बच्चू कडू को ही मिल सकता है दिव्यांग मंत्रालय का अध्यक्ष पद!
महामंडल की तर्ज पर नियुक्ति होने की संभावना
* पहले की तरह राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त रहेगा बच्चू कडू को
* अध्यक्ष पद हेतु किसी भी सदन का सदस्य रहना जरुरी नहीं
* शिंदे के साथ नजदीकी संबंधों का मिलेगा पूरा फायदा
* राजनीति की इनसाइड स्टोरी
अमरावती/दि.29 – राज्य में महायुति को जबर्दस्त सफलता और भारी बहुमत मिलने के बावजूद अब तक सरकार के गठन को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पायी है तथा अब तक अधिकारिक रुप से यहीं तय नहीं हो पाया है कि, नई सरकार में मुख्यमंत्री कौन होगा और मंत्रिमंडल में किस घटक दल के किन-किन विधायकों को मौका मिलेगा. वहीं दूसरी ओर राजनीति की इनसाइड स्टोरी यह भी है कि, विधानसभा चुनाव हार जाने के बावजूद अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व विधायक तथा प्रहार जनशक्ति पार्टी के मुखिया बच्चू कडू के नाम एक बडी लॉटरी लगने जा रही है और संभवत: पूर्व विधायक बच्चू कडू पहले की तरह दिव्यांग कल्याण मंत्रालय के अध्यक्ष पद का जिम्मा संभालते रहेंगे. ज्ञात रहे कि, दिव्यांग कल्याण मंत्रालय के अध्यक्ष पद को राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त है. साथ ही इस पद पर नियुक्त किये जाने वाले व्यक्ति का विधायक रहना भी जरुरी नहीं है. ऐसे में दिव्यांगों के लिए विगत 3 दशकों से लगातार संघर्ष एवं प्रयास कर रहे बच्चू कडू को चुनाव हार जाने के बावजूद भी दिव्यांग कल्याण मंत्रालय के अध्यक्ष पद का जिम्मा मिल सकता है. जिसके लिए बच्चू कडू को मौजूदा कार्यवाहक मख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ रहने वाले अपने नजदीकी संबंधों का पूरा फायदा भी मिल सकता है.
बता दें कि, वर्ष 2019 में लगातार चौथी बार अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक निर्वाचित होने के बाद प्रहार पार्टी के मुखिया बच्चू कडू ने अपने सहयोगी विधायक राजकुमार पटेल के साथ तत्कालीन एकीकृत शिवसेना के पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे को अपना समर्थन दिया था और वे महाविकास आघाडी में राज्यमंत्री के तौर पर शामिल भी किये गये थे. हालांकि आगे चलकर जब जून 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्वतले शिवसेना के भीतर बगावत हुई थी, तब बच्चू कडू ने उद्धव ठाकरे का साथ छोडकर शिंदे गुट के साथ हाथ मिला लिया था और फिर राज्य में शिंदे गुट व भाजपा की युति वाली सरकार बनी थी. उस समय बच्चू कडू को नई सरकार में भी मंत्री पद मिलने की उम्मीद जतायी जा रही थी. लेकिन ऐसा अंत तक नहीं हुआ. हालांकि इस दौरान बच्चू कडू द्वारा किये जाते प्रयासों की बदौलत ही देश में पहली बार महाराष्ट्र में दिव्यांग कल्याण मंत्रालय का गठन किया गया और इस मंत्रालय के जरिए दिव्यांगों के कल्याण हेतु विभिन्न योजनाएं चलाने हेतु मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 900 करोड रुपए के भारी भरकम बजट को भी मंजूरी दी. साथ ही साथ विगत तीन दशकों से दिव्यांगों के लिए सतत प्रयास व संघर्ष करने वाले तत्कालीन विधायक बच्चू कडू को ही दिव्यांग कल्याण मंत्रालय का अध्यक्ष नियुक्त करते हुए उन्हें राज्यमंत्री पद का दर्जा भी दिया गया. लेकिन इसके बाद राज्य में जैसे ही विधानसभा के चुनाव घोषित हुए, तो बच्चू कडू ने महायुति से बाहर निकलने की घोषणा करते हुए राज्य में परिवर्तन महाशक्ति नामक तीसरी आघाडीे का गठन कर डाला और राज्य के करीब 30 से 35 सीटों पर प्रहार पार्टी की ओर से प्रत्याशी भी खडे किये. साथ ही साथ उस समय बच्चू कडू ने यह विश्वास भी जताया था कि, राज्य में इस बार निर्दलीय विधायकों की संख्या अच्छी-खासी रहेगी और सरकार चाहे किसी की भी बने, उसके गठन में वे खुद बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. लेकिन इस बार के चुनाव में महायुति ने प्रमुख विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाडी सहित छोटे दलों व निर्दलीय प्रत्याशियों की सुपडा साफ कर दिया. जिसके चलते प्रहार पार्टी के मुखिया बच्चू कडू सहित उनकी पार्टी के सभी प्रत्याशियों को हार का सामना करना पडा. ऐसे में अब बच्चू कडू के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकले लगाये जाने का दौर तेज हो गया है.
इसी विषय को लेकर दैनिक अमरावती मंडल की पॉलिटीकल डेस्क द्वारा अपने स्तर पर हासिल की गई जानकारी एवं राजनीतिक स्थिति को लेकर किये गये आकलन के चलते एक बेहद रोचक जानकारी निकलकर सामने आयी है. जिसके मुताबिक भाजपा के साथ राज्य की सत्ता में पूरी तरह शामिल रहने वाले मौजूदा कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से रहने वाली नजदीकियां अब पूर्व विधायक बच्चू कडू के लिए काफी हद तक काम आ सकती है और इन्हीं नजदीकियों के चलते पूर्व विधायक बच्चू कडू को एक बार फिर दिव्यांग कल्याण मंत्रालय के अध्यक्ष पद का जिम्मा मिल सकता है. यह उम्मीद इस वजह से भी बन रही है कि, दिव्यांगोें के कल्याण हेतु पूरे जी जान के साथ समर्पित भाव से काम करने वाला बच्चू कडू जैसा कोई नेता या विधायक इस समय राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में कही नजर नहीं आता. वहीं दूसरी ओर विगत 30 वर्षों से बच्चू कडू लगातार अंध, अपंग, मूक-बधिर जैसे दिव्यांगों के अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष करते आ रहे है और दिव्यांगों हेतु विभिन्न आंदोलन करते हुए बच्चू कडू ने कई बार पुलिस एवं अदालती कार्रवाईयों का सामना भी किया है. साथ ही साथ उनके द्वारा किये गये प्रयासों की बदौलत ही पूरे देश में महाराष्ट्र पहला ऐसा राज्य रहा, जहां पर दिव्यांग कल्याण मंत्रालय का गठन किया गया. चूंकि इस समय बच्चू कडू विधानसभा का चुनाव हार चुके है और दूसरी ओर विधान मंडल में फिलहाल कोई ऐसा सदस्य नहीं है, जो बच्चू कडू की तरह दिव्यांग कल्याण मंत्रालय का कामकाज संभाल सके. इस बात को ध्यान में रखते हुए कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा अपने खास दोस्त रहने वाले बच्चू कडू के लिए निश्चित तौर पर अपने ‘वीटो पॉवर’ का इस्तेमाल कर सकते है और महामंडलों में की जाने वाली नियुक्तियों के तर्ज पर पूर्व विधायक बच्चू कडू की दिव्यांग कल्याण मंत्रालय के राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त अध्यक्ष पद पर नियुक्ति भी करवा सकते है. जिसे लेकर पूरी उम्मीद है कि, भाजपा सहित अजीत पवार गुट वाली राकांपा की ओर से भी कोई विशेष विरोध नहीं होगा. क्योंकि इन दोनों दलों के पास भी दिव्यांग कल्याण मंत्रालय को संभालने का माद्दा व कुवत रखने वाला फिलहाल कोई विधायक नहीं है. ऐसे में इन दोनों दलों द्वारा भी सीएम शिंदे की ओर से रखे जाने वाले प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दी जा सकती है, ऐसा माना जा रहा है.
ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि, ऐन चुनाव से पहले महायुति से बाहर निकलकर महायुति के सरकार के खिलाफ ताल ठोंकने वाले पूर्व विधायक बच्चू कडू द्वारा अब महायुति की नई सरकार की ओर से आने वाले ऐसे किसी प्रस्ताव को लेकर क्या प्रतिक्रिया दी जाती है. हालांकि राजनीतिक जानकारों का मानना है कि, यदि बच्चू कडू के पास नई सरकार की ओर से ऐसा कोई प्रस्ताव आता है, तो राज्य के दिव्यांगों के हितों को देखते हुए और दिव्यांगों को उनका अधिकार दिलाने हेतु बच्चू कडू द्वारा तमाम राजनीतिक मतभेदों को परे रखकर निश्चित ही इस प्रस्ताव को स्वीकार किया जाएगा. जिसके चलते बहुत जल्द बच्चू कडू एक बार फिर दिव्यांग कल्याण मंत्रालय के राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त अध्यक्ष पद पर काम करते दिखाई देंगे.