारी कार्यालयों में चक्कर पर चक्कर काटना पडता था. साथ ही अपने काम करवाने हेतु हजार-पांच सौ रूपये की रिश्वत भी देनी पडती थी, लेकिन अब सभी तहसील क्षेत्रों में सेतू सुविधा केंद्र शुरू कर दिये गये है, जहां पर सभी प्रमाणपत्र ऑनलाईन मिलते है और इन प्रमाणपत्रों को देने हेतु सरकारी नियमानुसार तय किया गया शुल्क भी देना होता है. हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में तय शुल्क के अलावा 10-20 रूपये का अतिरिक्त शुल्क भी ‘मेंटेनन्स चार्जेस’ के नाम पर लिया जाता है. वहीं शहरी क्षेत्र के सेतु सुविधा केंद्रों में पूरी तरह से नियमों का पालन किये जाने की जानकारी है. साथ ही साथ तय समय पर नागरिकों को उनके प्रमाणपत्र या सरकारी दस्तावेज उपलब्ध हो जाते है. ऐसे में नागरिकों को भी अब काफी सुविधा होने लगी है.

सेतु केंद्र पर कौनसा प्रमाणपत्र कितने रूपये में?

सर्वसाधारण प्रतिज्ञा लेख – 33.60
आय प्रमाणपत्र – 33.60
अल्प भूधारक प्रमाणपत्र – 33.60
जेष्ठ नागरिक प्रमाणपत्र – 33.60
जाति प्रमाणपत्र – 57.20
नॉन क्रिमिलेयर – 33.60

अधिकांश केंद्रों में तय शुल्क पर ही काम

शहरी क्षेत्र सहित तहसील क्षेत्र में तहसीलदार व पंचायत समिती कार्यालय के पास रहनेवाले सेतु सुविधा केंद्र के दर्शनी हिस्से में प्रमाणपत्रों के नामों की सूची और इस हेतु लगनेवाले शुल्क के फलक लगे दिखाई देते है और इस सरकारी दरसूची के अनुसार ही शुल्क लेकर नागरिकों के काम किये जाते है.

ग्रामीण क्षेत्र 10-20 रूपये का ‘ओवर चार्ज’

तहसील मुख्यालयों से काफी दूरदराज के क्षेत्र में रहनेवाले गांवों को सेतु सुविधा केंद्र में प्रमाणपत्रों हेतु लगनेवाले निश्चित शुल्क के अलावा 10 से 20 रूपये का अतिरिक्त शुल्क भी लिया जाता है. हालांकि गांव में ही अपने काम फटाफट व समय पर हो जाने की सुविधा मिलने के चलते नागरिकों द्वारा इसकी अनदेखी की जाती है. क्योंकि इससे पहले उन्हें इसी काम के लिए तहसील मुख्यालय के चक्कर काटने के साथ-साथ वहां पर ‘नजराना’ भी पेश करना पडता था. जिसकी तुलना में 10-20 रूपये अतिरिक्त देना काफी सस्ता सौदा है.

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