ऑनलाईन शिक्षा व मोबाईल ने लगाया बच्चों को चश्मा
लगातार स्क्रिन के सामने बने रहने के दिख रहे दुष्परिणाम
अमरावती/प्रतिनिधि दि.१७ – कोविड महामारी के खतरे को देखते हुए इन दिनों सभी स्कूल व कॉलेज बंद रखे गये है, ताकि विद्यार्थियों में समूह संक्रमण का खतरा न फैले. ऐसे में बच्चों को मोबाईल, लैपटॉप व कंप्यूटर पर ऑनलाईन शिक्षा लेनी पड रही है. परंतू ऑनलाईन शिक्षा के लिए लगातार स्क्रिन को देखते रहने की वजह से अब बच्चों की आंखों पर विपरित परिणाम पडने लगा है. साथ ही कई बच्चों को बेहद कम उम्र में ही चश्मा भी लग गया है.
इस समय ऑनलाईन शिक्षा का कोई पर्याय नहीं रहने के चलते सभी बच्चे पूरा समय अपने घरों पर ही रहने को मजबूर है. जिससे उन्हें कई तरह की शारीरिक तकलीफों का सामना करना पड रहा है. ऐसे में उनकी शारीरिक क्षमता के साथ-साथ अब उनकी नाजूक आंखों का भी ख्याल रखे जाने की जरूरत है. इन दिनों बच्चों का पूरा समय टीवी और मोबाईल के सामने बीतता है और वे लंबे समय तक एक ही स्थान पर बैठे रहते है. जिसकी वजह से उनका शारीरिक विकास अवरूध्द हो रहा है. इस स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए हर अभिभावक द्वारा प्रयास किये जा रहे है.
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आंखों को तकलीफ से बचाने के लिए …
– कंप्यूटर स्क्रिन पर एंटी ग्लेअर ग्लास लगायें.
– किताब व कंप्यूटर को उजाले में रखें.
– फलाहार का अधिक से अधिक सेवन करें.
– एंटी ग्लेअर चश्मे का प्रयोग करें.
– प्रत्येक पिरीयड के बाद आंखें बंद कर थोडा विश्राम करें.
– किताब व कंप्यूटर को आंखों से 12 से 15 इंच दूर रखें.
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छोटे बच्चों के लिए हैं ये खतरे
मोबाईल, टैब व कंप्यूटर के अति प्रयोग से बच्चों में सिरदर्द की तकलीफ बढ गई है.
– लगातार कई घंटे नजर एक ही जगह पर स्थिर रहने के चलते आंखों की पेशियों में दर्द होता है.
– मोबाईल व टैब को देखने के चक्कर में कई घंटे तक झूककर बैठने की वजह से गर्दन पर भी तनाव पडता है.
– ऑनलाईन क्लास के समय बच्चे कई घंटे तक एक ही स्थान पर बैठे रहते है. जिससे अपचन व पेटदर्द की शिकायत हो सकती है.
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छोटे बच्चों में बढी सिरदर्द की शिकायत
– मोबाईल अथवा कंप्यूटर को लगातार देखते रहने की वजह से आंखों की मांस पेशियों में दूरी बन जाती है.
– जिसके चलते आंखों की पूरी तरह से हलचल नहीं हो पाती और आंखों में पानी की कमी हो सकती है.
– सूखी आंखों से जीवाणू बहकर बाहर नहीं जा सकते. साथ ही नमी नहीं रहने की वजह से आंखों से संंबंधित तकलीफें हो सकती है.
– सिरदर्द व गर्दन के दर्द की वजह से बच्चों का ध्यान पढाई-लिखाई में नहीं लगता. जिसका उनके खान-पान पर भी परिणाम पडता है.