‘मोटे पेट’ वाले पुलिस की संख्या बढी

अनिश्चित समय में कैसे नियंत्रित रखेंगे स्वास्थ्य

  • नियमित स्वास्थ्य जांच, विशेष प्रशिक्षण

अमरावती/दि.9 – मोटापा यह पुलिस के सामने बडी समस्या है. मोटा पेट होने के बाद इन पुलिस वालों को अनेक समस्याओं का सामना करना पडता है. पुलिस की यह समस्या हल करने के लिए अब वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने ही कुछ योजना बनाई है.
पुलिस को इससे पहले निजी अस्पताल में ही फिटनेस प्रमाणपत्र लेते आता था. अब वह केवल शासकीय अस्पताल से लेना पडता है. जिससे अनेकों की उसके लिए भागादौडी शुरु रहती है. पुलिस दल में फिटनेस यह कायम रखना पडता है. अपराधियों का पीछा, दंगा नियंत्रण में लाना, आपातकालीन समय पर होने वाली भागादौडी, इसके लिए यह फिटनेस चाहिए, किंतु अनेक पुलिस कर्मचारी इस ओर दुर्लक्ष करते है. परिणाम स्वरुप उनका मोटापा बढते जाता है. इस मोटे पेट वाले पुलिस कर्मचारियों से पुलिस दल में आवश्यक काम नहीं होते. मजबूरन उन्हें बैठा काम देना पडता है. जिससे समय समय पर उनका ब्लड पे्रशर, शुगर आदि की जांच की जाती है. योगासन, मेडिटेशन, वैद्यकीय मार्गदर्शन भी तंज्ञों की ओर से किया जाता है, ऐसा पुलिस ने बताया.

854 अर्जी

55 से 58 आयुगुट के पुलिस कर्मचारियों को फिटनेस सर्टीफिकेट देना बंधनकारक है. उसके लिए जिला सरकारी अस्पताल की सेवा ली जाती है. पुलिस आयुक्तालय में फिटनेस सर्टीफिकेट के संदर्भ में 854 अर्जी आयी है.

कैसे कायम रखे स्वास्थ्य

शहर तथा ग्रामीण में अपराध बढ रहे है. किंतु उस तुलना में पुलिस विभाग में मानव संसाधन का अनुशेष बढ रहा है. जिससे अनेक पुलिस कर्मचारियों को विविध काम करने पडते है. अनेक स्तर पर लडना पडता है. बंदोबस्त के समय में तो पेट में समय पर अनाज भी नहीं पडता. पुलिस कर्मचारी स्वास्थ्य कैसा कायम रखेंगे, इस तरह का प्रश्न निर्माण हुआ है.

भोजन को भी समय नहीं मिलता

त्यौहार व उत्सव के दिनों में फिक्स पॉईंट लगाए जाते है. जिससे कानून व सुव्यवस्था को अबाधित रखने 24 बाय 7 तैनात रहना पडता है. जिससे कई बार खाना खाने समय नहीं मिलता.
– एक पुलिस कर्मचारी

कोरोना काल में महामार्ग पर पोलिसी टेंड खडे किये गए. किंतु उस दौरान खाना तो छोडे, पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं थी. घर से डब्बा ले जाने के बाद खाना मिलता था.
– एक पुलिस कर्मचारी

Back to top button