अमरावती

परिजनों के प्रेम से होता है ‘सुपोषण’

‘मिशन 28’ की सफलता

* मातामृत्यु, बालमृत्यु में कमी आने का दावा
मांजरखेड (अमरावती) /दि.10- मेलघाट नैसर्गिक सौंदर्य के लिए विख्यात है और कुपोषण के कारण कुप्रसिध्द है. लेकिन अब मेलघाट में कुपोषण कम हो रहा है. यहां की मातामृत्यु और बालमृत्यु का प्रमाण कम होने का दावा आंकडेवारी से किया जा रहा है. कुपोषण की बजाय सुपोषण शब्द यहां सुनने मिल रहा है. ‘मिशन 28’ के कारण यह प्रयास किए जा रहे है.
मेलघाट में वर्ष 2021-22 में 7136 बालकों का जन्म हुआ. दुर्भाग्यवश इसमें के एक वर्ष से कम आयु के 150 बालक और 1 से 6 वर्ष की आयु के 45 ऐसे कुल 195 बालकों की मृत्यु हो गई थी. इस कालावधि में संपूर्ण मेलघाट में 5 मातामृत्यु हुई. वर्ष 2022-23 में 6852 बालकों में से एक वर्ष से कम आयु के 131 तथा 1 से 6 वर्ष की आयु के 44 ऐसे कुल 175 बालकों की मृत्यु हो गई. यह आंकडा पिछले वर्ष की तुलना में 20 से कम है. साथ ही वर्ष 2022-23 में संपूर्ण मेलघाट में 3 मातामृत्यु हुई है. यानी पिछले वर्ष की तुलना में यह आंकडा भी कम है. बालमृत्यु और मातामृत्यु में कमी दिखाई देती है. मेलघाट में बालमृत्यु व मातामृत्यु रोकने के लिए अमरावती जिला परिषद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अविश्यांत पंडा ने ‘मिशन 28’ उपक्रम शुरू किया है. इसमें बालक के जन्म के पूर्व 28 दिन और जन्म के बाद 28 दिन अंगणवाडी सेेविका, आशा वर्कर और डॉक्टरों के माध्यम से और भी ध्यान रखा जाता है. इसमें माता का स्वास्थ्य, आहार, आराम तथा बालक को दूध पिलाना आदि का समावेश है. अंगणवाडी में पति, सास और ननद की बैठके लेकर गर्भवती माता और बालक बाबत आगामी 1 हजार दिनों के पिताकरण बाबत मार्गदर्शन मिलने से परिवार में प्यार के रिश्ते अटूट हो रहे है.
* जन्म से लेकर दो वर्ष तक सावधानी जरूरी
माता के गर्भवती से लेकर बच्चे के जन्म तक 285 दिन और बच्चे के जन्म के बाद दो वर्ष तक सावधानी आवश्यक है. इस दौरान गर्भवती अथवा बालक को खांसी, बुखार, कमजोरी, सिरदर्द रहा तो कॉल सेंटर को तत्काल जानकारी दी जाती है. वरिष्ठ अधिकारी, आशा वर्कर, अंगणवाडी सेविका व स्वास्थ्य कर्मचारी के परिश्रम के और परिवार के सहयोग से मेलघाट में कुपोषण कम हो रहा है और सुपोषण बढ रहा है.
भीमराव वानखडे, सीडीपीओ, चिखलदरा

Related Articles

Back to top button