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मोटे लोगों को कोरोना का ज्यादा खतरा

एसीई-2 रिस्पेटर की वजह से हाई रिस्क; 10 वजहों से बढ़ता है वजन

अमरावती/प्रतिनिधि.दी.८-कोरोना का मोटापे के साथ भी कनेक्शन सामने आ रहा है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि ज्यादा वजन और मोटे लोग कोरोनावायरस की चपेट में आने पर गंभीर रूप से बीमार हो सकते हैं। उनकी मौत होने की आशंका भी ज्यादा है। एक अन्य शोध में पाया गया कि बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 25 से ज्यादा वाले लोगों में कोरोना से संक्रमित होने का जोखिम ज्यादा होता है।डॉक्टर उमा कुमार कहती हैं कि जो जितना ज्यादा मोटा होगा, उसे कोरोना का रिस्क उतना ज्यादा होगा। पहले भी जब इन्फ्लुएंजा महामारी, स्वाइन फ्लू बीमारी आई थी, तब भी मोटे लोग हाई रिस्क कैटेगरी में थे।

फैट सेल्स में एसीई-2 रिस्पेटर लंग्स से भी ज्यादा पाए गए
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) में रुमेटोलॉजी डिपॉर्टमेंट में एचओडी डॉ. उमा कुमार के मुताबिक मोटे लोगों के सेल्स में एसीई-2 रिस्पेटर होते हैं। इसके चलते अधिक वजन और मोटे लोगों को कोरोना का खतरा ज्यादा है। ऐसा कुछ एक स्टडी में पाया भी गया है। दरअसल, फैट सेल्स में एसीई-2 रिस्पेटर लंग्स से भी ज्यादा पाए गए। ये रिस्पेटर जिन सेल्स में ज्यादा होंगे, उनमें वायरस का खतरा उतना ही ज्यादा होता है। ऐसे लोगों को सीवियर डिसीज का खतरा ज्यादा रहता है।
लंग्स में भी यही एसीई-2 रिस्पेटर होते हैं। इन्हीं रिस्पेटर्स के माध्यम से लंग्स में भी वायरस जाता है। सेल्स के अंदर वायरस जाने के लिए ये रिस्पेटर्स जरूरी होते हैं। इसलिए यह माना जा रहा है कि मोटे या अधिक वजन वाले लोगों को कोरोना का खतरा ज्यादा है, वह इसी वजह से है, क्योंकि फैट सेल्स पर एसीई-2 रिस्पेटर्स ज्यादा मिल रहे हैं।

मोटापे की प्रमुख वजहें?
डॉक्टर उमा कुमार मोटापा या वजन बढ़ने के पीछे कई आदतों को जिम्मेदार बताती हैं। कहती हैं कि मोटापा जेनेटिक भी होता है, एक्टीविटी कम होने, डेस्क जॉब होने से भी वजन बढ़ता है। बच्चों में मोटापा मैदान में न खेलने से आता है। डाइट में जंक फूड लेने या फूड पैटर्न में बदलाव से भी वजन बढ़ने का डर रहता है। रात में नींद नहीं पूरी होना या रात में ज्यादा खाना खाने से मोटापा बढ़ता है।

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