अमरावती

एक साल में भ्रष्टाचार के केवल 9 मामले हुए साबित

13 आरोपियों पर लगा 80 हजार का दंड

  • सर्वाधिक मामले पुलिस विभाग से संबंधित

अमरावती प्रतिनिधि/दि.9 – गत वर्ष 2020 में जनवरी से दिसंबर माह के दौरान भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग (एसीबी) द्वारा राज्य में सैंकडों ट्रैप लगाते हुए रिश्वत स्वीकारनेवाले सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों सहित निजी व्यक्तियों को रंगेहाथ गिरफ्तार किया गया, लेकिन बीते एक वर्ष के दौरान एसीबी द्वारा अदालत में केवल 9 मामलोें में ही अपराध साबित किया जा सका. जिनमें 13 आरोपी दोषी करार दिये गये और उन पर 80 हजार रूपये का दंड लगाया गया. इससे न्यायालय में एसीबी के प्रलंबित मुकदमों और निर्दोष छूटनेवाले मामलोें का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है.
बता देें कि, एसीबी द्वारा प्रत्येक जिले को ट्रैप का टार्गेट दिया जाता है और हर वर्ष प्रत्येक जिले द्वारा गत वर्ष की तुलना में 2 से 3 ट्रैप ज्यादा करते हुए 25 से 50 फीसदी अधिक ट्रैप बढते हुए दिखाये जाते है. रिश्वत मांगने, रिश्वत स्वीकारने और बेमानी संपत्ति जैसे मामलोें को लेकर एसीबी द्वारा अपराध दर्ज किये जाते है. लेकिन एसीबी की अधिकांश कार्रवाईयों में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी ही अटकते है. अब तक के इतिहास में प्रथम व द्वितीय श्रेणीवाले वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों के अटकने के उदाहरण नगन्य है.
सालभर के दौरान होनेवाले ट्रैप और इनमें अटकनेवाले कर्मचारियोें की संख्या को देखते हुए कहीं यह केवल एसीबी द्वारा की जानेवाली खानापूर्ति ही तो नहीं है, ऐसा संदेह व्यक्त किया जाने लगा है. ऐसे मामलों में अपराध दर्ज करने के साथ ही एसीबी द्वारा अदालत में चार्जशीट पेश की जाती है. लेकिन वहां पर अपराध को साबित करना एसीबी के लिए काफी बडी चुनौती होती है. दोषारोप पत्र के लिए संबंधित विभाग के सक्षम अधिकारी की मंजूरी प्राप्त करना होता है. साथ ही मंजूरी देनेवाले अधिकारी को अपना बयान दर्ज करने के लिए व्यक्तिगत तौर पर अदालत में उपस्थित रहना होता है. अक्सर अधिकांश मामले यहीं पर आकर अटक जाते है. जिससे मुकदमों की गति प्रभावित होती है. जानकारी के मुताबिक विगत एक वर्ष के दौरान एसीबी द्वारा समूचे राज्य में भ्रष्टाचार से संबंधित करीब 700 मामले दर्ज किये गये. लेकिन इसकी तुलना में बेहद अत्यल्प मामलोें में दोष सिध्द हो पाया है.

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