अमरावती/दि.30 – जारी सप्ताह के दौरान कुछ कमान में बदरीला मौसम रहने के चलते किसानों की चिंताएं बढ गई है. रबी सीजन का हरभरा इस समय फूल व दाने वाली स्थिति तक पहुंच गया है और इस समय फसल पर इल्लियों का प्रादूर्भाव बढने की संभावना है. फसलों पर लगने वाली एक इल्ली साधारणत: फसल में लगे 40 दानों का नुकसान करती है. इसकी वजह से किसानों की चिंता बढ गई है.
इस बार के सीजन में हरभरे की बुआई सर्वाधिक 1.40 लाख हेक्टेअर क्षेत्र में हुई है. यह औसत बुआई क्षेत्र की तुलना में 140 फीसद है. इस समय हरभरे की फसल फूल व दाने तक पहुंच चुकी है. वहीं इस दौरान बदरीला मौसम बनने के साथ ही अगले तीन दिन हल्की बारिश होने की संभावना मौसम विभाग द्बारा दर्शायी गई है. हरभरे की फसल पर इल्ली का प्रादूर्भाव प्रमुख रुप से होता है. इस किडे की मादा पत्तों, कलियों व फूलों पर अंडे देती है. जिसमेें से 2 से 3 दिन के दौरान इल्ली बाहर निकलती है. जो शुरुआत में पत्तों के हरितद्रव्य को खाती है, इसकी वजह से पत्ते पीले व सफेद होकर सुख जाते है. इसके बाद बडी होने वाली इल्ली पत्तों को खाती है. जिसकी वजह से हरभरे के पौधे में केवल दंठल ही बचा रहता है. एक इल्ली द्बारा हरभरे के 30 से 40 दाने खा लिए जाते है. इसकी वजह से फसलों का बडे पैमाने पर नुकसान होता है.
* ऐसे करें पहली व दूसरी फवारणी
जिस समय फसल 50 फीसद फूलों पर रहती है, तब 5 फीसद निंबोली अर्क या एचएएनपीवी 500 एलई प्रति हेक्टअर या क्विनॉलफास 25 ईसी 20 मिली की पहली फवारणी करनी चाहिए. जिसके बाद अगले 15 दिनों में इमामेक्टिन बेन्झोएट 5 फीसद एसजी 3 ग्राम या इथयॉन 50 फीसद ईसी 25 मिली या फ्युबेडामाइंड 18.5 ुफीसद एससी 2.5 मिली की दूसरी फवारणी करनी चाहिए, ऐसी जानकारी कृषि विशेषज्ञों द्बारा दी गई है.
* कामगंध ट्रैप का प्रयोग करें
परभक्षक पक्षियों द्बारा फसलों पर मंडराते हुए इल्लियों को खाया जाता है. जिससे इल्लियों का नियंत्रण होता है. ऐसे में किटनाशकों का बडे पैमाने पर प्रयोग करने पर उसकी गंध की वजह से पक्षी नहीं आते.
ऐसे में खेत में मका व ज्यारी का नैसर्गिक पक्षी विश्राम के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है. साथ ही यह व्यवस्था उपलब्ध नहीं रहने पर खेत में प्रति हेक्टेअर बांबू से बने त्रिकोणी आकार वाले 20 चबूतरे बनाए जाने चाहिए. ताकि वहां पर पक्षी आकर रुके.