अमरावतीविदर्भ

एक मोबाईल, दो बच्चे, कैसे होगी ऑनलाईन क्लास

एक से अधिक बच्चे रहनेवाले पालक हुए त्रस्त

  • गांव-खेडों में मुलभुत सुविधाओं का सर्वथा अभाव

प्रतिनिधी/दि.१५

अमरावती – इस समय कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए जहां एक ओर सभी शाला व महाविद्यालय पूरी तरह से बंद है, वहीं सरकार द्वारा विद्यार्थियों का शैक्षणिक नुकसान टालने हेतु ऑनलाईन कक्षाएं शुरू करने का प्रयास जारी किया गया है. लेकिन कई सरकारी व निजी शालाओं में पढनेवाले बच्चों के पास स्मार्ट फोन की सुविधा नहीं है. ऐसे में संबधित अभिभावकों की काफी दिक्कतें हो रही है, क्योंकि मोबाईल के अभाव में उनके बच्चे इन ऑनलाईन कक्षाओं में हिस्सा नहीं ले पा रहे. साथ ही कई लोग ऐसे भी है, जिनके घरों में मोबाईल तो एक है, लेकिन बच्चे एक से अधिक है. ऐसे में एक समय में कोई एक बच्चा ही मोबाईल का उपयोग कर सकता है और दूसरे बच्चे की ऑनलाईन कक्षा का नुकसान होता है, यह भी अपने आप में एक बडी समस्या है. इसके अलावा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाईल नेटवर्क की भी समस्या देखी जाती है और कई बार रेंज नहीं मिलने की वजह से मोबाईल काम ही नहीं कर पाता. ऐसे में ऑनलाईन कक्षाओं का कोई औचित्य नहीं बचता. बता दें कि, कोरोना संकट के चलते मार्च माह के दुसरे सप्ताह से सभी शालाओं व महाविद्यालयों को बंद कर दिया गया. इसके बाद पहले कुछ दिनों तक पालकों के मोबाईल पर होमवर्क भेजने के बाद विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रवेशित किया गया और सरकार के इस प्रयास की पालकों द्वारा सराहना भी की गई. साथ ही सभी पालकों ने पढाई-लिखाई से अपने बच्चों की सुरक्षितता को पहली प्राथमिकता दी, लेकिन बार-बार विद्यार्थियों का शैक्षणिक नुकसान होने की वजह को सामने करते हुए ऑनलाईन क्लासेस शुरू करने की मानसिकता में रहनेवाली सरकार को अभिभावकों में रहनेवाला संभ्रम समझ में नहीं आ रहा. ऑनलाईन व्यवस्था के तहत मोबाईल पर शिक्षकों द्वारा भेजे गये वीडियो को देखो और बच्चों को पढाई करने के लिए कहो. ऐसी व्यवस्था की गई है. लेकिन यदि घर में मोबाईल एक है और पढाई करनेवाले बच्चों की संख्या एक से अधिक है, तो मोबाईल किस बच्चे के पास दिया जाये और कौनसा बच्चा उस मोबाईल पर अपनी पढाई करे, यह सबसे बडी समस्या देखी जाती है. इसमें भी यदि घर का कोई बच्चा कक्षा १० वीं या १२ वीं में पढ रहा है, तो स्वाभाविक रूप से पहली प्राथमिकता उसे ही दी जाती है. ऐसे में किसी अन्य कक्षा में रहनेवाले दूसरे बच्चे का शैक्षणिक नुकसान होता है. ऐसे में संबंधित अभिभावकों को काफी समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पडता है.

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