मनरेगा कर्मचारियों के कामबंद आंदोलन की ओर अधिकारियों की अनदेखी
मांगे मंजूर न हुई तो पलायन की समस्या का करना पडेगा सामना
धारणी /दि. ३- समुचे महाराष्ट्र में मनरेगा अंतर्गत ठेका कर्मचारी जो मांगेगा उसे काम की तर्ज पर पूरे सालभर सभी मजदूरों को काम उपलब्ध कराते है. कोरोना कल में मेलघाट जैसे अतिदुर्गम क्षेत्र में विपरित परिस्थिति में भी मजदूरों को गांव में काम उपलब्ध कराते हुए इन कर्मचारियों भी कोरोना के खिलाफ जंग में अपना योगदान दिया था. बावजूद उनकी लंबित मांगों पर अब तक ध्यान नहीं दिया जाने से उन्होंने १८ को जनवरी को एकदिवसीय कामबंद आंदोलन किया था. फिरभी कोई कार्रवाई नहीं होने से उन्होंने बेमियादी कामबंद आंदोलन शुरु किया है. पिछले १५ वर्षों से जिला सेतू समिति अंतर्गत काम कर रहे ठेका कर्मचारियों को जनवरी २०२१ से नरेगा ठेका कर्मचारियों के विरोध करने के बाद भी सीएससी कंपनी को सौंपा गया. तबसे मनरेगा अस्थायी कर्मचारियों पर अन्याय हो रहा है. इसलिए उन्होंने आंदोलन के माध्यम से ठेकेदारीशाही के खिलाफ आवाज बुलंद की है. केवल काम निकालने के लिए अस्थायी कर्मचारी, ऐसा मानने वाले शासन और वरिष्ठ अधिकारियों की आंदोलन की ओर अनदेखी हो रही है. पिछले दो साल से मानधन नहीं बढाया गया. तथा उनकी लंबित मांगों पर सकारात्मक विचार नहीं किया गया. इसलिए कर्मचारियों ने कामबंद आंदोलन शुरु किया है. यदि जल्द निर्णय न हुआ तो मेलघाट के मजदूरों को होली से पूर्व पलायन की समस्या का सामना करना पडेगा. इसलिए ठेका कर्मचारियों की मांगों पर तत्काल निर्णय लेने की मांग जोर पकड रही है. धारणी तहसील तकनीक सहायक अध्यक्ष मुकेश मालवीय, क्लर्क कम डाटा एन्ट्री ऑपरेटर तहसील अध्यक्ष रोमित गुप्ता के नेतृत्व में धारणी के सभी नरेगा ठेका कर्मचारी आंदोलन में सहभागी हुए.