अमरावती/दि.13– भारत ने मेडिकल सुविधाओं की फील्ड में तेजी से विकास किया है और भारत दवाओं सहित कई बुनियादी सुविधाओं में आत्मनिर्भर होने की ओर अग्रसर है. लेकिन अभी भी प्रति व्यक्ति डॉक्टरों के अनुपात में भारत काफी पीछे है. देश की संसद में स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बताया गया है देश भर में 13,08,009 एलोपैथिक डॉक्टर रजिस्टर्ड हैं, जबकि आयुर्वेद के 5.65 लाख डॉक्टर रजिस्टर्ड हैं. इस तरह देखा जाए तो एलोपैथिक डॉक्टरों की संख्या 80 फीसदी है. बहरहाल जनसंख्या के अनुपात में यह काफी कम है और 834 लोगों पर केवल एक डॉक्टर है.
संसद में उत्तर प्रदेश के अमरोहा से लोकसभा सांसद कुंवर दानिश अली ने भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से सवाल पूछा था कि क्या सरकार को उन रिपोर्ट की जानकारी है जो बताती हैं कि देश में डाक्टरों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों की भारी कमी है? और यदि हां, तो इसका राज्य/संघ राज्यक्षेत्र-वार ब्यौरा क्या है? इसके जवाब में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा कि राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) से हासिल जानकारी के मुताबिक जून, 2022 की स्थिति के हिसाब से राज्य चिकित्सा परिषदों और राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) में 13,08,009 एलोपैथिक डॉक्टर पंजीकृत हैं. देश में 5.65 लाख आयुष डॉक्टर उपलब्ध हैं. इसके अलावा, देश में 35.14 लाख पंजीकृत नर्सिंग कमी हैं.