अमरावती

शहर सहित जिले में बढ़ रही आवारा श्वानों की संख्या

नागरिकों में दहशत, रोजाना ७२ लोगों को श्वानदंश, नियंत्रण के लिए परिणामकारक उपाय योजना नहीं

अमरावती / दि. २३– शहर सहित जिले में आवारा श्वानों का आतंक बढने से नागरिकों में दहशत निर्माण हुई है. जिला प्रशासन की उदासिनता, आवारा श्वानों की संख्या नियंत्रित रखने के लिए परिणामकारक उपाय योजना नहीं की जाने से बढ़ रही है. प्राणिमित्र संगठन का दबाव, श्वानों को एन्टी रेबीज टीका देने की मुहिम धीमी हो गई है. श्वानों की नसबंदी शल्यक्रिया का अभाव इन कारणों से श्वानों की संख्या दिन ब दिन तेजी से बढ रही है. पिछल १० महिने में श्वानों ने २१ हजार ६८३ नागरिकों को कांटने की घटना हुई है. यानी एक दिन में ७२ तथा एक घंटे में ३ नागरिक श्वानदंश के शिकार हुए है. जिसकी वजह से आवारा श्वानों को लेकर शहर सहित पूरे जिले में दहशत का वातावनण निर्माण हुआ है. दिसंबर शेष है. पिछले वर्ष की तुलना में इस बार यह प्रमाण १ हजार २६५ से बढ़ गया है. जिस समय श्वानों को असुरक्षित महसूस होने पर, तथा मनुष्य अपना खाना छिनने की भावना, तथा श्वान पर हमला करने के डर से वे अपने बचाव के लिए मनुष्य को काटते है, ऐसा प्राणिमित्रों का कहना है. पिछले दस महिने से शहर सहित जिले में आवारा श्वानों का उपद्रव बढ गया है. आवारा श्वानों की संख्या नियंत्रित करनेवाली प्रबल उपाय योजना ही प्रशासन द्वारा नहीं चलाये जाने से उनकी संख्या दिन ब दिन बढ़ रही है. पिछले वर्ष २२९४८ तथा इस वर्ष केवल १० माह में ही २१ हजार ६८३ लोगों को आवारा श्वान ने काटने की घटना हुई. उन्हें तत्काल उपचार करना पडा. आवारा श्वानों की संख्या को नियंत्रित रखने के लिए जिला व मनपा प्रशासन ने तुरंत कदम उठाने की जरूरत है. तथा आवारा श्वानों को एन्टी रैबीज टीका दिया जाए. जिससे मनुष्य आवारा श्वानों से सुरक्षित रहेंगे, यह मांग नागरिक कर रहे है.

दर्ज की गई घटना
जिला सामान्य अस्पताल में १२३६३, अंजनगांव सुर्जी-११२१, भातकुली-३०४, चांदुर रेल्वे-४२५, चांदूर बाजार १३४७, चिखलदरा-५५, धारणी २७०, धामणगांव रेलवे २७४, नांदगांव खंडेश्वर ५१३, वरूड़ ६९१, तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अचलपुर में १७४६, दर्यापुर ७८७, मोर्शी ६४६, तिवसा ४५६.

असुरक्षा की भावना से आक्रामक
श्वानों में असुरक्षा की भावना जिस समय निर्माण होती है तथा जिस समय उन्हें अपना बचाव करना आवश्यक लगता है, उस समय वे काटते है. उसी प्रकार प्रजनन काल में भी मादा श्वान आक्रामक होती है. श्वानों को यदि खाना नहीं मिला, अथवा वे कई दिनों से भुखे रहे तो आक्रामक होते है.
डॉ.सचिन बोंद्रे, पशुशल्य चिकित्सक

बंदोबस्त करना जरूरी
रात के समय काम के सिलसिले में लोग बाहर निकलने के बाद आवारा श्वानों की टोली रास्ते पर दिखाई देने पर नागरिक डर जाते है. और अपना मार्ग बदल देते है. रास्ते पर तथा गली, मोहल्ले में आवारा श्वानों का डेरा दिखाई देने से नागरिकों में भय व्याप्त हो रहा है. जिला व मनपा प्रशासन ने आवारा श्वानों का बंदोबस्त करना जरूरी हो गया है.

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