अमरावतीमहाराष्ट्र

कभी थी कानपूर की अब हुई अमरावती की फेनी

 विगत 17 वर्षो से शहरवासियों की सेवा कर रहे मो. मंजुर

अमरावती/दि.20– पवित्र रमजान का महिना शुरू होते ही हर किसी को सहेरी, इफ्तार के समय उपयोग में आने वाली वस्तुओं के साथ ही लोगों की जबान पर मिठी ईद में इस्तेमाल होने वाली सेवाईंया और फेनी की याद भी सताती है. वही पहले शहर में विभिन्न रंग में तैयार तथा उबाल कर इस्तेमाल करने वाली सेवाईंया ही मिलती थी, मगर पिछले 17 वर्षो से शहर के चांदनी चौक पर रहने वाले मो. मंजुर शहरवासियों के लिए माहिर स्पेशल फेनी व सेंवाईयों की सेवा दे रहे है. उनके हाथ की बनी सेवाईयों की शहर ही नहीं बल्कि जिले के अन्य शहरों में भी चर्चा होती है.जिसके चलते इसे अब अमरावती की फेनी के नाम से लोग पुछते है.

* पहले कानपूर की अब अमरावती की कहलाती है
चांदनी चौक पर फेनी बना कर विक्रय करने वाले अमरावती माहिर स्पेशल फेनी के संचालक गुड्डु बताते है कि 17 वर्ष पहले जब हमने यह व्यवसाय शुरू किया था. तब कानपूर से हमें कारागीर बुलाना पडता था. किंतु उसके 2-3 वर्ष बाद ही या युं कहे कि 17 वर्षो से अब अमरावती की फेनी का नाम जिले भर में मशहुर हो चुका है. लोग अब इसे अमरावती की फेनी के नाम से भी पहचानते है.

* वनस्पती घी व मैदे का होता है उपयोग
फेनी बनाने के लिए विशेष रुप से मैदा व कुछ खास मसाले के मिश्रण के साथ इसे शुध्द वनस्पती घी में तला जाता है. जिसे उपयोग करने में आसानी होती है. बाकि सादी सेवाईंयो को जहां उबाल कर या जर्दा के रुप में इस्तेमाल किया जाता है, वहीं इसे सिर्फ उबले दुध में चीनी व ड्रायफ्रुट के साथ डाल कर आसानी से इस्तेमाल किया जाता है.

* किमतों में कोई बदलाव नहीं
पिछले वर्ष की भांती इस वर्ष भी फेनी के दामों में कोई फर्क नहीं आया है. जो दाम पिछले वर्ष थे. वही दाम 120 रुपये किलो से 140 रुपये किलों तक के दामों में फेनी इस वर्ष भी मिल जा रही है. वही सादी सेवाईंया जो उबाल कर इस्तेमाल की जाती है, वह सिर्फ 80 रुपये किलो में मिल रही है. इसके दामों में भी कोई फर्क नहीं पडा है.

* घर के पुरे सदस्य करते है मदद
संचालक मो. मंजुर ने बताया कि रमजान का इंतजार किस मुसलमान को नहीं रहता, बल्कि रोजादारों के साथ ही व्यापारी वर्ग भी इस त्यौहार का बडी बेसब्री से इंतजार करता है. वैसे ही हमारे परिवार को भी इस त्यौहार का इंतजार रहता है. फेनी बनाने के कार्य में घर की महिलाओं सहित बच्चे भी बढ चढ कर हिस्सा लेते है. जहां रोजा, नमाज, ईबादत से फारिग होने के महिलाएं काम में हाथ बटाती है, वहीं स्कूल की पढाई पुरी करने के बाद बच्चे भी बडे ही खुशी से काम में हाथ बटाते है. इस काम में बाहर के हेल्पर सहित कुल 6 लोग सहयोग करते है.

* वजन में भी होती है हल्की
फेनी का स्वाद हर किसी को भाता है. यह वजन में भी बहुत हल्की होती है. जहां एक फेनी (गुच्छे) का वजन लगभग 175 ग्राम के आसपास होता है. वही 1 किलों में यह 6 से 7 नग भरती है.

* अभी व्यापार में उठाव नहीं
रमजान महिने भर लोगों व्दारा रोजा इफ्तारी व सहेरी की सामाग्री पर जोर दिया जाता है. उसके बाद ईद की खरीदारी जिसके बाद 15 वें रोजे के बाद लोग सेवाईयां और फेनी की खरीदी करते है. अभी चिल्लर खरीदी शुरू नहीं हुई है. थोक व्यापारियों के माल आर्डर पर ही तैयार किए जा रहे है. रोज लगभग 50 किलो की फेनी का माल तैयार किया जा रहा ैहै.
मो. मंजुर उर्फ गुड्डु भाई
(संचालक माहिर स्पेशल फेनी )

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