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एक कार्यकर्ता ने दूसरे कार्यकर्ता की बात सुनी और वे मान गए

मनोज जरांगे का अनशन खत्म करवाने वाले विधायक बच्चू कडू का कथन

* बोले- मैं किसी श्रेय की लडाई में नहीं, मराठाओं को उनका हक मिलना ज्यादा जरुरी
* 24 दिसंबर की तारीख ही तय होने को लेकर की पुष्टि, तय समयावधि में ठोस निर्णय होने की उम्मीद जतायी
अमरावती/दि.3– मराठा आंदोलक मनोज जरांगे पाटिल एक बेहद निस्वार्थ व कर्मठ कार्यकर्ता है. जो बिना किसी लागलपेट के और कान में फुसफुसाए बिना स्पष्ट तौर पर अपनी बात कहते है. मेरा भी लगभग वहीं स्वभाव है और मैं आज भी खुद को नेता नहीं, बल्कि कार्यकर्ता ही मानता हूं. मनोज जरांगे से मिलने के लिए मैं एक कार्यकर्ता के तौर पर गया था और उनसे यह कहते हुए अनशन खत्म करने का निवेदन किया कि, उन जैसे कार्यकर्ता की समाज सहित राज्य और देश को जरुरत है. इस समय एक कार्यकर्ता ने दूसरे कार्यकर्ता द्वारा किए गए निवेदन को मान दिया और उन्होंने अपना अनशन खत्म करने का निर्णय लिया. इस आशय की प्रतिक्रिया विधायक बच्चू कडू ने आज दैनिक अमरावती मंडल से विशेष तौर पर बातचीत करते हुए दी. जब विधायक बच्चू कडू से मनोज जरांगे के अनशन को खत्म करवाने का श्रेय उन्हें रहने के संदर्भ में पूछा गया, तो विधायक बच्चू कडू ने कहा कि, वे किसी भी तरह के श्रेय की लडाई में नहीं है, बल्कि उनका स्पष्ट मानना है कि, मनोज जरांगे जैसे कार्यकर्ता का हम सबके बीच बने रहना बेहद जरुरी है और विगत 75 वर्षों से लगातार अन्याय व अनदेखी का शिकार हो रहे मराठा समाज को उनका हक मिलना चाहिए.
बता दें कि, मराठा आरक्षण की मांग को लेकर विगत 9 दिनों से खाना व पानी छोडकर आमरण अनशन कर रहे मनोज जरांगे पाटिल ने कल रात अपना अनशन खत्म करने की घोषणा की. जिसमें अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र के विधायक बच्चू कडू की भूमिका को सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है. क्योंकि मनोज जरांगे ने राज्य के सभी मंत्रियों व नेताओं के लिए अपने गांव में प्रवेश कर प्रतिबंध लगा दिया था. साथ ही वे अनशन तोडने को लेकर किसी की भी नहीं सुन रहे थे. ऐसे में बच्चू कडू ही एकमात्र ऐसे विधायक थे. जिन्होंने बीते तीन दिनों के दौरान दो बार अंतरवाली सराटी गांव का दौरा किया और विधायक बच्चू कडू की अगुवाई में दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों व राज्य के 4 मंत्रियों का समावेश रहने वाले प्रतिनिधि मंडल के साथ मनोज जरांगे ने कल रात मुलाकात की. जिसके बाद जरांगे ने राज्य सरकार को 24 दिसंबर तक का समय देते हुए अपना अनशन खत्म करने का निर्णय लिया. जिसके चलते इस समय विधायक बच्चू कडू राज्य सहित समूचे देश में चर्चा का केंद्र बने हुए है.
ऐसे में आज अमरावती मंडल ने विधायक बच्चू कडू से इस विषय को लेकर विस्तार के साथ बातचीत की, तो उन्होंने बताया कि, वे मनोज जरांगे पाटिल द्वारा किए जा रहे संघर्ष से बेहद प्रभावित हुए. यहीं वजह है कि, उन्होंने मातृतीर्थ सिंदखेड राजा जाकर जरांगे पाटिल के समर्थन में प्रहार जनशक्ति पार्टी की ओर से भव्य रक्तदान शिविर का आयोजन करवाया. साथ ही जरांगे पाटिल के आंदोलन का समर्थन करते हुए वे एक सामान्य कार्यकर्ता के रुप में जरांगे पाटिल से मिलने अंतरवाली सराटी गांव पहुंचे और जरांगे पाटिल से बातचीत की. उस समय जरांगे पाटिल के लगातार गिरते स्वास्थ्य को देखकर उन्हें काफी चिंता हुई. साथ ही यह भी महसूस हुआ कि, यदि ऐसे ही चलता रहा, तो कोई बडा अनर्थ हो सकता है. ऐसे में उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को हालात से अवगत कराने के साथ ही जल्द से जल्द कोई ठोस निर्णय लेने हेतु कहा. जिसके बाद 2 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों न्या. सुनील शुके्र व न्या. मारोती गायकवाड सहित 4 मंत्रियों का समावेश रहने वाला प्रतिनिधि मंडल जालना भेजा गया और जरांगे पाटिल के साथ इस प्रतिनिधि मंडल ने करीब 3 घंटे तक चर्चा करने के बाद राज्य सरकार को और थोडा वक्त देते हुए फिलहाल अपना अनशन खत्म करने का निर्णय लिया. विधायक बच्चू कडू के मुताबिक उन्हें खुशी है कि, वे इस प्रक्रिया का हिस्सा बने और मनोज जरांगे ने उन पर विश्वास रखा.

* 24 दिसंबर की तारीख ही हुई है तय
कल रात से इस बात को लेकर काफी संभ्रम बना हुआ है कि, बीती रात सरकारी प्रतिनिधि मंडल और मनोज जरांगे के बीच हुई चर्चा में मराठा आरक्षण को लेकर निर्णय लेने हेतु कौन सी अंतिम तिथि तय हुई. जहां एक ओर मनोज जरांगे ने सरकार को 24 दिसंबर तक समय देने की बात कहीं. वहीं दूसरी ओर मुंबई में सीएम शिंदे ने एक पत्रवार्ता के दौरान खुद को 2 जनवरी तक का समय मिलने की जानकारी दी. ऐसे में जब बीती रात अंतरवाली सराटी गांव में मौजूद विधायक बच्चू कडू से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि, सबसे पहले तो हमने मनोज जरांगे से मराठा आरक्षण को लेकर निर्णय लेने हेतु 3 माह का समय मांगा है. परंतु मनोज जरांगे ने 3 माह की बजाय 2 माह का समय देने को लेकर स्वीकृति दर्शायी है. साथ ही उसी बताचीत के समय आगामी जनवरी माह के दौरान लोकसभा चुनाव को लेकर लगने वाली आचार संहिता को ध्यान में रखकर मराठा आरक्षण के संदर्भ में अंतिम निर्णय लेने हेतु 24 दिसंबर की अंतिम तारीख तय की गई. ताकि आगे की प्रक्रिया के लिए कम से कम 8-10 दिन का समय मिले. साथ ही विधायक बच्चू कडू ने यह भी कहा कि, चूंकि कल की तारीख 2 नवंबर थी, ऐसे में शायद सीएम शिंदे ने 2 नवंबर से 2 माह के समय को 2 जनवरी ग्राह्य माना हो. परंतु हकीकत यह है कि, अंतिम निर्णय लेने हेतु 24 दिसंबर की तारीख ही तय हुई है. इसके अलावा विधायक बच्चू कडू ने यह भी कहा कि, अब से 24 दिसंबर के बीच करीब 20 सरकारी अवकाश पडने वाले है. ऐसे में शेष कामकाजी दिनों के दौरान सरकार सहित प्रशासन को मराठा आरक्षण के संदर्भ में निर्णय लेने हेतु 24 घंटेे काम करना पडेगा.

* पूरे मराठा समाज को मिलेगा आरक्षण
इसके साथ ही कल रात से इस बात को लेकर भी संभ्रम देखा गया कि, क्या पूरे मराठा समाज को आरक्षण के दायरे में शामिल किया जाएगा, या फिर जिन मराठाओं के पास कुणबी रहने से संबंधित प्रमाणपत्र व दस्तावेज होंगे, केवल उन्हीं मराठाओं को आरक्षण का लाभ मिलेगा. जिसे लेकर सवाल पूछे जाने पर विधायक बच्चू कडू ने कहा कि, इससे पहले कभी भी किसी भी जाति को आरक्षण का लाभ देने हेतु इस तरह की कोई शर्त नहीं लादी गई. साथ ही मराठा और कुणबी कोई दो अलग-अलग जातियां नहीं है, बल्कि एक ही है. ऐसे में कल रात अंतरवाली सराटी गांव में प्रतिनिधि मंडल ने जरांगे पाटिल के साथ बातचीत में यह स्वीकार किया था कि, आरक्षण के लाभ से वंचित सभी मराठाओं को सीधे-सीधे कुणबी होने का जाति प्रमाणपत्र देकर उन्हें आरक्षण का लाभ दिया जाएगा. साथ ही बच्चू कडू का यह भी कहना रहा कि, हकीकत में इस उठापठक की भी जरुरत नहीं है. क्योंकि इससे पहले आरक्षण का लाभ देने हेतु किसी के भी जाति प्रमाणपत्र में कोई फेरबदल नहीं किया गया. बल्कि कई जातियों के पिछडी होने की शिफारिश करते हुए उन्हें आरक्षण के दायरे में लिया गया. ठीक उसी तरह मराठा और कुणबी को एक ही मानकर मराठा समाज को भी मराठा जाति प्रमाणपत्र के आधार पर ही आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए.

* ओबीसी संवर्ग को नाराज होने की कोई जरुरत नहीं, मराठा भी हमारे ही भाई
विदर्भ में रहने वाले कुणबी समाज सहित ओबीसी संवर्ग द्वारा मराठा समाज को आरक्षण दिये जाने की मांग का तो समर्थन किया जा रहा है. परंतु मराठाओं को ओबीसी में शामिल किए जाने का विरोध करते हुए उन्हें स्वतंत्र आरक्षण दिए जाने की मांग की जा रही है. साथ ही मराठाओं को ओबीसी में शामिल किए जाने का विरोध करते हुए आंदोलन की राह अपनाई जा रही है. इसे लेकर सवाल पूछे जाने पर विधायक बच्चू कडू का कहना रहा कि, इस तमाम उठापठक का कोई मतलब या अर्थ नहीं है. क्योंकि इससे पहले भी ओबीसी संवर्ग में कई जातियों को मात्र पिछडा आयोग के सिफारिश पत्र के आधार पर पिछडा मानते हुए आरक्षण के दायरे में लिया गया. इसे लेकर कुछ ‘गलत प्रैक्टीस’ भी हुई, जो सबको पता है. ऐसे में हमारे अपने भाई रहने वाले मराठाओं को यदि हमारे साथ ओबीसी के दायरे में शामिल किया जाता है, तो कौन सा पहाड टूट जाएगा. अगर इस समय ओबीसी में कोंकण, विदर्भ व पश्चिम महाराष्ट्र के मराठा शामिल है, तो मराठवाडा के मराठाओं को इसमें क्यों शामिल नहीं किया जाना चाहिए, इस सवाल का जवाब विरोध करने वाले नेताओं ने खोजना चाहिए.

* मुझे किसी के विरोध की कोई फिक्र नहीं है
मराठा आंदोलक मनोज जरांगे का समर्थन करने और मराठाओं को ओबीसी संवर्ग में शामिल किए जाने की मांग को लेकर सकारात्मक रहने के चलते विदर्भ के ओबीसी नेताओं द्वारा किए जाने वाले संभावित विरोध को लेकर पूछे गए सवाल पर विधायक बच्चू कडू ने कहा कि, उन्हें ऐसा विरोध होने का पहले से ही पूरा अंदेशा है. लेकिन व्यापक समाजहित के सामने उन्होंने कभी भी ऐसे विरोध की कोई फिक्र नहीं की. विधायक बच्चू कडू के मुताबिक उनके सामने इस समय मनोज जरांगे पाटिल के लगातार गिरते स्वास्थ्य को संभालना और जरांगे पाटिल की जान बचाना सबसे महत्वपूर्ण काम था. साथ ही कोई भी व्यक्ति इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि, हमारे अपने भाई रहने वाले मराठा समाजबंधु विगत 75 वर्ष से सरकारी अनास्था व अनेदखी का शिकार हो रहे है. ऐसे में उन्होंने अपने ही भाईयों को उनका हक दिलाने के लिए कदम आगे बढाए, जो किसी भी लिहाज से गलत नहीं है.

* सरकार ने कोई धोखा दिया तो मैं खुद रास्ते पर उतरुंगा
इसके साथ ही विधायक बच्चू कडू ने गत रोज अंतरवाली सराटी गांव में दिए गए अपने बयान को दोहराते हुए कहा कि, अब यदि राज्य सरकार द्वारा आगामी 24 दिसंबर तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जाता है और समाधानकारक रास्ता नहीं निकाला जाता है, तो मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे पाटिल के साथ वे खुद आंदोलनकारियों हेतु सडक पर उतरेंगे.

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