अमरावतीमहाराष्ट्र

इर्विन से प्रति माह औसतन 125 मरीज नागपुर होते है रेफर

स्वास्थ्य सेवा में मनुष्यबल और यंत्रणा की कमी

* सरकारी स्वास्थ्य सुविधा के संदर्भ में लापरवाही कायम
अमरावती/दि.16– अमरावती यह विभागीय स्थल है. यहां जिला अस्पताल, सुपर स्पेशालिटी और अब शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय ऐसे सरकारी अस्पताल है. लेकिन अभी भी इर्विन में दुर्घटना के कोई गंभीर मरीज पहुंचे की प्राथमिक उपचार कर इन मरीजों को आगामी उपचार के लिए नागपुर भेजा जाता है. इस कारण तीन घंटे का सफर कर यह मरीज नागपुर पहुंचता है और बाद में उसको उस पर सरकारी उपचार होता है.

शहर और जिले को लेकर विकास की काफी चर्चा की जाती है. लेकिन सरकारी अस्पताल की सुविधाओं में जिला कितना पिछडा है यह बात इससे सामने आती है. इर्विन से प्रति माह आज भी औसतन 120 से 125 मरीज उपचार के लिए नागपुर भेजे जाते है. जिले में बडी दुर्घटना होने पर घायलों को जिला अस्पताल में लाया जाता है. यहां आकस्मिक कक्ष में मरीजों पर प्राथमिक औषधोपचार किया जाता है. उसके मस्तिष्क में मार रहा अथवा शरीर पर गंभीर चोटे रही तो इन मरीजों को ‘रेफर टू नागपुर’ सूचित किया जाता है. ऐसे समय जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी होगी वे शहर के ही निजी अस्पताल में मरीज को लेकर जाते है और जिनके पास पैसे नहीं है उन्हें मजबुरन ही क्यों न हो, नागपुर ले जाने कहा जाता है. वास्तविक रुप से इसमें मरीज की जान को खतरा रहता है. क्योंकी उसे तत्काल उपचार आवश्यक रहा तो भी तीन घंटे का सफर कर नागपुर आने का इंतजार करना पडता है. इस कारण अनेक बार मरीज नागपुर पहुंचने के पूर्व बीच रास्ते में ही दम तोड देता है. इस कारण आम नागरिकों के सामने सवाल खडा होता है कि, नागपुर में ऐसा क्या है, जो अमरावती में नहीं है? इमारत तो नागपुर की शासकीय अस्पताल से भी बडी है. अपने जिले का विकास हुआ है. फिर गंभीर मरीजो पर उपचार क्यों नहीं होता. विशेष यानी इस गंभीर समस्या पर भारी मात्रा में सुधार होना आवश्यक है. लेकिन अनेक सालो से इर्विन के गंभीर मरीजो को नागपुर रेफर किया जाता है. जो अभी भी जारी है. नागपुर के सरकारी अस्पताल में मिलनेवाली सुविधा अमरावती के जिला अस्पताल अथवा सुपर स्पेशालिटी में मिली तो अनेक मरीजों की जान बचेगी, मरीजों के रिश्तेदारों को होनेवाली परेशानी कम होगी. इस ओर राजनीतिक नेताओं द्वारा ध्यान देने की आवश्यकता है, ऐसा आम नागरिकों का कहना है.

* नया आईसीयू हो रहा तैयार
जिला अस्पताल में आनेवाले मरीजों पर मस्तिष्क की शस्त्रक्रिया के लिए आवश्यक सर्जन नहीं है. हाल में मस्तिष्क की कुछ शस्त्रक्रिया सुपर स्पेशालिटी में की जाती है. लेकिन मस्तिष्क की बडी शस्त्रक्रिया के लिए नागपुर मरीजों को भेजा जाता है. आर्थोपेडिक सर्जन की संख्या कम है. कुछ सर्जन के मार्च माह में तबादले हुए है. जून माह में नए सर्जन आएंगे. पश्चात हड्डी की शस्त्रक्रिया का प्रमाण बढनेवाला है. मेडीकल कालेज के लिए नए 20 बेड का आईसीयू तैयार हो रहा है. फिलहाल आईसीयू 6 बेड का ही है. अनेक बडी शस्त्रक्रिया के बाद मरीजो को कुछ दिन आईसीयू में रखना पडता है.
– डॉ. दिलीप सौंदले, सीएस, अमरावती.

* आकस्मिक उपचार की सुविधा
हार्टअटैक आने के बाद मरीजो पर आकस्मिक उपचार के लिए आवश्यक रही सुविधा इर्विन में पिछले कुछ दिनों से उपलब्ध हुई है. इतना ही नहीं बल्कि नीजि अस्पताल में आवश्यकता के मुताबिक हार्ट के मरीज को आपात स्थिति में लगाए जानेवाले महंगे इंजेक्शन भी उपलब्ध है और वह नि:शुल्क मरीज को दिए जाते है, ऐसी जानकारी इर्विन के वरिष्ठ अधिकारियों ने दी है.

* 250 से 280 मरीज अन्य स्थानों पर रेफर
जिला अस्पताल में उपचार के लिए आनेवाले मरीजो में से हर माह औसतन 250 से 280 मरीज अन्य अस्पतालों में रेफर किए जाते है. इसमें करीबन 50 प्रतिशत मरीज नागपुर तथा शेष 50 प्रतिशत मरीज सुपर स्पेशालिटी और शहर के अन्य अस्पताल में भेजे जाते है. लेकिन दुर्घटना के गंभीर रुप से घायल मरीजों को अधिकांश समय नागपुर भेजा जाता है, ऐसा सूत्रों का कहना है.

* इन सुविधाओं का अभाव
जिला अस्पताल में मस्तिष्क पर शस्त्रक्रिया करने के लिए तज्ञ सर्जन नहीं है. साथ ही शरीर की अन्य हड्डीयों पर बडे स्वरुप की शस्त्रक्रिया करने के लिए आवश्यक रहे तज्ञ डॉक्टरों की संख्या काफी कम है. इन कारणों से मरीज नागपुर भेजे जाते है.

* गत वर्ष में इर्विन से नागपुर सहित अन्य स्थानों पर रेफर मरीज
अप्रैल 2023    – 248
मई 2023       – 290
जून 2023       – 267
जुलाई 2023    – 219
अगस्त 2023   – 295
सितंबर 2023  – 283
अक्तूबर 2023 – 352
नवंबर 2023    – 305
दिसंबर 2023  – 284
जनवरी 2024  – 255
फरवरी 2024  – 240

* टू-डी इको मशीन खा रही धूल
जिला अस्पताल टू-डी इको मशीन रहने के बावजूद इसका नियमित इस्तेमाल नहीं हो रहा है. छोटे बच्चों के हृदयविकार का निदान करने के लिए चलाए जा रहे शिविर तक ही इस मशीन का इस्तेमाल अब तक किया गया है तथा अन्य मरिजो को टू-डी इको के लिए सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल में रेफर किया जा रहा है. इस कारण इस मशीन का हार्ट के मरीजों की जांच के लिए नियमित करने की मांग हो रही है. इर्विन के आईसीयू की इमारत में ही जुलाई 2023 में टू-डी इको मशीन शुरु की गई थी. उस समय पहले ही दिन हार्ट की तकलिफ रहे बालकों के लिए आरबीएसके अंतर्गत टू-डी इको जांच शिविर इर्विन में हुआ था. तब 67 बालकों की जांच की गई थी. बालकों का टू-डी इको करने के लिए सावंगी मेघे के तज्ञ डॉक्टरों को बुलाया गया था. लेकिन जिला अस्पताल में तज्ञ डॉक्टर न रहने से टू-डी इको मशीन विभाग को टाले लग गए. पश्चात 2 जनवरी 2024 को फिर से एक बार बाहर के तज्ञ को बुलाकर छोटे बालकों की जांच के लिए शिविर लिया गया. 10 माह से शुरु हुए टू-डी इको मशीन का केवल दो दफा ही इस्तेमाल किया गया है. इस कारण जिला अस्पताल में हार्ट के मरीजो को टू-डी इको के लिए सुपर स्पेशालिटी में भेजा जाता है. अब शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय के कब्जे में अस्पताल जाने के बाद इस टू-डी इको विभाग का इस्तेमाल होने की चर्चा अस्पताल में है.

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