अमरावतीविदर्भ

आकोला-खंडवा गेज परिवर्तन मेलघाट से बाहर करने पर खंडवावासियों को आपत्ति

(Akola-Khandwa) विधायक के माध्यम से रेलमंत्री को दिया ज्ञापन

जनमंच ने विधायक देवेंद्र वर्मा से मुलाकात की

परतवाड़ा/मेलघाट-: देश मे उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोड़ने वाले सबसे नजदीकी रेल मार्ग और अरावली पर्वत के एक खास हिस्से पर रेलगेज परिवर्तन का कार्य चल रहा है ।इसमें मेलघाट टाइगर रिजर्व के बाहर से रेल बायपास बनाने को पड़ोसी मध्यप्रदेश के खंडवावासियों ने तीव्र विरोध दर्शाया है । खंडवा स्थित सामाजिक संघटन जनमंच ने खंडवा -आकोट रेल मार्ग को जबरन जामोद, संग्रामपुर से जोड़ने के प्रयत्नों पर आपत्ति प्रकट कर रेलमंत्री को ज्ञापन देने की जानकारी मिली है।
          ‘अमरावती मंडल’ के प्रस्तुत प्रतिनिधि ने खंडवा के हमारे संपर्क सूत्र विजय कृपलानी से इस बारे में जब जानकारी हासिल की तब मालूम पड़ा कि मध्यप्रदेश के रेलयात्री इस ट्रेन को बुलढाणा की ओर मोड़ने के सख्त खिलाफ है । यदि बुलढाणा के सांसद प्रतापराव जाधव यह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ठाकरे से मिलकर ऐसी कोई तिकड़म रचाते है तो इस मनसूबे को खंडवा की जनता कतई बर्दाश्त नही करेंगी । खंडवा की जनमंच संस्था ने रेल को मेलघाट से बायपास ले जाने के प्रयत्न पर आश्चर्य व्यक्त किया है । विजय कृपलानी से मिली जानकारी के अनुसार कल 19 अगस्त , बुधवार को दोपहर 4 बजे जनमंच के प्रवक्ता कमल नागपाल और संस्था के सभी सदस्यों ने विधायक देवेंद्र वर्मा से मुलाकात कर उन्हें रेलमंत्री के नाम एक पत्र सौपा।
          इसमें बताया गया है कि मीटरगेज रेल लाइन के गेज परिवर्तन के बीच मेलघाट टाइगर रिजर्व है , जिस पर महज कुछ मुट्ठी भर लोगो द्वारा अपने क्षेत्र बुलढाणा से रेल ले जाने की मांग की जा रही है । इन मुट्ठीभर लोगो की आपत्ति पर महाराष्ट्र सरकार ने टाइगर रिजर्व के बाहर से रेल बायपास बनाने का आग्रह किया है , जो अनुचित है । खंडवा , आकोट ,आमलाखुर्द , आकोला, वाशिम , हिंगोली , बसमत, नांदेड़ के लाखों नागरिक बायपास का विरोध कर रहे है , क्योंकि नये रेल बायपास पर 750 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च , 6.5 किमी की सुरंग , हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि अधिग्रहण पर किसानों की आपत्ति , रेल बायपास से रेलगाड़ियों को अतिरिक्त इंधन, अतिरिक्त समय लगेगा । रेल बायपास वाला क्षेत्र आदिवासी जन जाती का ना होकर सामान्य श्रेणी के नागरिको को ही अतिरिक्त सुविधा दिलाता है । जबकि मेलघाट आदिम समुदाय के पास इस रेल के अलावा अन्य कोई परिवहन  का साधन उपलब्ध नही ।
          सामाजिक संस्था जनमंच के चन्द्रकुमार सांड, कमल नागपाल , एन. के.दवे, डॉ जगदीशचन्द्र चौरे , सुनील जैन , देवेंद्र जैन , अनुराग बंसल और गणेश कानडे आदि द्वारा हस्ताक्षरित आवेदन में बताया गया है कि टाइगर रिजर्व में रेल पटरी से परतवाड़ा वाली पूर्व दिशा में 95 प्रतिशत जंगल है , और रेल पटरी के बुरहानपुर यानी पश्चिम दिशा में मात्र 5 फीसदी जंगल है।
          बाघ व अन्य प्राणी 95 प्रतिशत घना जंगल छोड़कर केवल 5 प्रतिशत मानवीय बस्ती के समीप वाले क्षेत्र में नही आते है ।
उसके बावजूद  यदि बुलेट और मेट्रो रेल की भांति 29 किमी के मेलघाट टाइगर रिजर्व वाले क्षेत्र की पटरियों को हर 500 मीटर पर जमीन से ऊपर 500 मीटर लंबे 29 पुल बना कर तथा कुछ जगहों पर रेल पटरी को पहाड़ो में सुरंग के अंदर रेलगाड़ी गुजारा जाए , साथ ही साथ हर 100 मीटर पर रेल पटरी पर 20 मीटर चौड़े पुल बनाये जाए तो निश्चित तौर पर बाघ व अन्य वन्यप्राणियो को पटरी के नीचे से और ऊपर से मुक्त संचरण करने में काफी आसानी होंगी। जमीनी पटरियों के दोनों ओर तार फेंसिंग कर सुरक्षित किया जाए , इससे खर्च कम होंगा , पर्यावरण प्रेमियों की आपत्ति का भी निराकरण हो जायेगा । जनमंच प्रस्तावित जबरिया बुलढाणा रेल बायपास का विरोध करता है और भविष्य में भी इस संदर्भ में और प्रयास किये जायेंगे।

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