शहर में उंची इमारतों की संख्या बढी, लेकिन अग्निरोधक यंत्र नहीं
गत वर्ष शहर में 889 आगजनी की घटना
* ग्रीष्मकाल में तापमान बढने से घटित होती है ऐसी घटनाएं
* शासकीय कार्यालय के अग्निशमन यंत्र की तरफ भी अनदेखी
अमरावती/दि.02– ग्रीष्मकाल की अब शुरुआत होने लगी है. तापमान धीरे-धीरे बढने लगा है. हरवर्ष बढते तापमान के प्रभाव से आग की घटनाएं घटित होती है. लेकिन आग लगने पर कौनसी उपाययोजना की जाए अथवा हमारे पास अग्निरोधक व्यवस्था है या नहीं इस ओर अधिकांश नागरिक तथा शासकीय विभाग की अनदेखी रहती है. ऐसी स्थिति में जीवितहानी सहित बडा नुकसान सहन करना पडता है. अमरावती शहर में अब उंची इमारते देखने मिल रही है. लेकिन अनेक लोग अग्निरोधक लगाना भूलते दिखाई दे रह है. ऐसे में अनेक शासकीय विभाग के कार्यालयों में लगे अग्निशमन यंत्र की तरफ भी अनदेखी होती दिखाई दे रही है.
गत वर्ष जनवरी से दिसंबर 2023 तक अमरावती शहर में 889 स्थानों पर आग लगने की घटना घटित हुई थी. 3 अगस्त 2023 को कैंप रोड के डाक घर में भीषण आग लगी थी. इस आग में दस्तावेज सहित फर्निचर जलकर राख हो गया था. तखतमल मार्केट की आग में 2 से 3 दुकाने जलकर राख हो गई थी. मोर्शी तहसील के हिवरखेड ग्राम के एसटी बस स्टैंड के पास होटल में सिलेंडर का विस्फोट होकर लगी आग में 30 लाख रुपए का नुकसान हुआ था. ऐसी अनेक घटनाओं में अग्निरोधक उपलब्ध न रहने की बात अब तक उजागर हुई है.
* इमारतो में अग्निशमन यंत्र लगाने के नियम
अग्निशमन यंत्र अनेक बार आपातकालिन परिस्थिति में छोटी आग को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किए जानेवाला उपकरण है. फायर सेप्टी के लिए अग्निशमन उपकरण की नियमित जांच आवश्यक रहती है. पोर्टेबल अग्निशमन यंत्र की साल में कम से कम एक बार जांच करना आवश्यक है और सूखे रासायनिक अग्निशमन यंत्र की सर्विसींग हर तीन साल में एक बार करना आवश्यक है. इसके अलावा अग्निशमन डिस्चार्ज की मासिक जांच करनी चाहिए. साथ ही प्रत्येक अग्निशमन यंत्र पर देखरेख टैग चिपका हुआ रहना चाहिए. टैग सेवा की अंतिम तारीख सूचित करती है.
* 178 इमारतो का फायर ऑडीट
फायर ऑडीट करने के लिए शासन ने एजंसी नियुक्त की है. इसके लिए विभाग की एनओसी लेनी पडती है. अमरावती शहर में अग्निशमन विभाग ने गत वर्ष में 178 इमारत धारको को एनओसी दी है. तथा 45 इमारत संचालको को नोटीस देकर फायर ऑडीटबाबत सूचना दी है.
* जांच के बाद ही एनओसी
फायर ऑडीट शासन द्वारा नियुक्त एजंसी के जरिए किया जाता है. अग्निशमन विभाग के जरिए संबंधित इमारत का जायजा कर सभी जांच की जाती है. पश्चात इमारत संचालक को एनओसी दी जाती है. नागरिको को अपनी इमारत का फायर ऑडीट कर लेना आवश्यक है.
– अजय पंधरे, अग्निशमन अधीक्षक, मनपा.