चांदूर रेलवेप्रतिनिधि/दि.८- देश में ओबीस महासमाज मंडल आयोग कमिशन के अनुसार दिए गए २७ फीसदी आरक्षण की धज्जियां उडाई जा रही है. जिसके विरोध और ओबीसी आरक्षण को बचाने के लिए वंचित बहुजन आघाडी की ओर से एड. प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व में पहले चरण में राज्यभर में निवेदन देकर सरकार को कुंभकर्णी नींद से जगाने का अभियान शुरु किया गया है. इसी कडी में वंचित बहुजन आघाडी, महिला आघाडी, युवक आघाडी व सम्यक विद्यार्थी आघाडी की ओर से चांदूर रेलवे के एसडीओं के मार्फत राष्ट्रपति को निवेदन भेजा गया. निवेदन में बताया गया है कि वी.पी सरकार ने १९९० में मंडल आयोग लागू किया. प्रत्यक्ष ३ हजार ४२ जाती व ५२ फीसदी जनसंख्या वाले ओबीसीयों को २७ फीसदी आरक्षण कम था, एचओबीसी संगठन ने इस बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय को दी शिकायत में बताया है कि, वर्ष २०१७ से १० हजार से अधिक ओबीसी उम्मीदवारों को मेडिकल स्नातक व स्नाकोत्तर स्तर पर पाठ्यक्रम में प्रवेश प्रक्रिया के लिए आरक्षण नकारकर उस जगह खुले समूह की उच्च श्रेणी छात्रों को समाहित किया गया है. केंद्रिय स्तर पर अखिल भारतीय वैद्यकीय काउंसील द्वारा देश के सभी वैद्यकीय महाविद्यालयों में प्रवेश देने की प्रक्रिया होती है, इनमें राज्य व केद्र शासित प्रदेशों के वैद्यकीय संस्थाओं में ओबीसी आरक्षण लागू नहीं करने का परिणाम है. सरकार की इस आरक्षण विरोधी नीति के खिलाफ कुछ लोगों ने सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगायी. लेकिन न्यायालय में इस पर निर्णय लेते हुए आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं होने के स्पष्ट निर्देश दिए. भाजपा सरकार जब से सत्तारुढ हुई है तब से आरक्षण की धज्जियंा उडायी जा रही है. देश में २७ फीसदी ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा रहा है. मेडिकल प्रवेश में भी ११ हजार ओबीसी मेडिकल की सीटें दरकिनार की जा रही है. इसके अलावा ओबीसी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति ५०० करोड से ३४ करोड पर आ गई है. स्थानिय स्वराज संस्थाओं का राजनीतिक आरक्षण भी दरकिनार करने का प्रयास किया जा रहा है. वंचित बहुजन आघाडी ने इसका तीव्र विरोध जताया है और कहा है कि, सरकार ने ओबीसी विरोध की खुरापतें बंद करनी चाहिए अन्यथा पार्टी की ओर से राज्यभर में तीव्र आंदोलन किया जाएगा. निवेदन सौंपते समय वंचित बहुजन आघाडी के जिलाउपाध्यक्ष प्रा. रविंद्र मेंढे, चंदू उके, बेबीनंदा लांडगे, संदीप गवई, अजय राउत, प्रणय चवरे, रवींद्र मेश्राम, प्रेमचंद अंबादे, गजानन मोहोड, राष्ट्रपाल मेश्राम, सतिश वानखडे, सहित अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे.