* बारिश खत्म होते ही पानी के लिए मच रही ‘बोंबाबोंब’
अमरावती/दि.11– अमरावती शहरवासियों को 24 घंटे जलापूर्ति करने का अभिवचन देने वाले महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण के कामकाज का अब बैंड बजने लगा है. कई वर्ष पहले मजीप्रा ने जलकिल्लत की वजह को आगे करते हुए शहर को दो हिस्सों में विभाजीत किया था तथा दोनों हिस्सों को एक-एक दिन की आड में जलापूर्ति करने हेतु ‘ऑड इवन’ यानि सम-विषम तारीख पर जलापूर्ति वाले फॉर्मूले पर अमल करना शुरु किया था, लेकिन अब धीरे-धीरे इस एक दिन आड वाली जलापूर्ति का नियोजन भी गडबडाने लगा है. इसके तहत कभी बिजली नहीं, कभी लिकेज है, तो कभी जलवाहिनी में एयर आ गई है. जैसी वजहों को आगे करते हुए मजीप्रा द्बारा 2 से 3 दिन तक जलापूर्ति को बंद रखा जाता है. जिसके चलते लोगों को 3 से 4 दिन की आड में पानी मिलता है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, अब हाल ही मेें बारिश का मौसम खत्म हुआ और बारिश का मौसम देखते हुए पानी को लेकर बोंबाबोंड होनी शुरु हो गई है. ऐसे में आगामी गर्मी के मौसम दौरान जलापूर्ति के नियोजन को लेकर मजीप्रा के कामकाज की महज कल्पना की जा सकती है. सबसे हैरत वाली बात तो यह है कि, आम नागरिकों के रोजमर्रा के जीवन के साथ जुडे इस बेहद गंभीर मसले को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्बारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा. जिसके चलते मजीप्रा में एक तरह से मनमाना कामकाज चल रहा है और जलापूर्ति को लेकर समस्या दिनोंदिन गंभीर होती जा रही है.
बता दें कि, सिंभोरा से तपोवन के बीच डाली गई मुख्य जलवाहिनी की आयु मर्यादा खत्म हो चुकी है. ऐसे में नई अध्यावत जलवाहिनी डालने के साथ ही शहर में नये जलकुंड व तपोवन में नया जलशुद्धिकरण केंद्र बनाने में शहर के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित रिहायशी बस्तियों में जलापूर्ति हेतु पाइप-लाइन डालने व नल कनेक्शन देने जैसे कामों के लिए अमृत-2 योजनांतर्गत करीब 850 करोड रुपयों का प्रस्ताव राज्य सरकार द्बारा केंद्रसरकार की ओर भेजा गया है. जिसे अब तक मंजूरी मिलना बाकी है. वहीं दूसरी ओर फिलहाल अस्तित्व में रहने वाली व्यवस्था के जरिए मजीप्रा के स्थानीय अधिकारी शहरवासियों को जलापूर्ति करने के काम मेें लगभग असफल दिखाई दे रहे है.
मजीप्रा द्बारा विगत कई वर्षों से शहर के अलग-अलग इलाकों में एक-एक दिन की आड में जलापूर्ति की जाती है. परंतु इस जलापूर्ति का टाइम-टेबल जमकर गडबडाया हुआ है. कहीं पर रात 12 बजे, तो कहीं पर तडके 5 बजे के आसपास जलापूर्ति होती है. वहीं कई इलाकों में दोपहर 2 से 4 बजे के दौरान जलापूर्ति की जाती है. ऐसे में कामकाजी व नौकरीपेशा लोगों, विशेषकर महिलाओं को अपने घर-परिवार की जरुरत के हिसाब से पानी भरने में एक तरह की समस्याओं का सामना करना पडता है. इसमें भी सबसे बडी समस्या यह है कि, मजीप्रा द्बारा की जाने वाली जलापूर्ति में प्रेशर यानि दाब पर्याप्त नहीं रहता. जिसके चलते नलों से पानी की बेहद पतली धार आती है. जिससे लोगबाग अपनी जरुरत के हिसाब का पर्याप्त पानी भी नहीं भर पाते.
अमरावती महानगर को वर्ष 2055 तक नियमित व अखंडित जलापूर्ति करने वाले अमृत 2.0 अभियान के तहत अमरावती में अतिरिक्त जलापूर्ति योजना हेतु 985.49 करोड रुपए के प्रस्ताव को राज्य सरकार की राज्यस्तरीय उच्चाधिकार सुकाणु समिति ने मान्यता देकर केंद्र सरकार के पास मंजूरी हेतु सिफारिश की है. परंतु केंद्र सरकार ने इसमें कुछ संशोधन सुझाए है. जिन्हें दुरुस्त करते हुए आगामी दो-तीन दिनों में राज्य सरकार द्बारा नये सिरे से प्रस्ताव भेजा जाएगा. इसके बाद इस प्रस्ताव को मान्यता मिल जाएगी.
– सुलभा खोडके,
विधायक, अमरावती.