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केवल लीपापोती, जिम्मेदार कौन?

अब जर्जर इमारतें फौरन तोडने की बात कह रही मनपा

* 5 जानें गंवा कर अब जागा मनपा प्रशासन
* मनपा अधिकारियों के खिलाफ अपराध दर्ज क्यों नहीं?
* दूसरा-तीसरा मजला गिराया था, ग्राउंड फ्लोर क्यों नहीं
अमरावती /दि.31- प्रभात चौक राजेंद्र लॉज इमारत के हादसे के कारण शहर भर में रविवार दोपहर से मची सनसनी सोमवार शाम तक भी शांत नहीं हुई थी. इस बीच 5 लोगों की जान चली जाने से मनपा प्रशासन हडबडा गया है. अब लीपापोती हो रही है. आनन-फानन में पुणे से लौटे आयुक्त डॉ. प्रवीण आष्टीकर ने सबेरे ही मातहतों की मीटिंग आहूत कर जरुरी निर्देश दिये. किंतु अमरावती के लोगों में अनेक प्रश्न चर्चित होते नजर आ रहे है. जिसके अनुसार 5 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन होगा? ऐसे ही मकान मालिक पर सदोष मनुष्यवध का अपराध दर्ज किया गया है. हो सकता है कि, मुंबई निवासी मकान मालिक को पुलिस वहां से उठाकर भी लाये. मगर अमरावती के लोगों के जेहन में मनपा के संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अपराध दर्ज नहीं किये जाने के बारे में भी सवाल उठ रहे है. बडी बात यह है कि, दुसरा और तीसरा मजला गिराया गया था. ग्राउंड फ्लोर क्यों नहीं गिराया गया. यह सवाल केवल प्रभात चौक नहीं बल्कि पूरे शहर में जगह-जगह पूछा जा रहा है. कहीं इसके पीछे अफसरों की बडी चिरीमीरी तो नहीं, इस तरह की आशंका भी अमरावती के बाशिंदे व्यक्त कर रहे हैं. कुछ ने तो छाती ठोककर दावे किये हैं.
* आधी रात को लौटे पुणे से
अमरावती में बडा हादसा होने की खबर मिलते ही निगमायुक्त प्रवीण आष्टीकर तुरंत पुणे से अमरावती के लिए रवाना हो गये. रात को अमरावती पहुंचते ही उन्होंने घटनास्थल का दौरा किया. अपने मातहतों से जानकारी ली. आस सबेरे 10 बजे दफ्तर मेें आते ही उन्होंने सहायक आयुक्त, उपायुक्त और अभियंताओं व अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण मंत्रणा की.
* 33 इमारतें बची
आयुक्त डॉ. आष्टीकर ने मीटिंग पश्चात पत्रकारों को बताया कि, दुर्घटना के फालोअप के बाद उन्होंने आज सबेरे अपने अधीनस्थ अधिकारियों से खस्ताहाल इमारतों के बारे में जानकारी ली. बताया गया कि, 42 इमारतों को सी-1 श्रेणी में रखा गया था. उनमें से 9 भवन मनपा और उनके मालिकों ने मिलकर ढहा दिये. 33 भवन बचे है. जिसके न्यायालयीन प्रकरण के अलावा किराएदारों और अन्य कारण बताये गये हैं.
* 7 दिनों में तोडक कार्रवाई
आयुक्त डॉ. आष्टीकर ने बताया कि, जिन इमारतों के न्यायिक प्रकरण चल रहे है. उन सहित सभी जर्जर और खतरनाक हो चली बिल्डिंगों को अगले 7 दिनों में तोडने के आदेश वे जारी कर रहे है. लीगल ओपीनियन पश्चात कार्रवाई अवश्य होगी. कुछ एक इमारतों के मामले में ही स्टे मिलने की जानकारी है.
* खतरनाक हुए कई भवन
शहर में सी-1 श्रेणी के अलावा सी-2 और सी-3 ऐसी कमजोर इमारतों की 2 और श्रेणिया है. इसके अंतर्गत पुराने भवनों का समावेश है. उनकी दशा खस्ताहाल से खतरनाक हो रखी है. ऐसे में मनपा से इन मौत के पिंजरों को जल्द से जल्द ढहाने की मांग उठ रही है.
* राजनीति भी आडे आती
इमारतों की तोडक कार्रवाई कई बार कोर्ट कचेरी के कारण रोकनी पडती है. यह खुलासा कर मनपा सूत्रों ने दावा किया कि, राजनीतिक दबाव-प्रभाव भी कई बार कार्रवाई में बाधा बना है. ऐसे ही किराएदारों का मसला भी तोडक कार्रवाई करने नहीं देता.
* हर साल मई में बनती सूची
मनपा का बांधकाम विभाग बारिश सीजन से पहले औपचारिकता के तौर पर मई-जून में शहर की कमजोर हो चुकी इमारतों की सूची जारी करता है. यह परंपरा जैसा बन गया है. कार्रवाई लगभग नहीं जैसी होती रही है. मनपा की इस कवायद पर भी शहर भर में प्रश्न उपस्थित किये जा रहे है. उसी प्रकार आरोप लग रहे है कि, किराएदार-मालिक मकान के झगडे में मनपा अफसर ले-देकर उस इमारत पर कार्रवाई का हथौडा नहीं चलाते. फिर कमजोर इमारत की चर्चा किसी दुर्घटना के बाद अथवा सीधे अगले वर्ष बारिश के सीजन से पहले की शुरु होती है.
* पैसे खाकर निर्णय रोक देते
एक गंभीर आरोप मनपा अधिकारियों पर पैसे खाकर कार्रवाई रोक देने का भी लगाया जाता रहा है. व्यापारियों से पैसे लेकर इमारत तोडने की कार्रवाई रोकने के कई उदाहरण लोग गिना रहे हैं. प्रभात चौक के इमारत के बारे में भी यहीं चर्चा सुनने मिल रही कि, तीसरा और दूसरा माला गिराने के बाद ग्राउंड फ्लोर नहीं गिराने के पीछे यहीं लेन-देन की कवायद काम कर गई. मगर उनके इस धतकरम से 5 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पडा है. उनके परिजन बिलख रहे है. 24 घंटे बाद भी उनका रुदन रुक नहीं रहा.

* हुआ अंतिम संस्कार
हादसे मेें मृत 3 मजदूरों मो. कमर इकबाल, मो. आरिफ, रिजवान का कल रात ही अंतिम संस्कार कर देने की जानकारी मिली है. ऐसे ही राजदीप के प्रबंधक रवि परमार और महाजनपुरा निवासी देवा का अंतिम संस्कार आज सबेरे होने की खबर है. अत्यंत गमजदा माहौल रहा. वहीं अंतिम यात्रा में शामिल हुए लोगों ने मनपा प्रशासन की बेपरवाही को लेकर लानत-मलानत की.

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