राज्य में बाघों की संख्या बढी, लेकिन अभयारण्य अधिवास की कमी
बाघों का अधिवास सुरक्षित करने ‘एक्शन प्लॉन’ तैयार करना जरुरी
अमरावती/दि. 12– भारतीय वन्यजीव संस्था व राष्ट्रीय व्याघ्र संवर्धन प्राधिकरण की गणना के मुताबिक राज्य में 446 बाघों की संख्या रिकॉर्ड की गई है. लेकिन बाघों की बढती संख्या के मुताबिक व्याघ्र प्रकल्प समेत अभयारण्य, राष्ट्रीय उद्यान में बाघों का अधिवास कम पड रहा है. इस कारण आगामी समय में मनुष्य-वन्यजीव संघर्ष का भय बढा है.
किसी समय नामशेष होने की कगार पर रहे बाघों की संख्या पिछले कुछ साल में काफी बढी है. इस तुलना में अधिवास कम पड रहा है. इस कारण ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प के बाघ शिकार के लिए या फिर नए अधिवास की खोज के लिए यवतमाल, नांदेड के जंगलों तक आने लगे हैं. मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में अभी से 8 से 10 गांव का पुनर्वसन नहीं हुआ है. इस कारण मेलघाट के बाघ अकोट, काटेपूर्णा होते हुए बुलढाणा तक भ्रमण करते हैं तथा कुछ बाघ सह्याद्री पहाडों से होते हुए वरुड-मोर्शी तक आ जाते हैं. ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प से कुछ बाघ नागपुर, कलमेश्वर, वर्धा जिले तक आते रहने की जानकारी वन अधिकारियों ने दी है.
पेंच, नागझीरा व बोर के बाघों को भी जंगल क्षेत्र कम पडता रहने से नए अधिवास की खोज करने पड रही है. बाघों की बढती संख्या को देखते हुए शासन व्दारा बाघों का अधिवास सुरक्षित करने के लिए ‘एक्शन प्लॉन’ तैयार करना आवश्यक है.
* मेलघाट, ताडोबा में बाघों को शिकार के लिए पोषक वातावरण
विदर्भ के ताडोबा-अंधारी और मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में बाघों की संख्या बढती ही जा रही है. यहां बाघों के लिए खुराक उपलब्ध है. किसी बाघ व्दारा शिकार किए जाने के बाद उसे सप्ताहभर की खुराक उपलब्ध होती है. इस व्याघ्र प्रकल्प में बाघ की खुराक के लिए जंगली भैंसे, हिरण, जंगली सूअर, श्वान, बंदर, नीलगाय, बारासिंगा आदि समेत अनेक प्रजाति के वन्य प्राणी उपलब्ध है. मेलघाट, ताडोबा में कुरण क्षेत्र का भारी मात्रा में विस्तार हुआ है. कुरण क्षेत्र सुस्थिति में रहने से वन्यप्राणी अधिक है. इन वन्यप्राणियों का बाघ शिकार कर जंगल का संवर्धन, संरक्षण करता है. यह विशेष.
* बाघों की संख्या
ताडोबा-अंधारी 95 से 100
मेलघाट 55 से 65
पेंच 45 से 50
बोर 9 से 12
राष्ट्रीय उद्यान 50 से 60
अभयारण्य 23 से 28