अमरावती/दि.2- अभी शालाओं को शुरू होने में करीब एक माह का समय बाकी है. किंतु 197 दिनों के लिये पोषाहार के अनाज का कोटा सभी शालाओं को भेजा जा रहा है. उल्लेखनीय है कि, जिले में 300 से अधिक जिप शालाओं की ईमारतें जर्जर और खस्ताहाल है. साथ ही सामने बारिश का मौसम है. जिसके चलते अनाज के खराब होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता. ऐसे में सभी मुख्याध्यापकों और शिक्षकों को अब शालाएं शुरू होने तक पोषाहार के अनाज की देखभाल का काम करना पडेगा.
बता दें कि, शालेय पोषाहार योजना अंतर्गत 2 हजार 389 शालाओं में 1 ली से 8 वीं तक की कक्षाओं के सभी विद्यार्थियों को पका-पकाया पोषाहार दिया जाता है. ऐसे में भोजन पकाने हेतु शालाओं को तय समय पर अनाज की आपूर्ति करना आवश्यक व अनिवार्य किया गया है. लेकिन फिलहाल सभी शालाएं बंद है और विगत मई माह के प्रारंभ से ही सभी शालाओं को गत वर्ष के शेष रहनेवाले 197 दिनों के पोषाहार की आपूर्ति की गई. परंतू इस समय जिप शालाओं के इमारत की अवस्था और सामने रहनेवाले बारिश के मौसम को देखते हुए यह अनाज खराब होने का खतरा है. साथ ही अनाज के चोरी होने की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता. ऐसे में संबंधित शालाओं की व्यवस्थापन समितियों एवं शिक्षकोें को अनाज सुरक्षित रखने हेतु काफी कसरत करनी पडेगी.
* … तो विद्यार्थियों के स्वास्थ्य हेतु हो सकता है खतरा
पोषाहार योजना अंतर्गत सभी शालाओं को समय से पहले आवंटित किये गये अनाज के बारिश में सडने, उसमें इल्लियां व सोंडे तैयार होने अथवा उसमें छिपकली व बिच्छू जैसे जहरिले जानवरों के घुसने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता. ऐसा होने पर इस दूषित अनाज का प्रयोग कर पकाये गये भोजन से विद्यार्थियों का स्वास्थ्य खतरे में आ सकता है.
* शालाएं गोदाम की तरह सुरक्षित नहीं
पोषाहार के अनाज को सरकारी गोदाम में रखकर उसे समय पर शालाओं को उपलब्ध कराना काफी योग्य रहता है. किंतु पोषाहार विभाग व शालेय शिक्षा विभाग ने ऐसा करने की बजाय शालाएं शुरू होने से डेढ माह पहले ही अनाज को शालाओं में भिजवा दिया. जिसके चलते सवाल पूछा जा रहा है कि, क्या गोदामों की तुलना में शालाएं ज्यादा सुरक्षित है?
पोषाहार योजना पर योग्य तरीके से अमल करना यह हमारा कर्तव्य है, लेकिन फिलहाल शालाएं बंद है और शालाओं को शुरू होने में अभी करीब एक माह का समय भी बाकी है. ऐसी स्थिति में गत वर्ष के शेष रहनेवाले 197 दिनों के लिए इस योजना के तहत अनाज सहित अन्य साहित्य की आपूूर्ति की गई. ऐसे में अब हमें इस अनाज को संभालकर रखने का जतन करना पड रहा है.
– राजेश सावरकर
मुख्याध्यापक
शालेय पोषाहार के लिए आनेवाले अनाज को शालाओं के पास भेज दिया जाता है. अभी जो अनाज शालाओं को भेजा गया है, वह गत वर्ष के 197 दिनों के वितरण हेतु प्राप्त हुआ है. यद्यपि इस समय शालाएं बंद है, परंतू पैकिंग किये गये इस पोषाहार के स्टॉक को तुरंत ही विद्यार्थियों में वितरित करने के निर्देश जारी किये गये है.
– स्वप्नील सुपासे
शालेय पोषाहार योजना