अमरावती/दि.13 – इंसानों द्बारा जंगली जानवरों के अधिवास को नष्ट कर दिया गया है. ऐसे में वन्य जीवों के पास अपने रहने व छिपने के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध नहीं है. जिसके चलते अब जंगली जानवर धीरे-धीरे इंसानों के रिहायशी क्षेत्र में आने लगे है. जिसमें तेंदूओं की संख्या सर्वाधिक है. जो आए दिन इंसानी बस्तियों में देखे जा रहे है.
जानकारी के मुताबिक राज्य में इस समय करीब 2800 तेंदूए रहने की बात दर्ज है. साथ ही तेंदूओं का अधिवास निश्चित तौर पर कौन सा है. यह अब संशोधन का विषय बन गया है. व्याघ्र प्रकल्प में तेंदूओं की संख्या बढने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में तेंदूओं द्बारा किए जाने वाले हमलों का प्रमाण बढ गया है. जिनसे ग्रामीण क्षेत्र के नागरिक त्रस्त हो गए है. विगत कुछ दिनों से ग्रामीण क्षेत्रों के घरों, खेतों व परिसरों के साथ ही शहरी क्षेत्रों में भी तेंदूएं दिखाई देने लगे है. जंगलों में तेंदूओं को पर्याप्त खाद्य उपलब्ध नहीं होने के चलते वे अब शिकार के लिए ग्रामीण व शहरी क्षेत्र का रुख करने लगे है.
वहीं दूसरी ओर वर्ष 2022 में जनवरी से दिसंबर के दौरान राज्य के 42 तेंदूओं की मौत हुई. विशेष तौर पर जिन क्षेत्रों में शिकार पर प्रतिबंध है, उन्हीं क्षेत्रों में अवैध तरीके से 15 तेंदूओं का शिकार किया गया. इसके अलावा विदर्भ क्षेत्र के मेलघाट, ताडोबा अंधारी, बोर, पेंच व नवेगांव-नागझिरा सहित पश्चिम महाराष्ट्र के सौह्याद्री अभयारण्य में तेंदूओं की संख्या ओवर फ्लो हो गई है. उल्लेखनीय है कि, जंगलों में तेदूओं को बाघों से खतरा होता है. ऐसे में बाघों से छिपने के लिए तेंदूएं जंगलों से निकलकर गन्ने के खेतों व संतरे के बगीचों सहित भरपूर पानी व आसान शिकार की सुविधा वाले स्थानों का रुख करते है. यहीं वजह है कि, इन दिनों अमरावती जिले के पोहरा, वरुड, चांदूर रेल्वे, मोर्शी व भातकुली तहसील सहित अमरावती शहर के सीमावर्ती इलाकों में आए दिन तेंदूएं दिखाई देने लगे है.