अमरावतीविदर्भ

विद्यापीठ द्वारा ली जायेगी ऑनलाईन परीक्षा

लिखित परीक्षा में शून्य अंक प्राप्त करनेवाले भी होंगे उत्तीर्ण

  • विद्यार्थियों को मिलेगी बडी राहत

अमरावती/दि.१२ – ग्रीष्मकालीन-२०२० की परीक्षा को आगामी अक्तूबर माह के प्रथम सप्ताह में ऑनलाईन तरीके तथा ऑब्जेक्टीव स्वरूप में लिये जाने की घोषणा संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ द्वारा शुक्रवार की शाम को की गई. अंतिम सत्र व अंतिम वर्ष के साथ ही इसके अनुशेष हेतु यह परीक्षा ली जायेगी. इसमें भी यह विशेष उल्लेखनीय है कि, लिखित परीक्षा में शून्य अंक प्राप्त करनेवाले विद्यार्थी भी इस परीक्षा में उत्तीर्ण हो जायेंगे, ऐसी सुविधा इस परीक्षा में की गई है.

इस संदर्भ में एक वीडियो जारी करते हुए विद्यापीठ के परीक्षा व मूल्यांकन मंडल संचालक डॉ. हेमंत देशमुख ने इस परीक्षा पध्दति के संदर्भ में आवश्यक जानकारी दी. उन्होंने बीए पदवी पाठ्यक्रम का उदाहरण देते हुए बताया कि, यह पाठ्यक्रम ६ सेमीस्टर का है. जिसमें तृतीय वर्ष को अंतिम वर्ष तथा छठवें सेमीस्टर को अंतिम सत्र कहा जाता है. जो विद्यार्थी छठवें सत्र में प्रवेशित है या छठवां सत्र उत्तीर्ण करने के बावजूद उनके पिछले सत्र का बैकलॉग है, ऐसे विद्यार्थियों की परीक्षा विद्यापीठ द्वारा ली जायेगी. विद्यापीठ कॅलेंडर के मुताबिक ६६ दिनों का पाठ्यक्रम पूरा हो चुका है, लेकिन इसके बावजूद इस बार ५० फीसदी पाठ्यक्रम की ही परीक्षा ली जायेगी. हमेशा ही पारंपारिक पध्दति में परीक्षा का स्वरूप डिस्क्रीप्टीव ही रहता है. लेकिन इस बार इस परीक्षा का स्वरूप ऑब्जेक्टिव रहेगा, यानी एक प्रश्न का सीधे उत्तर लिखने की बजाय विद्यार्थियों को बहुपर्यायी जवाब दिये जायेंगे. जिसमें से विद्यार्थियों को सही जवाब चुनना होगा.

प्रत्येक यूनिट हेतु १० प्रश्न

पाठ्यक्रम के प्रत्येक यूनिट पर आधारित दस सवाल पूछे जायेंगे और ६ यूनिट रहनेवाले पाठ्यक्रम पर ६० सवाल होंगे. जिसमें से केवल ५० प्रतिशत यानी ३० सवाल ही हल करने होंगे. इसी तरह चार यूनिटवाले पाठ्यक्रम हेतु ४० प्रश्न पूछे जायेंगे. जिसमें से २० सवाल हल करने होंगे. इस परीक्षा में अन्य ऑब्जेक्टिव परीक्षाओं की तरह निगेटिव मार्किंग नहीं किया जायेगा. ऐसे में यदि ६० में से ३० प्रश्न हल करने है, और अगर सभी सवाल सही है, तो प्रत्येक सही जवाब को दो अंक के हिसाब से ६० अंक मिलेगे. लेकिन यदि किसी विद्यार्थी ने ३० की बजाय ४० प्रश्न हल किये है और उसमें से २० प्रश्नों के जवाब सही है, तो २० सही जवाब के लिए ४० अंक मिलेंगे. लेकन २० गलत जवाब के लिए कोई निगेटीव अंक नहीं काटा जायेगा. इसी तरह यदि इंटरनल परीक्षा के लिए २० में से २० अंक मिले है, और लिखीत परीक्षा के लिए ६० में से ६० अंक मिले है, तो दोनों परीक्षाओं के अंक मिलाकर संबंधित विद्यार्थी को १०० में से १०० फीसदी अंक दिये जायेंगे.

इसके दूसरे उदाहरण में बताया गया कि, अगर इंटरनल गुण १८ है और लिखीत परीक्षा में १५ प्रश्न यानी ५० फीसदी प्रश्नोें के जवाब सही है तो लिखीत परीक्षा में ५० अंक और इंटरनल परीक्षा में १८ अंक दिये जायेंगे. इसे प्रतिशत में रूपांतरित करते समय इंटरनल परीक्षा के अंकोें को ९० फीसदी माना जायेगा. वहीं अगर किसी विद्यार्थी के ३० प्रश्नों में से कोई भी जवाब सही नहीं है, यानी उसे लिखीत परीक्षा में शून्य अंक मिले है, तो ऐसे समय इंटरनल परीक्षा में मिले ९० फीसदी अंकों का दो से विभाजन कर उस विद्यार्थी को ४५ फीसदी अंक प्रदान किये जायेंगे. जिसमें से माना जायेगा कि, उस विद्यार्थी को १८ अंक इंटरनल परीक्षा में मिले है और लिखीत परीक्षा में २८ अंक प्राप्त हुए है. इस आधार पर उस विद्यार्थी के कुल अंक ४६ हो जायेंगे और लिखीत परीक्षा में संबंधित विद्यार्थी को शून्य अंक मिलने के बावजूद उसे उत्तीर्ण घोषित किया जायेगा. इसी तरह पहले एक प्रतिशत ग्रेस अंक मिला करते थे. जिसे अब दो प्रतिशत कर दिया गया है. ऐसे में अब ५०० अंकोें में से १० अंक उत्तीर्ण होने के लिए दिये जायेंगे.

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