एक दिन आड तीन घंटे की बजाय रोजाना डेढ घंटे की जलापूर्ति क्यों नहीं?
इस वर्ष बारिश और जलसंग्रहण की स्थिति भी बेहद शानदार रही

अमरावती/दि.24– गरमी के मौसम दौरान होनेवाली जलकिल्लत की समस्या को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण द्वारा कुछ वर्ष पूर्व एक दिन की आड लेकर जलापूर्ति करने का निर्णय लिया गया था. यानी अब महिने में केवल 15 दिन ही मजीप्रा के नलों से पानी छोडा जाता है. हालांकि इसका प्रतिमाह आनेवाले पानी के बिल पर कोई खास असर नहीं पडा है. क्योंकि आधा महिना पानी भरने के बाद भी आम नागरिकों को पहले की तरह पूरे एक माह के पानी का पैसा भरना होता है. वहीं जिस अप्पर वर्धा बांध से मजीप्रा द्वारा अमरावती शहर को जलापूर्ति की जाती है, उस अप्पर वर्धा बांध में विगत दो वर्षों से लबालब पानी भरा हुआ है, क्योंकि पिछले दो वर्षों के दौरान बारिश की स्थिति बेहद शानदार रही. लेकिन इसके बावजूद इसका अमरावती के आम शहरवासियों को कोई फायदा नहीं हो रहा. क्योंकि मजीप्रा द्वारा अब भी एक-एक दिन की आड लेकर जलापूर्ति की जा रही है. ऐसे में विगत लंबे समय से आम शहरवासियों द्वारा यह सवाल पूछा जा रहा है कि, आखिर मजीप्रा द्वारा रोजाना जलापूर्ति करना कब शुरू किया जायेगा.
यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि, मजीप्रा द्वारा हर एक दिन की आड में की जानेवाली जलापूर्ति के तहत करीब तीन घंटे तक अपनी पाईपलाईन व नलों के जरिये पानी छोडा जाता है. जबकि अमूमन एक घंटे में किसी भी परिवार की एक दिन की जरूरत के लिहाज से पानी भरने का काम पूरा हो जाता है. ऐसे में शेष दो घंटे जलापूर्ति जारी रखने का कोई औचित्य नहीं होता. क्योंकि आम नागरिकों के यहां अतिरिक्त जलसंग्रहण करने की कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं होती. इसके अलावा मजीप्रा व मनपा द्वारा कई रिहायशी इलाकों में ‘पब्लिक स्टैंड’ के तौर पर जो सार्वजनिक नल लगाये गये है, उनमें टोटीयां नहीं होती. ऐसे में वहां पर लोगों द्वारा पानी भरने का काम पूरा हो जाने के बाद बिना टोटीवाले पाईप से करीब डेढ-दो घंटे तक पानी व्यर्थ ही बहता रहता है. यह एक तरह से पानी की खुली बर्बादी है. ऐसे में जरूरत इस बात की है कि, मजीप्रा द्वारा हर एक दिन की आड में तीन-सवा तीन घंटे पानी छोडने की बजाय रोजाना सवा से डेढ घंटे तक जलापूर्ति की जाये, ताकि इसके जरिये आम शहरवासियों को रोजाना अपनी जरूरत के लिहाज से पानी उपलब्ध हो. साथ ही साथ पानी की व्यर्थ में बर्बादी भी न हो.
उल्लेखनीय है कि, विगत वर्ष नियमित बारिश होने के साथ-साथ वर्षा का मौसम बीतने के बाद लंबे समय तक बेमौसम बारिश भी होती रही. जहां एक ओर बारिश के मौसम दौरान अप्पर वर्धा बांध में बडे पैमाने पर पानी की आवक हुई. जिसके चलते एक से अधिक बार और लंबे समय तक अप्पर वर्धा बांध के दरवाजों को खुला रखते हुए बांध से जलनिकासी करनी पडी. साथ ही बारिश का मौसम बीत जाने के बाद हुई बेमौसम बारिश की वजह से भी बांध क्षेत्र में पानी की अच्छी-खासी आवक होती रही और बांध में जलसंग्रहण की स्थिति पूरे सालभर काफी बेहतरीन रही. ऐसे में फिलहाल नियमित जलापूर्ति करने को लेकर जलकिल्लत जैसी कोई समस्या नहीं है. अत: मजीप्रा द्वारा हर एक दिन की आड में तीन-सवा तीन घंटे की जलापूर्ति करने की बजाय उतने ही पानी की रोजाना डेढ घंटे तक आपूर्ति की जा सकती है. इससे जहां एक ओर अतिरिक्त छोडे जानेवाले पानी की बर्बादी भी रूकेगी. वहीं इस पानी को आम नागरिकों द्वारा अपने काम के लिए प्रयोग में लाया जा सकेगा. साथ ही साथ लोगबाग 15 दिन पानी भरकर एक माह का बिल भरने की झंझट से भी बचे रहेंगे.