सहजयोग द्वारा प्राप्त करें आरोग्य रुपी वास्तविक धनसंपदा
अमरावती/दि. 25– आरोग्यं परमं भाग्यं स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्. अर्थात निरोगी होना परम भाग्य है और स्वास्थ्य से अन्य सभी कार्य सिद्ध होते है. परम पूज्य श्री माताजी निर्माला देवी प्रणित सहजयोग में साधक जब शुद्ध इच्छाशक्ति जागृत कर इच्छा करत है तो उसे ये पवित्रतम आत्मसाक्षात्कार प्राप्त होता है. उसे अपनी पंच ज्ञानेन्द्रियों द्वारा अपने आत्मनिरीक्षण की दिव्य कला प्राप्त होती है. सहजयोग साधक को सबसे प्रथम चीज आरोग्य प्रदान करता है. संस्कृत में एक लोकोक्ति है ‘आरोग्यम धनसंपदा’ अर्थात निरोगी होना सबसे बडा सुख होता है.
सहजयोग ध्यान में पारंगत होने पर हम अनेक बीमारियों से सहज ही निजात पा लेते है. हमारे शरीर में स्थित तीन प्रकार के तंत्रिका तंत्र, परानुकंपी, अनुकंपी तथा मध्य तंत्रिका तंत्र तथा सात चक्रों पर आधारित है सहजयोग. ध्यान से जब हमारा मूलाधार चक्र यानि कि पेल्विक प्लेक्सस शुद्ध होकर पोषित होता तो हमें बद्धकोष्ठता, पाइल्स और प्रोस्टेड ग्रंथी से संबंधित सारी बीमारियों से निजात दिलाता है. द्वितीय चक्र स्वाधिष्ठान जब सहजयोग ध्यान से पोषित होता है तो हमारी विचारधारा को नियंत्रित करता है. डायबिटीज, दु:ख या चिंता देनेवाले विचारों से छुटकारा दिलाकर हाई ब्लड प्रेशरजैसी बीमारियों से राहत दिलाता है. हमारे सभी चक्र शरीर के किसी न किसी अवयव से संबंधित है. इसलिए जब हम सहजयोग ध्यान करने लगते है तो हमें शारीरिक आरोग्य अनायास ही प्राप्त जाता है. हमारा सबसे महत्वपूर्ण चक्र है आज्ञा चक्र. क्योंकि ये चक्र हमारे अहंकार को नियंत्रित करता है. हमें अगर शुद्ध आत्मज्ञान चाहिए तो हमें हमारे अहंकार व प्रति अहंकार को परमात्मा के चरणों पर समर्पित करना होगा तब हमें आनंद के साम्राज्य में ले जानेवाला ये पवित्रतम आत्मज्ञान सहज ही प्राप्त हो जाएगा. सहजयोग से संबंधित जानकारी निम्न साधनों से प्राप्त कर सकते है. यह पूर्णतया निशुल्क है.