सहकारिता बैंकों की बाधाएं दूर होने की संभावना
स्टेट बैंक ने शर्त में ढील देने के दिए मौखिक आदेश
यवतमाल/दि.12-स्टेट बैंक ने जिला मध्यवर्ति बैंक को निधि मंजूर करते समय मंजूर रकम की 60 प्रतिशत निधि सुरक्षित करने की शर्त निर्धारित की है. इसके कारण कर्ज सीमा स्वीकृत होने पर भी जिला बैंक को वास्तविक निधि कम आती है. इसके चलते जिला बैंक ने इस शर्त में ढील देने की मांग की थी. इस पर सहकारिता विभाग के अवर मुख्य सचिव अनुपकुमार ने स्टेट बैंक के कार्यकारी संचालक को इस शर्त में ढील देने का मौखिक निर्देश दिया.
यवतमाल में जिला कार्यालय में 7 जून को खरीफ फसल कर्ज समीक्षा बैठक ली गई थी. सहकारिता एवं विपणन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुप कुमार, सहकारिता आयुक्त दीपक तावरे, संयुक्त सचिव संतोष पाटिल, स्टेट बैंक के कार्यकारी संचालक दिघे, जिलाधिकारी डॉ. पंकज आशिया, जिला उप निबंधक नानासाहेब चव्हाण और अन्य उपस्थित थे.
अधिकांश किसानों को जिला मध्यवर्ति सहकारी बैंक के माध्यम से खरीफ सत्र के लिए फसल कर्ज दिया जाता है. जहां राष्ट्रीयकृत बैंक किसानों की परीक्षा देख रहीं है, वहीं जिला बैंक किसानों को सहायता प्रदान करता है. जिला बैंक द्वारा हर साल लक्ष्य की तुलना में सबसे ज्यादा फसली कर्ज बांटा जाता है. इस साल भी अब तक जिला मध्यवर्ति सहकारी बैंक कर्ज वितरण में अग्रणी है. कई सहकारी बैंकों को कठिनाई का सामना करना पड सकता है क्योंकि उनके पास फसल कर्ज के लिए निधि नहीं है. इसीलिए जिला मध्यवर्ति सहकारी बैंक नाबार्ड से कर्ज सीमा बढ़ाने के लिए कहते हैं. निधि वितरित करते समय, कर्ज राशि का 60 प्रतिशत राज्य बैंक द्वारा सुरक्षित किया जाना है. इसके चलते वास्तविक बैंक को मिलने वाला पैसा कम है. यही मुद्दा सहकारिता एवं विपणन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के समक्ष प्रस्तुत किया गया. इस मांग पर संज्ञान लेते हुए उप मुख्य सचिव ने स्टेट बैंक के कार्यकारी संचालक को अमरावती विभाग के लिए 60 प्रतिशत जमा गारंटी शर्त शिथिल करने का निर्देश दिया है. ऐसा पत्र स्टेट बैंक को भी भेजा जायेगा. यदि इस शर्त में ढील दी जाती है, तो जिला बैंकों को मिलने वाली निधि में वृद्धि होगी और संभावना है कि अधिक किसानों को जिला सहकारी बैंकों से फसल कर्ज आवंटित किया जाएगा. इसके चलते अब इस पर क्या निर्णय लिया जाएगा, इस ओर जिला बैंकों का ध्यान लगा है.
* जिला बैंकों की समस्या
-यवतमाल जिला मध्यवर्ति बैंक ने स्टेट बैंक से 550 करोड रुपए के फंड का अनुरोध किया है. इस साल स्टेट बैंक ने 480 करोड रुपए का लोन स्वीकृत किया. लोन स्वीकृत करते समय कई नियम और शर्तें जुडी होती हैं. सबसे महत्वपूर्ण शर्त यह है कि बैंक से गिरवी के रूप में निधि मांगी गई है. स्वीकृत कर्ज में से 284 करोड रुपए की जमा राशि गिरवी सुरक्षा के अधीन है. इससे जिला बैंक को मात्र 192 करोड रुपए ही मिलेंगे.
– मांग की तुलना में कर्ज की आपूर्ति कम होने से बैंक के सामने बडी समस्या खडी हो गई है. फसल कर्ज के लिए बैंकों को अभी भी निधि की जरूरत है. बैंक के पास बैंक के नियमित लेनदेन के लिए रकम है. हालांकि, स्टेट बैंक की स्थिति के कारण फसल कर्ज के लिए निधि की कमी है, जिसने जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के सामने कई सवाल खडे कर दिए हैं. यदि इस शर्त में शिथिलता दी जाए तो अधिक किसानों को फसल कर्ज मिलने की संभावना है.