अमरावतीमहाराष्ट्र

शिव के मन भाय रही रे होरी …..’

रविनगर संकटमोचन मंदिर में फाग उत्सव भजन

* सक्रेश्वर महादेव रात्रि मित्र परिवार की सुंदर, सरस प्रस्तुति
* काशी और ब्रज दोनों मानो हो गये साकार

अमरावती/ दि. 20– श्री सक्रेश्वर महादेव रात्री मित्र परिवार के भक्त भजन गायकों ने मंगलवार शाम रवि नगर के प्रसिध्द संकटमोचन हनुमान ंमंदिर में फाग भजन उत्सव की प्रस्तुति से मानो एक ही समय ब्रज और बनारस दोनों यहां अंबानगरी में ला दिए. इस अंदाज में फाग गीतों, भजनों की प्रस्तुति रही. एक से बढकर एक फाग गीत गाये गये. विनोद चांडक, दर्शन पनिया, संजय सोनी, गोपी आसोपा आदि को साथियों ने कभी कोरस, कभी मुख्य रूप से सुंदर सहयोग देकर प्रस्तुति को सुरीली और सरस बना दिया. मंदिर प्रबंधन ने सुंदर आयोजन में विविध आयाम जोडकर उसे प्रभावी बना दिया. ‘शिव के मन भाय रही रे काशी…फागन आयो रे, रंग दो सबका गाल…, जुलम कर डारो….आज बिरज में होरी रे रसिया…, रंग मत डारे रे सरकार…. ’ और श्याम बाबा एवं हनुमान जी, माता रानी के भजनों की प्रस्तुति रही. उपस्थित सभी झूम-झूम गये थे. एक दूसरे पर गुलाल और फूलों की पंखुडियां उछाली गई. खूब आनंद सभी ने लिया. होली तक ऐसे आयोजन होते रहेंगे.
नकुल डाबी, गोपाल दायमा, पीयूष मोर, सुमित तिवारी, देवेश चावड़ा,नीलेश शर्मा, नितिन सेवक, कार्तिक बुच्चा, अमन मामनकर, विक्रम सोनी,संजय सोनी, गोपी आसोपा, पं.राहुल दायमा, प्रवीण ओझा, विजय चांडक,रितेश पांडे,जगदीश पुरोहित, केशव पुरोहित,अविनाश पोलाद,अमन गुप्ता, सागर शर्मा, तरुण पुरवार, सर्वेश मामनकर, तुषार अनासने, तरुण पुरवार, अनमोल ओझा,मयंक सोनी, दर्शन पनिया, रौशन गौड़, अनिल शर्मा, अक्षय दायमा, सचिन शर्मा, सागर ठाकुर, एड. शैलेश पुरवार, घनश्याम सोनी, अतुल (लड्डू), मयूर रेड्डी, रितेश आसोपा, अशोक जी पुरोहित,रितेश वर्मा, आनंद सिकची, घनश्याम भूतड़ा,अनिल पुरवार, सागर चांडक, नीलेश मोहोकर, प्रवीण शर्मा, हर्ष शर्मा, राजू व्यास, श्याम शर्मा, विक्की पनिया,सुमित शर्मा (मामाजी),नीलेश चंदेले,मनीष उपाध्याय, संजय मुथा एवं समस्त सदस्य आदि अनेक की उत्साहपूर्ण उपस्थिति रही. बगैर माइक के भजनों का पारंपरिक वाद्यवृंद पर प्रस्तुति करण सभी के लिए चिरस्मरणीय बन गया. आनंद बढाते हुए फूलों की वर्षा सभी पर की गई. संकटमोचन हनुमान जी का अलौकिक श्रृंगार करने के साथ मंदिर में पीले, केसरिया गुब्बारोें की सजावट की गई थी. सभी के माथे पर गुलाल का तिलक शोभायमान रहा.

 

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