अमरावती

राज्य के छोटे हवाई अड्डो की केवल घोषणाएं  ही !

अनेक जिलो का ‘टेक ऑफ’ का सपना अधूरा

* विदर्भ को चाहिए हवाई यात्रा का बूस्टर

नागपुर / दि. 8- विदर्भ समेत राज्य के छोटे हवाई अड्डे  विकास के लिए तथा  बडे उद्योग छोटे जिलों में पहुंचाने के लिए हैं. लेकिन प्रत्यक्ष में विकास  के बडे अवसर रहनेवाले जिलों में भी हवाई अड्डे के विकास की तरफ अनदेखी दिखाई दे रही है. इन छोटे हवाई अड्डो की तकनीकी दुविधा, विस्तार के लिए लगनेवाला भूसंपादन न होने से हजारों करोड रूपए खच्र करने के बाद भी विमान सेवा टेक ऑफ नहीं हो पायी. मुंबई, नागपुर, छत्रपति संभाजी नगर को छोडकर छोटे शहरों के हवाई अड्डे पूर्ण क्षमता से कभी शुरू नहीं हुए है. इस कारण इन छोटे हवाई अड्डों को लेेकर केवल घोषणाएं ही हो रही है.

राज्य में करीबन 32 हवाई अड्डे है. इसमें से केवल 11 सक्रिय है. 2008 में केंद्र शासन ने उडान योजना के माध्यम से छोेटे शहर हवाई अड्डों से जोडने की योजना घोषित की. इस योजना के मुताबिक हवाई अड्डों का अत्याधुनिकरण, वित्तीय सहायता, विकास व देखरेख तथा दुरूस्ती व व्यवस्थापन आदि शर्त व उसके मुताबिक 2009 में यवतमाल, लातुर, धाराशिव, नांदेड, बारामती ऐसे 5 हवाई अड्डे रिलायंस समूहों के पास हस्तांतरित किए गये. लेकिन पिछले 14 साल ेेंमें रिलायंस में इस ओर अनदेखी की है. आखिरकार राज्य के 5 हवाई अड्डे राज्य शासन के कब्जे में लेने की घोषणा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 21 जुलाई 2022 को मुंबई में की. इसके मुताबिक रिलायंस एयरपोर्ट डेवलपर्स लि. कंपनी के कब्जे के यह हवाई अड्डे सरकार ने वापस लिए है. अब प्रलंबित समस्या जल्द हल होने की संभावना हल होने की अपेक्षा है.

* ऐसी है हवाई अड्डों की स्थिति

– अमरावती के बेलोरा में एक दशक से हवाई अड्डे का निर्माण शुरू है. वह अभी तक पूर्ण नहीं हुआ है. बेलोरा हवाई अड्डे की करीबन 16 किलोमीटर सुरक्षा दीवार और हवाई पट्टी का निर्माण पूर्ण हुआ है. टर्मिनल इमारत की निविदा अक्तूबर 2022 में निकाली गई थी. इमारत का निर्माण शुरू है. अप्रैल 2024 तक वह पूर्ण होने का अधिकारियों का दावा है. लायसेंस समेत अन्य प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद मुंबई, पुणे के लिए उडान शुरू होगी.

– चंद्रपुर जिले में कोयले की खदान, सीएसटीपीएस, पेपर मिल, सीमेंट उद्योग समेत ताडोबा- अंधारी व्याघ्र प्रकल्प पर्यटन स्थल रहने के बावजूद चंद्रपुर में 66 साल से एक विकसित हवाई अड्डे की प्रतीक्षा रहते हुए भी अब वहां ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा बनाने की तैयारी शुरू है. मूर्ति गांव के पास करीबन 840 एकड भूमि का चयन किया गया है. इसमें 180 एकड वनविभाग की जगह के लिए केंद्र सरकार ने ‘नॉन साईट एक्टीविटी’ अंतर्गत वनभूमि देने से इंकार किया है.

– यवतमाल के स्वाधीनता सेनानी जवाहरलाल दर्डा हवाई अड्डे बाबत लगातार प्रयास करने के बाद अब वहां काम को गति मिली है. वर्तमान में अनेक स्थानों की दुरूस्ती व पुनर्निर्माण का काम शुरू किया गया है. हवाई अड्डे के टैक्सी-वे, रनवे समेत  विमान रूकते है उस एप्रोल ऐरिया की दूरूस्ती का काम तेजी से शुरू है. साथ ही एटीसी बिल्डिंग के निर्माण की प्रक्रिया शुरू है. दिसंबर अंत तक पाइप लाइन, बिजली सुविधा समेत अन्य काम पूर्ण होगे, ऐसा सूत्रों ने कहा.

– गोंदिया के बिर्सी हवाई अड्डे से एक साल की कालावधि के बाद गोंदिया- तिरूपति विमान सेवा शुरू हुई. लेकिन इस हवाई अड्डे के विस्तार की समस्या अभी भी कायम है. बिर्सी हवाई अड्डे का रनवे 3 हजार मीटर का था. कामठा- परसवाडा मार्ग के कारण यह लंबाई 2135 मीटर तक कम की गई. विशेष यानी यहां रात्रकालीन लैंडिंग सुविधा थी. यह सुविधा बंद की गई.

– अकोला में 1943 में निर्मित ब्रिटिशकालीन शिवनी विमानतल राजनीतिक उदासीनता के कारण पिछले अनेक दशकों से वैसा ही पडा है. विमानतल की 1400 मीटर लंबी हवाई पट्टी का विस्तार 1800 मीटर करने का प्रस्तावित है. केवल 50 हेक्टेयर जमीन के लिए वह अटका पडा है.

– नांदेड के हवाई अड्डे पर कोरोना के पूर्व मुंबई, हैदराबाद, औरंगाबाद समेत दिल्ली, चंडीगढ, अमृतसर की विमानसेवा शुरू की. अब यहां भी विमानसेवा ठप्प हो जाने के बावजूद केंद्र व राज्य की दोनों सरकार चुप्पी साधे बैठी हुई है.

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