अमरावती

मर्जी की संस्था के लिए पदाधिकारी लगा रहे ‘जान की बाजी’

‘कुशल-अकुशल मानव संसाधन’ टेंडर के लिए मनपा में रात की खिचडी

  • महापौर, स्थायी समिति सभापति की अधिकारियों के साथ बैठक

अमरावती/प्रतिनिधि दि.६ – पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तडके मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर समूचे महाराष्ट्र को सुबह-सुबह धक्का दिया था. अब अमरावती मनपा में भाजपा के ही महापौर और स्थायी समिति सभापति ने शाम के समय चुपके चुपके बैठक लेकर कुशल-अकुशल मानव संसाधन सप्लाई करने के टेंडर बाबत ‘खिचडी’ पकाने का प्रयास किया, ऐसी खबर है. मनपा का दिनभर का कामकाज खत्म होने के बाद शाम 6.30 बजे के पश्चात दो मुख्य पदाधिकारियों ने ‘जान की बाजी लगाते हुए’ कुछ संबंधित अधिकारियों की यह बैठक महापौर कक्ष में लेने से संपूर्ण मनपा समेत अमरावती की राजनीति में खलबली उडा दी है. इस बाबत महापौर व स्थायी समिति सभापति ने मात्र इस बैठक की चर्चाओं से स्पष्ट इन्कार कर दिया. एक अधिकारी के जन्मदिन पर उन्हें शुभेच्छा देने के लिए जमा हुए थे, ऐसा दोनों ने कहा है.
विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मनपा की ओर से कुशल-अकुशल मानव संसाधन मुहैया करने की निविदा 14 मई 2021 को प्रकाशित की गई थी. समूचे नियम व शर्तों के साथ ही यह 7 करोड की निविदा 28 मई तक इस निविदा की अवधि थी. जिसमें 8 निविदा प्राप्त हुई. 31 मई को यह टेक्नीकल निविदा ओपन की गई. जो 8 निविदा प्राप्त हुई थी. उसमें आईटीकॉन इटकॉन, नोएडा दिल्ली, शितीज नागरिक सेवा सहकारी संस्था अमरावती, छत्रपति शिवाजी जानकी सुशिक्षित बेरोजगार संस्था, अमरावती, पटले कन्ट्रक्शन कंपनी, श्रीपाद अमरावती, स्वस्तीक बेरोजगार संस्था, महात्मा फुले संस्था, परभरणी का समावेश था. किंतु टेक्नीकल में जो निविदा अपात्र साबित हुई थी. जिसमें श्रीपाद , अमरावती व छत्रपति शिवाजी का समावेश है. शेष 6 निविदा से फायनांशियल एल वन, एल टू, एल थ्री तय करने की दृष्टि से प्रशासकीय स्तर पर कामकाज शुरु था. किंतु मिली हुई जानकारी के अनुसार सोमवार रात को महापौर चेतन गावंडे के कक्ष में स्थायी सभापति सचिन रासने समेत उपायुक्त, अकाउंटन्ट, ऑडिटर, सिटी इंजीनियर, कार्यशाला अधिक्षक, सामान्य विभाग अधिक्षक व सामान्य प्रशासन के कर्मचारी उपस्थित थे. प्राप्त निविदाओं में से मर्जी की संस्था को टेंडर देने के लिए पदाधिकारियों ने इस बैठक में जान की बाजी लगाते हुए नियोजन करने का प्रयास करने की जानकारी है.

  • प्रशासकीय कामकाज शुरु रहते समय हस्तक्षेप क्यों?

31 मई को निविदा खोलने के बाद इसमें से बाद हुई दो संस्था छोडकर उसमें से एल वन, एल टू, एल थ्री के संदर्भ में तय करने की दृष्टि से उसका नियोजन करना यह मनपा प्रशासन का कामकाज रहता है. यह प्रक्रिया पूर्ण होने तक उसमें किसी भी पदाधिकारी का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए, ऐसे कानून नियम है. किंतु यह प्रक्रिया पूर्ण होने के पहले प्रशासकीय अधिकारियों की बैठक लेकर मर्जी की संस्था को ठेका देने का नियोजन इस बैठक में तो नहीं हुआ, इस तरह की चर्चा है. निविदा खोलने के बाद इसमें से एल वन, एल टू, एल थ्री कौनसी है, यह निश्चित ही अधिकारियों को पता है. किंतु पदाधिकारियों की मर्जी की संस्था यह एल फोर रहने की जानकारी रहने से यह सभी प्रकार रात की खिचडी पकाने के लिए तो नहीं किया गया, इस तरह के प्रश्न उपस्थित किये जा रहे है.

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