ओबीसी आरक्षण का मसला हल होने तक स्थगित रखे जायें चुनाव
पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे पाटील का कथन
* कोर्ट के आदेश को बताया राज्य सरकार की नाकामी
* बोेले, ओबीसी विरोधी है महाविकास आघाडी सरकार
अमरावती/दि.9- राज्य सरकार की ओर से ओबीसी आरक्षण को लेकर जारी किये गये अध्यादेश पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्थगिति दिये जाने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने स्थानिय स्वायत्त निकायों में ओबीसी आरक्षित सीटों को छोडकर अन्य सीटों पर चुनाव करवाये जाने का फैसला किया गया है. जिसे पूरी तरह से गलत फैसला बताते हुए पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे पाटील ने ओबीसी आरक्षण का मसला हल होने और सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस पर अंतिम फैसला सुनाये जाने तक स्थानिय स्वायत्त निकायों के चुनाव स्थगित ही रखे जाने की मांग की है. साथ ही उन्होंने ओबीसी आरक्षण के मामले को लेकर पैदा हुए गतिरोध के लिए पूरी तरह से राज्य की महाविकास आघाडी सरकार को जिम्मेदार बताया है. जिसके तहत पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे ने महाविकास आघाडी सरकार को ओबीसी विरोधी करार दिया.
ओबीसी आरक्षण के मसले को लेकर पूर्व जिला पालकमंत्री प्रवीण पोटे पाटील का कहना रहा कि, यदि ओबीसी आरक्षित सीटों को छोडकर ग्रामपंचायतों व नगर पंचायतों सहित जिला परिषदों में चुनाव कराये जाते है, तो नगराध्यक्ष व सरपंच पदों के चुनाव प्रभावित होंगे. क्योंकि कई स्वायत्त निकायों मेें यह पद भी ओबीसी संवर्ग के लिए आरक्षित होते है. साथ ही यदि कल चलकर ओबीसी आरक्षण का मसला हल होता है और ओबीसी आरक्षित सीटों पर चुनाव कराया जाता है, तो एक ही स्वायत्त निकाय में दो बार चुनावी आचार संहिता लागू करने के साथ साथ पैसे व समय की बरबादी भी होगी. इसके अलावा पहले संपन्न हो चुके चुनाव के वजह से ओबीसी सीटों की चुनावी नतीजे भी प्रभावित होंगे. वहीं ओबीसी सीटों पर चुनाव होने के बाद सरपंच व नगराध्यक्ष पद सहित विषय समिति सभापति पद को लेकर दावे प्रतिदावे पैदा होंगे और कोर्ट कचहरी के मामले बढेंगे, ऐसे में ज्यादा बेहतर है कि, राज्य निर्वाचन आयोग द्बारा फिलहाल स्थानिय स्वायत्त निकाय के चुनाव को स्थगित ही रखा जाए तथा जब ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्बारा अंतिम फैसला सुना दिया जाएगा, तब चुनावी प्रक्रिया शुरु की जाये.
इसके साथ ही पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे पाटील ने राज्य की महाविकास आघाडी सरकार को ओबीसी विरोधी करार देते हुए कहा कि, नौ माह पूर्व सुप्रीम कोर्ट द्बारा राज्य सरकार को ओबीसी समाज का इम्पिरिकल डेटा संकलित करने का निर्देश दिया गया था. किंतु इन नौ माह के दौरान राज्य सरकार ने इस काम की शुरुआत तक नहीं की. जिसके लिए पिछली सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को कडी फटकार भी लगाई है. लेकिन अपनी नाकामी को छिपाने के लिए राज्य सरकार द्बारा केंद्र सरकार सहित राज्य की पूर्ववर्ती फडणवीस सरकार पर आरोप लगाये जा रहे है. लेकिन महाविकास आघाडी के नेताओं के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि, उन्हें राज्य की सत्ता में आये हुए करीब ढाई वर्ष हो चुके है. इस दौरान उन्होंने ओबीसी समाज के लिए क्या किया. पूर्व पालकमंत्री पोटे के मुताबिक राज्य की महाविकास आघाडी सरकार ओबीसी आरक्षण को लेकर ढुलमूल रवैया अपनाते हुए केवल टाईमपास करने की नीति पर चल रही है. जिसकी वजह से आज ओबीसी समाज को 27 फीसद राजनीतिक आरक्षण से वंचित रहना पडा है.