हर आठ घंटे में एक किसान आत्महत्या
पश्चिम विदर्भ का चित्र, 11 महीनों में 1056 किसानों ने मौत को लगाया गले
अमरावती/दि.9 – पश्चिम विदर्भ के किसानों की आत्महत्या का सत्र शुरु ही है. दो दशक में 17,441 किसानों ने कर्ज. फसल बर्बाद, नैसर्गिक आपत्ति व साहूकार के तकादे से परेशान होकर मौत को गले लगाया है. इनमें से 1,056 किसानों ने इन 11 महीनों में आत्महत्या की है. हर आठ घंटे में एक किसान द्वारा आत्महत्या किए जाने से वर्हाड में वेदनादायी चित्र है.
किसानों के सिर पर का कर्ज का बोझ उतरे, इसके लिए युती व महाआघाड़ी सरकार ने बकायादार किसानों के कर्ज माफ किए. पश्चिम विदर्भ के पांच जिलों में आठ हजार करोड़ की कर्ज माफी इन दो योजनाओं में हुई है. मात्र इस कारण किसान आत्महत्या में कुछ ज्यादा फर्क पड़ते दिखाई नहीं देता. विभाग में हर दिन तीन किसान मौत को गले लगाने की बात विभागीय आयुक्त ने शासन को भेजी गई रिपोर्ट से दिखाई देती है.
पश्चिम विदर्भ के प्रत्येक जिले में 1 जनवरी 2001 से किसान आत्महत्या की संख्या दर्ज की जा रही है. जिसके अनुसार इस बार 11 महीने में 1,056 किसानों ने मौत को गले लगाया है. इनमेें सर्वाधिक 331 किसान आत्महत्या अमरावती जिले में हुई है. राज्य में सर्वाधिक किसान आत्महत्या अमरावती जिले में हो रही है.
बावजूद इसके यवतमाल जिले में 270, बुलढाणा जिले में 258, अकोला जिले में 131 व वाशिम जिले में 66 किसानों ने मौत को गले लगाया है. शासन, प्रशासन की अनास्था व व्यवस्था इसके लिए उतनी ही दोषी होने का आरोप किसानों द्वारा लगाया जा रहा है.
आधे से अधिक मामले मदद के लिए अपात्र
अमरावती विभाग में सन 2001 से 17,441 किसान आत्महत्या हुई है. इनमें 1,225 मामले अपात्र ठहराये गए हैं. 7,895 प्रकरणों में प्रत्येक एक लाख की शासन मदद दी गई है. बावजूद इसके 321 प्रकरण वर्षभर से जांच के लिए प्रलंबित है. इस बाबत गठित जिला समिति की बैठक नियमित न होने से प्रकरण प्रलंबित होने की बात कही गई. इस कारण मृत्यु के बाद भी सुलतानी संकट किसानों का पिछा नहीं छोड़ने की बात दिखाई दे रही है.