अमरावती

‘एक भरोसो हरि भक्तन को दूजो नंदकिशोर को’

ग्रहण काल में हवेली में सुंदर कीर्तन

अमरावती -दि.26 पुष्टीमार्ग की मान्यता अनुसार ग्रहण काल में पट शुुरु रख कीर्तन करने की परंपरा अमरावती के बालकृष्णलाल हवेली मंदिर में कायम रखी गई. मंगलवार को खंडग्रास सूर्यग्रहण के समय मंदिर में सैकडों श्रद्घालुओं ने विशेष कीर्तन गाये. स्त्री-पुरुष श्रद्धालु भक्ति भाव से कीर्तन में सहभागी हुए. ढोलक, मंजिरा लेकर राग-बिहाग में मनरे स्यामसो कर हेत…., कहा छिपी तुमसों करुणानिधि सबके अंतरयामी…., सूरदास बहुत कहाकहूं डुबे कुटुंब समेत…., काहेकों मटकत डोलत है क्यों नरहें…. अति आनंदसो भर….. आदि अनेक पद सभी भाविकों ने गाये.
इस समय सर्वश्री हरिभाई पच्चीगर, मन्नूभाई जवेरी, मधुभाई जवेरी, देवकिसन लढ्ढा, राजूभाई संतोषिया, राजूभाई पारेख, डॉ. ब्रजेश दम्माणी, विठ्ठल डिगे, निकुंज पच्चीगर, विनोद पच्चीगर, शकुंतला दम्माणी, विनोदभाई जनानी, नितिन भाई दम्माणी, नितिनभाई आडतिया, राखी बेन आडतिया, राजू भाई धानक, रशेस धानक, लालाभाई राजकोटीया, हर्षित पच्चीगर, सांगानी, भाविका बेन श्रॉफ, सौ सादानी, सौ गगलानी, दिनेश बाहेती आदि वैष्णव उपस्थित थे. उल्लेखनीय है कि, नाथद्बारा में भी ग्रहण काल में कीर्तन की परंपरा है. उसी का निर्वहन स्थानीय हवेली मंदिर में सदैव वैष्णव करते आये हैं. पखवाडे भर बाद होने वाले चंद्रग्रहण दौरान भी कीर्तन होंगे.

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