* मकर संक्राति के चलते भाव में वृध्दि
अमरावती/ दि.23- मकर संक्राति त्यौहार जल्द ही आने वाला है. इस त्यौहार के दरमियान तिलगुड काफी मायने रखता है. लेकिन इन दिनों तिलहन की डिमांड बढ गई है. जिसके चलते तिल्ली के दाम भी प्रति किलो 30 रुपए से बढ गए है.
यहां बता दें कि, इस बार जिले में रब्बी में केवल 3 हेक्टेयर में ही तिलहन का क्षेत्र है. जिसके चलते जिले व अन्य राज्यों से तिलहन की आवक हो रही है. इन दिनों 140 रुपयों तक तिल्ली के दर है. आयुर्वेद में तिलहन काफी मायने रखती है. तिल्ली से अलग-अलग खाद्य पदार्थ बनाए जाते है. इसके अलावा तिल्ली का उपयोग दवाईयों में भी किया जाता है. तिलहन के तेल का अलग-अलग प्रकारों में उपयोग किया जाता है. ठंडी के दिनों में तिलहन का सेवन किया जाता है. जिससे हड्डियों व गुटनों के दर्द की परेशानी नहीं होती है. तिलहन के सेवन से दांत भी मजबूत होते है. तिल्ली में फायबर और एन्टी ऑक्सीडंस का प्रमाण अधिक होने से रोग प्रतिकार शक्ति बढाने के लिए महत्वपूर्ण होती है. मकर संक्राति पर्व को देखते हुए जिले में तिल्ली की डिमांड बढ गई है, लेकिन इस बार तिलहन के दामों में वृध्दि होने से तिलगुड की मिठास कम होने की संभावना गृहिणियों को नजर आ रही है. वहीं व्यापारियों की माने तो अन्य जिलों या फिर गुजरात, मध्यप्रदेश से आवक होने वाली तिलहन से ही जिले की जरुरत को पूरा किया जा रहा है.
जिले में बाहरी राज्य से होती है तिलहन की आवक
जिले में तिलहन की आवक मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडू, ओरिसा इन राज्यों से होती है. इसके अलावा राज्य के अन्य जिलों से भी तिलहन की आवक होती है. बाजार समिति में तिल कम प्रमाण में बिक्री के लिए आती है, इसलिए अन्य जिलों और राज्यों में होने वाली आवक पर जिले को निर्भर रहना पड रहा है.
अतिवृष्टि से बढे तिलहन के दाम
इस बार जिले सहित विदर्भ के अनेक हिस्सों में अतिवृष्टि हुई. इसके अलावा अगस्त से अक्तूबर की अवधि तक बारिश की रिमझिम जारी रही. जिसके चलते राज्य सहित गुजरात व मध्यप्रदेश में तिल के उत्पादन पर परिणाम हुआ. बाजार में आवक कम व डिमांड बढने से तिलहन के दरों में वृध्दि हुई है. वहीं अब लोग भी तिलहन का सेवन करने पर ज्यादा ध्यान दें रहे हैं. पहले केवल सीमित समय पर ही तिलहन का उपयोग किया जाता था, लेकिन अब घर-घर में तिलहन का उपयोग हो रहा है.
जिले में केवल तीन हेक्टेअर क्षेत्र में तिलहन का बुआई क्षेत्र है. इसके अलावा पश्चिम विदर्भ में 65 हेक्टेअर क्षेत्र में तिलहन का उत्पादन लिया जाता है. केवल यवतमाल जिले के 65 हेक्टेअर में फिलहाल तिलहन का बुआई क्षेत्र है. इसलिए इस बार जिले में दवाई के लिए भी तिलहन उपलब्ध नहीं होगी, यह स्थिति है.
तिलहन के दरों पर एक नजर
इस वर्ष तिलहन के दरों में काफी उतार चढाव देखने को मिला है. जनवरी और फरवरी माह में तिलहन के दाम 110 रुपए थे. वहीं मार्च-अप्रैल में तिलहन के दाम बढकर 115 रुपए हुए. इसके बाद मई महिने में तिलहन के दाम में 5 रुपए से इजाफा होकर तिलहन 120 रुपयों तक पहुंची. जून-जुलाई में तिलहन के दाम 125 रुपए, अगस्त-सितंबर में 130 रुपए, अक्तूबर में 135 रुपए और नवंबर-दिसंबर में 140 रुपए तिलहन के दाम हुए है. यानि देखा जाए तो हर महिने में तिलहन के दामों में 5 रुपयों से इजाफा हुआ है.