अमरावती

ऑनलाइन शिक्षा ने बच्चों को बना दिया मोबाइल का आदि

होमवर्क की बजाय अब मोबाइल पर रील्स देखते है बच्चे

अमरावती/दि.11 – कोविड व लॉकडाउन काल के दौरान शालाएं बंद रखनी पडी थी. ऐसे में बच्चों की पढाई-लिखाई को जारी रखने के लिए ऑनलाइन शिक्षा का दौर शुरु हुआ था. जिसके चलते हर बच्चे के हाथ में मोबाइल देना जरुरी हो गया था. परंतु अब कोविड व लॉकडाउन का दौर खत्म हो चुका है तथा सभी स्कूलें खुलने के साथ ही कक्षाओं में पहले की तरह ऑफलाइन पढाई शुरु हो गई है. लेकिन इसके बावजूद आज भी कई शालाओं में बच्चों को होमवर्क सहित अन्य निर्देश मोबाइल पर ही दिए जाते है. जिसकी वजह से ऑनलाइन शिक्षा का दौर पीछे छूटने के बावजूद भी स्कूली बच्चों के हाथ से मोबाइल नहीं छूट पाया है. ऐसे में बच्चे अब मोबाइल पर पढाई करने की बजाय इंस्टाग्राम, फेसबुक, वाटसएप व यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया साइड का उपयोग करते हुए रील्स देखने मेें मशगुल रहते है साथ ही मोबाइल गेम खेलने में समय बिताते है. जिसके चलते उनका मोबाइल स्क्रीन टाइम अच्छा खासा बढ गया है और इसका उनके मन मस्तिष्क पर वितरीत परिणाम पड रहा है.
उल्लेखनीय है कि, कोविड काल में संक्रमण के खतरे को देखते हुए स्कूल व कॉलेज बंद हो जाने की वजह से बच्चों की पढाई-लिखाई पूरी तरह से ठप हो गई थी. ऐसे में ऑनलाइन कक्षाओं के जरिए पढाई-लिखाई को सुचारु रखा गया और सभी शालाओं में कक्षाओं के अनुसार विद्यार्थियों के वाट्सएप ग्रुप तैयार करते हुए ऑनलाइन पढाई शुरु की गई. कोविड संक्रमण का दौर बीत जाने के बाद अब सभी कक्षाएं पहले की तरह नियमित तौर पर शुरु हो गई है. लेकिन अब भी अधिकांश शालाओं में बच्चों को होमवर्क के संदर्भ में सुचना व निर्देश देने के लिए कोविड काल के समय बने वाटसएप ग्रुप का ही प्रयोग किया जाता है. जिसकी वजह से बच्चों के हाथों में मोबाइल अब तक चिपका हुआ है और उनकी निगाहे मोबाइल स्क्रीन पर टीकी हुई है.

* होमवर्क व निर्देश मोबाइल पर क्यों
आज भी कई निजी शालाओं द्बारा अपने विद्यार्थियों के कक्षा निहाय वाट्सएप ग्रुप चलाए जा रहे है. जिन पर बच्चों के साथ-साथ कुछ अभिभावकों के नंबर भी जोडे गए है. इन वाटसएप ग्रुप के जरिए बच्चों हेतु होमवर्क सहित शाला से संबंधित सूचनाएं व निर्देश भेजे जाते है. ऐसे में बच्चे अपनी पढाई-लिखाई का हवाला देकर अपने अभिभावकों से मोबाइल मांगते है और काफी देर तक मोबाइल स्क्रीन से चिपके रहते है, ऐसे में सबसे बडा सवाल है कि, जब शालाएं पहले की तरह खुल गई है और बच्चे रोजाना पूरा समय अपनी कक्षाओं में उपस्थित भी रहते है, तो उन्हें वाट्सएप के जरिए होमवर्क सहित अन्य निर्देश व सूचना देने का क्या औचित्य है.

* बच्चों का स्क्रीन टाइम बढा
स्कूल से आने वाले दिशा निर्देशों को पढने हेतु 5-10 मिनट के लिए अपने हाथ में मोबाइल लेने के बाद बच्चे अक्सर अगले एक-दो घंटे मोबाइल पकडे बैठे रहते है और लगातार उनकी नजरे मोबाइल स्क्रीन पर टीकी रहती है. ऐसे में उनकी आंखों पर इसका विपरीत प्रभाव पडता है.

* पढाई से ज्यादा मनोरंजन में जाता है समय
बच्चे मोबाइल तो पढाई करने के नाम पर हाथ में लेते है, लेकिन पढाई करने की बजाय वे सोशल मीडिया पर अपना काफी समय रील्स व अन्य वीडियो को देखने में व्यतीत करते है. जिससे उनकी पढाई-लिखाई का नुकसान होने के साथ-साथ उनके आंखों व मस्तिष्क पर असर पडता है.

* भविष्य खराब होने का खतरा
पढाई लिखाई की अनदेखी करते हुए मोबाइल में अलग-अलग तरह की चीजों में लगातार लगे रहने के चलते बच्चों का समय नष्ट होने के साथ-साथ उनका भविष्य व करीयर भी खराब होने का खतरा भी बना हुआ है.

चूंकि अब कोविड के खतरे वाला दौर चला गया है. ऐसे में विद्यार्थियों का मोबाइल से संबंध तोडकर उनका शिक्षकों से संबंध सुदृढ होना आवश्यक है. ऐसे में अभिभावकों ने अपने बच्चों की शालाओं के शिक्षकों से बात करते हुए शाला संबंधित सूचनाओं व होमवर्क संबंधित निर्देशों के लिए मोबाइल का प्रयोग कम करने की बात कहनी चाहिए. इसके अलावा जरुरत पडने पर बच्चों को मोबाइल देना आवश्यक रहने पर वहां अभिभावकों ने खुद उपस्थित रहना चाहिए.
– मुरलीधर राजनेेकर,
गट शिक्षाधिकारी

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