अमरावती

संगणकशास्त्र में एक विद्यार्थी और आठ प्राध्यापक?

सीनेट सभा में हुआ उजागर, नियुक्तियों पर भी सवाल

* प्राध्यापकों के वेतन पर 6 करोड 59 लाख खर्च, जनरल फंड से खर्च
अमरावती/दि.3– संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के संगणकशास्त्र पदव्युत्तर (एमई) विभाग में प्रवेश लिए हुए एक विद्यार्थी और आठ तासिका प्राध्यापक नियुक्त रहने का जोरदार खुलासा अधिसभा में हुआ. इनके वेतन पर तीन माह में 6 करोड 59 लाख रुपए विद्यापीठ ने जनरल फंड से कर डाला. प्राध्यापकों की नियुक्तियों पर भी सीनेट सभा में प्रश्न उपस्थित किए गए. तथापि विवि प्रशासन संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाया.

विद्यापीठ में 39 स्नातकोत्तर विभाग है. 11 विभाग बगैर अनुदानित है. उनका खर्च जनरल फंड से किया जाता है. जनरल फंड पांच जिलों के लाखों विद्यार्थियों व्दारा जमा कराए गए शुल्क का रहता है. गैर अनुदानित विभागों में विद्यार्थियों की संख्या नगण्य है. उसमें भी संगणकशास्त्र एमई में एकमात्र विद्यार्थी ने प्रवेश लिया है. अन्य स्नातकोत्तर विभागों की स्थिति का इससे अनुमान लगाया जा सकता है. तासिका प्राध्यापक के वेतन पर 6594175 रुपए खर्च होने की जानकारी अधिसभा में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर में दी गई. जिससे सभी अचंभित हो गए.

* डॉ. कापसे और डॉ. बनसोड के आक्षेप
डॉ. विजय कापसे ने अधिसभा में प्रश्न पूछे थे. पिरियेड प्राध्यापक की नियुक्ति और खर्च के बारे में प्रश्न पूछे. डॉ. संतोष बनसोड ने प्रशासन के जवाब पर जनरल फंड से वेतन देने पर सवाल उठाए और प्रशसन को निरुत्तर कर दिया. कुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले ने तासिका प्राध्यापक की नियुक्तियां गलत पाए जाने पर उसे दुरुस्त करने का आश्वासन सभा को दिया.

* क्या कहते हैं कुलसचिव
विद्यापीठ के कुलसचिव डॉ. तुषार देशमुख ने बताया कि कम्प्युटर, कैमिस्ट्री विभाग में आठ तासिका प्राध्यापक ट्यूशन देते हैं. सगणकशास्त्र एमई विभाग के लिए नहीं है, बल्कि पीजी डिप्लोमा और एमसीए को पढा रहे हैं.

* नेट-सेट नहीं फिर भी नियुक्ति!
कुछ प्राध्यापक पीएचडी, नेट-सेट उत्तीर्ण नहीं होने के बावजूद केवल रिश्ते-नातों का जतन करने के लिए उनका मनोनयन किया गया है. गत 15 वर्षो से एक कॉलेज में प्राध्यापक की स्थायी नियुक्ति है. फिर भी वे प्राध्यापक विवि के विभाग में 7 वर्षो से कार्य कर वेतन ले रहे हैं. नियमानुसार ऐसी नियुक्ति नहीं की जा सकती. एक प्राध्यापक विद्यापीठ से संबद्ध महाविद्यालय में 4 वर्षो से प्राचार्य है. सभी प्राध्यापकों की गलत नियुक्तियों के कारण विवि को जनरल फंड से पेड करना पड रहा है. शासन से कुछ भी नहीं मिलता.

Related Articles

Back to top button